झपटमारों को पांच साल कैद

चंडीगढ़  – चंडीगढ़ में झपटमारों को सिर्फ दो साल की सजा को बढ़ाकर पांच साल किए जाने के संबंध में जवाब मांगते हुए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने शहर में झपटमारी को लेकर विचाराधीन मामले का निपटारा कर दिया। इस दौरान चंडीगढ़ प्रशासन ने दावा किया कि शहर में 2019 के पहले तीन महीनों में झपटमारी की एक भी वारदात नहीं हुई है। गौरतलब है कि शहर में झपटमारी की लगातार बढ़ती वारदात के चलते एडवोकेट एचसी अरोड़ा ने इस संबंध में हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था कि साल 2018 के पहले 50 दिनों में ही चंडीगढ़ में झपटमारी के 43 मामले दर्ज किए गए थे। झपटमारी की इन वारदात ने शहर में कई महिलाओं के घायल होने के घटनाएं भी घटी थी। मामले की सुनवाई के दौरान चंडीगढ़ प्रशासन के वकील ने अदालत को बताया कि झपटमारों के खिलाफ पुलिस की मुस्तैदी के चलते साल 2019 में ऐसी कोई घटना नहीं घटी है और भविष्य में भी ऐसी संभावना काफी कम हैं। इस पर केंद्र सरकार के वकील ने अदालत को बताया कि झपटमारों के लिए सजा को बढ़ाकर दो वर्ष से पांच वर्ष करने का चंडीगढ़ प्रशासन का प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय और केड्डद्रीय न्याय मंत्रालय में विचाराधीन है और इसे जल्दी ही मंजूरी मिलने की संभावना है। केंद्र के इस जवाब के बाद मामले का निपटारा करते हुए चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस अरुण पल्ली ने कहा है कि प्रशासन छह सप्ताह में अपना जवाब अदालत में दायर कर दे।

पंजाब में पांच साल है सजा का प्रावधान

याचिकाकर्ता अरोड़ा की तरफ से अदालत में मौजूद एडवोकेट जनक सिंह राणा ने अदालत को बताया कि पंजाब और हरियाणा में झपटमारों के खिलाफ 379ए और बी के तहत 5 वर्ष की सजा का प्रावधान है, जबकि चंडीगढ़ में इसी दोष के लिए सिर्फ दो वर्ष की सजा का प्रावधान है।