15 को बरसाना में तो 16 को नंदगांव में खेली जायेगी लठामार होली

मथुरा – राधा कृष्ण के औलोलिक प्रेम की प्रतीक बरसाना में लठामार होली की तैयारियां अंतिम मुकाम पर है। इस बार यह होली बरसाना में 15 मार्च को और नन्दगांव में 16 मार्च को खेली जाएगी। बरसाने की लठामार होली तीर्थयात्रियों एवं विदेशी पर्यटकों को अचरज और कौतूहल का कारक होती है। सामान्यतया शारीरिक बल के मामले में पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं को कमजोर माना जाता है। सरकार भी महिला सशक्तिकरण के अभियान को जोर शोर से चला रही है मगर हकीकत है कि द्वापर में ही राधारानी ने महिला सशक्तीकरण की नींव उस दिन रखी गई थी जिस दिन नन्द के छोरे (श्यामसुन्दर) ने राधारानी के अच्छे और नये कपड़ों पर रंग डालने की कोशिश की थी और राधारानी के मना करने पर भी वह मान नही रहे थे । उस दिन ही पास पड़ी डंडी को उठाकर वे कान्हा की पिटाई करने दौड़ी थीं। समय के साथ साथ छड़ी ने लाठी का रूप ले लिया। आज तो इस लाठी को लचीला बनाने के लिए इसको तेल पिलाया जाता है तथा गोपियां गोपों से किसी रूप से पराजित न हों इसलिए गोपियों को वसंत से ही ऐसा भोजन दिया जाता है जिससे वे अपने मिशन में पराजित न हों। यह होली भी राधाकृष्ण की प्रेम भरी होली है इसका प्रमाण यह है कि गोपियां गोपों पर लाठी से ऐसा प्रहार करती हैं कि गोपों को किसी प्रकार से चोट न लगे। वे उन पर लाठी से प्रहार तभी करती हैं जबकि गोपों के हाथ में लाठी से बचाव के लिए ढाल हो। यह होली गोप और गोपियों की हंसी ठिठोली की होली होती है । नन्दगांव के हुरिहार यतीन्द्र तिवारी ने बताया कि इस होली की प्रतीक्षा नन्दगांव एवं बरसाने के गोप गोपिया बड़ी बेसब्री से साल भर करते रहते हैं और यही कारण है कि जब इस होली को खेलने के लिए बरसाने की होली के पहले लाड़ली जी की सहचरी होली खेलने का निमंत्रण लेकर बरसाने से आती हैं। हांड़ी में गुलाल भरकर, द्रव्य दक्षिणा रखकर वस्त्र से परिवेष्टित कर , अमनियां भोग, इत्र, बीड़ा आदि लेकर नन्दभवन में पहुंचती हैं और समाज को होली का निमंत्रण सुनाती हैं तो इस खुशी में रसिया गायन एवं नृत्य होता है।