सरकार ने कोर्ट से मांगा और वक्त

एमएमयू में एमबीबीएस कोर्स के लिए फीस निर्धारण मामला, स्टेट कोटा 50 फीसदी करने का है फैसला

शिमला  – एमएमयू में एमबीबीएस कोर्स के लिए फीस निर्धारण के मामले में राज्य सरकार ने अतिरिक्त समय मांगा है। प्रदेश हाई कोर्ट ने स्टेट फीस निर्धारण कमेटी को आदेश दिए थे कि वह महर्षि मार्कंडेश्वर विश्वविद्यालय में एमबीबीएस कोर्स के लिए स्टेट कोटा सीट के निर्धारण बारे निर्णय लें और स्टेटस रिपोर्ट दायर करें। राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य सरकार महर्षि मार्कंडेश्वर विश्वविद्यालय में एमबीबीएस कोर्स के लिए स्टेट कोटा 25 से 50 फीसदी बढ़ाने का निर्णय लिया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार की गुहार स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई 20 मार्च के लिए निर्धारित की है। ज्ञात रहे कि स्टेट फीस निर्धारण कमेटी द्वारा आठ मार्च को एमएमयू में एमबीबीएस कोर्स के लिए फीस का निर्धारण किया गया, जिसके तहत आईआरडीपी वाले छात्रों के लिए वही फीस रखी गई, जो कि सरकारी कालेज में जनरल श्रेणी केछात्रों के लिए है। स्टेट कोटे के अंतर्गत भरी गई सीटों के लिए इस समय पांच लाख फीस है और सत्र 2016-2017 के लिए पांच फीसदी, सत्र 2017-2018 के लिए दस फीसदी और सत्र 2018-2019 के लिए पंद्रह फीसदी फीस बढ़ाए जाने का निर्णय लिया गया है। इसी तरह मैनेजमेंट कोटे के लिए भी यही फीस वृद्धि निर्धारित की गई है। प्रार्थी विश्वविद्यालय ने हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी है कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार सभी निजी शिक्षण संस्थानों में एक जैसी फीस होनी चाहिए।

आईआरडीपी को देना चाहते हैं राहत

प्रार्थी विश्वविद्यालय की ओर से कहा गया कि यदि सरकार आईआरडीपी छात्रों को राहत देना चाहती है, तो उस स्थिति में सरकार को उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करनी चाहिए, न कि उनके निजी संस्थानों में फीस कम की जानी चाहिए, जिससे निजी संस्थान घाटे में रहते हैं। प्रार्थी विश्वविद्यालय ने अदालत के ध्यान में लाया कि फीस निर्धारण के इस निर्णय के संबंध में प्रार्थी ने स्टेट फीस निर्धारण कमेटी के समक्ष प्रतिवेदन किया है और गुहार लगाई है कि फीस निर्धारण बारे पुनर्वलोकन किया जाए।