अधूरी रह गई हिमालयन रिपॉजिटरी

सोलन —भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग द्वारा महत्त्वाकांक्षी परियोजना के तहत बनाई जा रही देश-विदेश की एकमात्र हिमालयन रिपॉजिटरी (कोष) का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। इस रिपॉजिटरी के समय पर न बनने से हॉलो टाइप इंसेक्ट्स पर अध्ययन करने वाले दुनियाभर के शोधकर्ताओं को अभी और इंतजार करना पड़ सकता है। विभाग द्वारा इस रिपॉजिटरी को पूरा करने के लिए दिसंबर माह तक का टारगेट रखा गया था, लेकिन नए वर्ष का मार्च माह बीत जाने के बाद भी इस रिपॉजिटरी के शुरू होने के आसार कम ही लग रहे हैं। सोलन स्थित भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग के उच्च ऊंचाई क्षेत्रीय अध्ययन केंद्र के अंतर्गत इस रिपॉजिटरी का निर्माण किया जा रहा है। करीब 1.50 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाली यह रिपॉजिटरी उत्तर भारत की पहली हिमालयन रिपॉजिटरी होगी। इससे हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, जे एंड के व उत्तराखंड के वैज्ञानिकों व विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा। इस रिपॉजिटरी में देशभर में पश्चिमी हिमालय प्राणी संपदा पर हुआ शोध रखा जाएगा। रिपॉजिटरी में सैकड़ों हॉलो टाइप इंसेक्ट्स भी रखे जाएंगे। ये होलो टाइप इंसेक्ट्स केवल इसी रिपॉजिटरी में ही मिलेंगे। ऐसे में देश-विदेश में इन इंसेक्ट्स ग्रुप पर अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों व विद्यार्थियों को अपना अध्ययन जारी रखने व शोध पूरा करने के लिए रिपॉजिटरी का दौरा करना ही पड़ेगा। वैज्ञानिकों के लिए यह एक अमूल्य संपदा है और इससे न केवल उन्हें लाभ मिलेगा, वहीं सोलन शहर भी विश्व मानचित्र पर और तेजी से उभरेगा। पश्चिमी हिमालय प्राणी संपदा पर अब तक काफी कार्य हुआ है, लेकिन कोई रिपॉजिटरी न होने के कारण यह सारा शोध बिखरा हुआ है। रिपॉजिटरी बन जाने से एक ही छत के नीचे सारे शोध का रिकार्ड रखा जाएगा। इसके अलावा रखे जाने वाले फौना की स्कैनिंग भी की जाएगी। रिपॉजिटरी स्थापित करने का उद्देश्य यह भी है कि भारतीय प्राणी सर्वेक्षण विभाग द्वारा आज तक किए गए शोध कार्य जनसाधारण तक पहुंच सकें। हिमालयन रेंज में मिलने वाले विलुप्त हो रहे फौना का संरक्षण हो सके।