ओले गिरें, तो तुरंत करें छिड़काव

By: Apr 18th, 2019 12:05 am

 भुंतर—ओलों के राडार पर आ रही कुल्लू की कृषि-बागबानी फसलों को इससे बचाने का फार्मूला वैज्ञानिकों ने सुझाया है। जिला के वैज्ञानिकों ने किसानों-बागबानों को ओले गिरने के बाद कार्बेडाजिम 100 मिली या मेंकोजैब 600 ग्राम मात्रा 200 मिली पानी में मिलाकर छिड़काव करने को कहा है। इसके अलावा वैज्ञानिकों ने तीन से चार दिन के भीतर 200 ग्राम बोरिक एसिड, 500 ग्राम जिंक सल्फेट व 250 ग्राम अनबुझा चूना 200 मिली पानी में मिलाकर इसका छिड़काव करने को कहा है। वैज्ञानिकों ने किसानों-वैज्ञानिकों को सलाह दी है कि ओले गिरने के बाद तुरंत इस फार्मूले को अपनाने पर फसलों को गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकता है। जिला कुल्लू के बागबानों के बागानों में नई फसलें लगनी आरंभ हो गई हैं तो इसके साथ ही ओलों ने भी जिलावासियों को परेशान करना आरंभ कर दिया है। इसी सप्ताह के दौरान मौसम के और खराब रहने का पूर्वानुमान है और ऐसे में और ज्यादा असर ओलों का दिख सकता है। ओलों से जिला के किसानों-बागबानों की सेब, नाशपाती, मटर, टमाटर सहित अन्य फसलों की शामत आई है तो इससे पार पाने के लिए किसान-बागबान विशेषज्ञों के द्वार डेरा डालने लगे हैं। लिहाजा, वैज्ञानिकों ने किसानों-बागबानों को तुरंत फसलों को प्रभावित होने से बचाने के लिए जुट जाने को कहा है। जिला में इस बार सर्दियों में मौसम अनुकूल रहा है, जिससे अच्छी फसल की आस है। हालांकि ओले काम खराब कर रहे हैं और जिला में फ्लावरिंग इससे प्रभावित हुई है तो कई स्थानों पर गुठलीदार फलों प्लम, खुमानी की फसल को इसने जमींदोज कर दिया है। उधर, तेज हवाओं और ओलों से होने वाले नुकसान पर विभाग की भी पैनी नजर है। वहीं जिला भर के किसानों-बागबानों की चिंता मौसम के बदले तेवरों ने और बढ़ा दी है। अप्रैल और मई माह में ओलों का कहर अभी और भी बरपने की आशंका है तो यही बात इन्हें परेशान किए हुए है। वहीं जिला के कृषि-बागबानी वैज्ञानिकों ने फसलों का तुरंत उपचार करने की सलाह जारी की है। बाकायदा किसानों-बागबानों को इस संदर्भ मंे संदेश भेजे जा रहे हैं। बजौरा स्थित बागबानी अनुसंधान केंद्र के सहनिदेशक डा. एचएस भाटिया के अनुसार जिन क्षेत्रों में ओलावृष्टि हो रही है, वहां पर किसानों-बागबानों को तुरंत फसल का उपचार करने में जुट जाना चाहिए अन्यथा कई गंभीर बीमारियां फसलों में लग सकती हैं और ऐसी स्थिति में नुकसान और ज्यादा उठाना पड़ सकता है। उन्होंने किसानों बागबानों को वैज्ञानिकों के फार्मूले के तहत फसलों का उपचार करने को कहा है।


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