चाय बागानों में हरगिज नहीं बननी चाहिए सेना छावनी

By: Apr 11th, 2019 12:05 am

चचियां  की हसीन वादियों में सेना की छावनी बनाए जाने का मामला तकरीबन एक वर्ष से लटका पड़ा है ।  हालांकि अब गृह मंत्रालय ने इसकी स्टेटस रिपोर्ट मांगी है । गृह मंत्रालय की तरफ से छावनी के निर्माण के लिए 88 हेक्टेयर जमीन मांगी गई है।  इस जमीन का लैंड यूज एक्ट  बदला जा सकता है ।  हिमाचल प्रदेश लैंड सीलिंग एक्ट 1972  के अंतर्गत चाय बागान वाली भूमि का इस्तेमाल अन्य गतिविधियों के लिए इजाजत नहीं देता है। इसी कड़ी में ‘दिव्य हिमाचल’ ने चच्चियां में सेना छावनी बनाए जाने के बारे में लोगों की नब्ज टटोली गई, तो यूं निकले उनके जज्बात…     

                राकेश सूद, पालमपुर

पुश्तैनी रास्तों से आने-जाने में होगी दिक्कत

सीटू जिला सचिव अशोक कटोच कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र में जल, जंगल  और जमीन पर लोगों के पुस्तैनी अधिकार है । उन्होंने शंका व्यक्त की कि छावनी बन जाने के बाद लोगों के अधिकार सुरक्षित नहीं रहेंगे। देश की सुरक्षा के लिए छावनी बनना जरूरी है, लेकिन लोगों के अधिकारों की  प्रोटेक्शन होनी चाहिए। उन्होंने  कहा कि पुस्तैनी रास्तों पर आने-जाने हेतु दिक्कतों का सामना करना पड़  सकता है।

योल-होल्टा जैसे न हो जाएं हालात

शनि सेवा सदन के अध्यक्ष  परविंद्र भाटिया मानते हैं कि प्रदेश में आठवीं छावनी के निर्माण होने से पालमपुर क्षेत्र की उन्नति को चार चांद लगेंगे,  लेकिन लोगों को मुश्किलों का सामना भी करना पड़ सकता है। जिस तरह के मामले योल कैंट व होलटा कैंट में सामने आए हैं । उससे आम जनता भयभीत है । लोगों के पुराने रास्ते बंद कर दिए गए हैं। ऐसे मामलों को ध्यान में रखकर ही छावनी के निर्माण की इजाजत सरकार को दी जानी चाहिए।

छावनी बनने से मेहमानों की गेट से एंट्री नहीं

राजेश सचदेवा का मानना है कि इस छावनी  के निर्माण को देशभक्ति से न जोड़ा जाए। पालमपुर इलाके में पहले ही दो छावनियां होल्टा व अल्हिलाल में  कार्यरत हैं । चंदपुर व आसपास के दर्जनों गांवों के लोगों को मुश्किल का सामना करना पड़ता है। कई घंटे मेहमान छावनी के गेट पर खड़े रहते हैं । उन्हें अंदर दाखिल नहीं होने दिया जाता।  सेना की बंदिशों के कारण आसपास के गांव के लोगों की बहुमूल्य जमीन नहीं बिक पा रही हैं।

सेना की बंदिशों का करना पड़ेगा सामना

मनोज  सूद  चचियां में सेना की छावनी के निर्माण के हक में नहीं है। इनका मानना है कि इस अति सुंदर स्थान को टूरिज्म की दृष्टि से डिवेलप किए जाने की  जरूरत वर्तमान में जरूरत महसूस की जा रही है । छावनी के निर्माण से लोगों की दिक्कतें बढ़ेगी। लोगों को रात में तंग होकर घर पहुंचना पड़ेगा व  सेना की कई बंदिशों से होकर गुजरना पड़ेगा। चाय के बागानों में हरगिज सेना की छावनी नहीं बननी चाहिए।

सेना वादा करे, ग्रामीणों को तंग नहीं करेंगे

अनिल संदल का कहना है कि छावनी के निर्माण से पालमपुर में व्यापार व उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इस इलाके में छावनी का निर्माण सुरक्षा व सेना की दृष्टि से अगर जरूरी है, तो यह भी सुनिश्चित किया जाए कि ग्रामीण लोगों को किसी भी तरह की तकलीफ  न हो । सेना हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए अपनी स्वीकृति प्रदान करें । ऐसा न हो कि ग्रामीणों  को  बार-बार योल कैंट की तर्ज पर आंदोलन करने की नोबत आन पड़े।

सुरक्षा की आड़ में कहीं आम जनता न हो तंग

देवेंद्र कपूर मानते हैं कि  चचियां में नई सेना छावनी बनने से पालमपुर में रोजगार बढ़ेगा । पालमपुर व्यापारियों के लिए भी यह एक शुभ संकेत है। सुरक्षा की दृष्टि से सेना छावनी का निर्माण इस इलाके में एक जरूरत बन गई है, लेकिन सुरक्षा की आड़ में आम  लोगों को तंग न होना पड़े । इसके लिए उपाय अमल में लाए जाने की जरूरत है । सेना लोगों की मुश्किलों को बढ़ाने के बजाय सुविधाएं मुहैया करवाएं।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App or iOS App