सोमभद्रा को बचाना टेढ़ी खीर

By: Mar 23rd, 2019 12:05 am

अंब —जिला ऊना में सदियों से बहती आ रही सोमभद्रा स्वां नदी का पर्यावरण संरक्षण अब समय की पुकार हो गया है। सोमभद्रा स्वां नदी मरवाड़ी-दौलतपुर, गगरेट, अंबिकानगर अंब, ओयल, ऊना, संतोषगढ़, बाथू तक 88 किलोमीटर का सफर तय करती है। गगरेट पुल से ही सोमभद्रा-स्वां नदी तटों में लगे पोलिथीन गंदगी के ढेर इस नदी की पवित्र धारा प्रवाह को प्रदूषित कर रहे हैं। सोमभद्रा-स्वां नदी में विभिन्न उद्योगों का गंदा पानी रिसाव इसके अस्तित्व को खत्म करने की ओर निरंतर अमादा है। अप्राकृतिक खनन के चलते सोमभद्रा-स्वां का सारा सीना छलनी कर इस पावन जलधारा को रसातल की पातालपुरी मार्ग से इस नदी को पुनः इसके उद्गम स्थल स्वर्गारोहण का रास्ता साफ कर दिया है। धार्मिक सांस्कृतिक, पर्यटन की प्रतीक सोमभद्रा-स्वां नदी को बचाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। हालांकि इसके बरसाती भयावह रौद्र रूप को देखते हुए करोड़ों रुपए खर्च कर तटीकरण भी करवाया गया है। परंतु नदी का खनन और गंदगी का आलम आज भी व्यवस्था की पोल खोल देता है। विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं ने सोमभद्रा-स्वां नदी की सफाई व्यवस्था का अभियान छेड़ने का साहस किया, लेकिन परिणाम शून्य रहा है। जिला ऊना की धार्मिक सांस्कृतिक संस्था अंबिकानगर अंब साहित्य संस्कृति परिषद ने तो एक दशक तक सोमभद्रा-स्वां नदी में चंडीगढ़ की सुखना झील की तर्ज पर सोमभद्रा-झील का प्रचार-प्रसार किया, ताकि शायद जलस्रोत की बारहमासी अधिकता से कोई नदी का खनन अथवा गंदगी न फैला सके। सरकारों ने सोमभद्रा-स्वां नदी को बचाने के सभी विकल्पों पर नकारात्मक रुख अख्तियार किया है। इसके चलते सोमभद्रा-स्वां नदी अपनी बदहाली पर आंसू बहाने को मजबूर होकर छटपटा रही है। धार्मिक सांस्कृतिक पर्यटन की प्रतीक सोमभद्रा-स्वां नदी में सोमभद्रा-स्वां झील बन जाती तो समूचे जिला ऊना में पर्यटन विकास क्रांति संभव हो जाती। बरहाल सोमभद्रा-स्वां नदी में झील का सपना और सुख-समृद्धि की झील में नौकायन का भविष्य संजोए पर्यटक थक-हार चुके हैं।


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