बीजों-पत्तों से बनाया जाएगा ईंधन

By: Mar 1st, 2019 12:01 am

सीएसआईआर-आईएचबीटी में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर कैनबरा के वैज्ञानिक ने जेनेटिक इंजिनियरिंग पर दी जानकारी

पालमपुर – प्राकृतिक तेल की विश्व में बहुत अधिक मांग है, जो दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। इस मांग को पूरा करने के लिए वैज्ञानिक शोध की आवश्यकता है। जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से पौधों के बीजों, पत्तों की मदद से तेल की मात्रा को बढ़ाया जा सकता है। यह जानकारी सीएसआईआरओ एग्रीकल्चर एंड फूड कैनबरा, आस्ट्रेलिया के प्लांट ऑयल इंजीनियरिंग प्रभाग के गु्रप लीडर डा. सुरिंद्र सिंह ने दी। डा. सिंह आईएचबीटी में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में ‘डिजा़इनर प्लांट ऑयल थ्रू मैटाबोलिक इंजीनियरिंग’ विषय पर बोल रहे थे। हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक डा. संजय कुमार ने बताया कि संस्थान ने गुणवत्तायुक्त हींग प्राप्त करने के लिए कृषि तकनीक विकसित करनी शुरू कर दी है। संस्थान स्टीविया के अतिरिक्त मोंक फ्रूट से प्राकृतिक मिठास तत्त्व विकसित करने दिशा में भी अग्रसर हैं। केसर की खेती का विस्तार हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, तामिलनाडु, महाराष्ट्र जैसे भारत के अन्य राज्यों में भी किया जा रहा है। दि यूनिवर्सिटी ऑफ ट्रांस-डिसिप्लीनरी हैल्थ साइंसेज एंड टेक्नोलॉली, बंगलूर के  प्रो. गुरमीत सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में विभिन्न पद्धतियों को एक साथ लेकर आगे बढ़ना जरूरी है। जो भी परंपरागत औषधीय ज्ञान है, उसका सही तौर पर डाक्यूमेंटेशन हो। समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हमीरपुर के निदेशक प्रो.(डा.) विनोद यादव ने बताया कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, हमीरपुर तथा सीएसआईआर-आईएचबीटी मिलकर कार्य करेंगे तथा संस्थान की शोध संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए परस्पर शोध सहयोग किया जाएगा। इस अवसर पर संस्थान के शोध छात्रों द्वारा आयोजित सेमिनार सीरिज के समन्वयकों को सम्मानित किया गया। इस दौरान संस्थान के नए लोगो का अनावरण भी किया गया।

कनोला में फैटी एसिड

सीएसआईआरओ एग्रीकल्चर एंड फूड कैनबरा के वैज्ञानिक डा. सिंह के अनुसार कनोला फसल से ओमेगा-3 फैटी एसिड प्राप्त करने तथा सैफ-फ्लावर से विशेष तकनीक द्वारा प्राप्त तेल से गियरऑयल, लुब्रिकेंट आदि बनाने में सफलता प्राप्त की है, जिसका अब व्यवसायिक उत्पादन किया जा रहा है।


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