गुम्मा-बाघी सड़क पर जानलेवा सफर

ठियोग —सड़क में गड्ढे या गड्ढों में सड़क इसका अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है। गुम्मा-बाघी सड़क के बारे में यह बात आम हैं। गुम्मा-बाघी सड़क जिला ग्रामीण मुख्य सड़क की श्रेणी में आती हैं, जो जुब्बल नावर कोटखाई विधानसभा के सेब बाहुल उबादेश क्षेत्र की  मुख्य सड़क हैं।  गौरतलब हैं यह उबादेश की नौ पंचायतों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क हैं। गुम्मा से बाघी तक टायरिंग पूरी तरह से उखड़ चुकी हैं। इससे 30 किलोमीटर लम्बे सड़क मार्ग के हालात बंद से बदतर हो गए हैं।  इस सड़क पर पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में राजनीति करने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार अब 15 माह का कार्यकाल बीत जाने पर कुंभकर्ण की नींद में सोई हुई है।यह बात पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता  लायक राम  औस्टा, ब्लॉक युवा कांग्रेस अध्यक्ष विक्रम कंवर, जोन प्रभारी प्रकाश चौहान, कृष्ण लाल काल्टा, प्रताप चौहान, जिला कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी प्रेम ठाकुर, सतपाल चौहान, सुनील ठाकुर, पंचायती राज संगठन प्रदेश उपाध्यक्ष  भागचंद चौहान, कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के प्रदेश  उपाध्यक्ष मेघराज धांगटा, विक्रांत जनारथा ब्लॉक किसान कांग्रेस अध्यक्ष जुब्बल नावर कोटखाई, कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारी सुमन रोहटा, इंदु राज, सुमित्रा टंडन, राजेंद्र खोल्टा, हरिदत्त, नरेंद्र डोगरा, ज्ञान चौहान, कृष्ण लाल धांटा, जियालाल धांटा ने जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कही।  उन्होंने कहा कि गुम्मा से खलटूनाला प्रथम भाग सड़क के लिए  केंद्रीय सड़क योजना के तहत बजट स्वीकृत हुआ था। पूर्व कांग्रेस सरकार के समय इस सड़क पर कार्य हो चुका था, लेकिन ज़रूरी रखरखाव  व मुररमत अभाव से सड़क गड्ढो में तब्दील हो चुकी है। खलटूनाला से कलबोग के बीच दूसरे चरण के सड़क निर्माण के लिए केंद्रीय सड़क योजना के तहत 11 करोड़ रुपए पूर्व कांग्रेस सरकार के समय स्वीकृत हुए थे और सड़क निर्माण कार्य भी जोरों पर चल रहा था। जैसे ही भारतीय भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आई हैं तब से सड़क निर्माण कार्य ठप्प पड़ा हुआ है। इसके कारण खलटूनाला से कलबोग कैची तक जगह-जगह सड़क क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।  मिट्टी व पत्थरों के ढ़ेर जगह-जगह पर पड़े हुए हैं, जिसके कारण लोगों को यातायात में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं। कलबोग से बाघी के बीच सड़क तीसरे चरण के निर्माण के लिए पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर के प्रयासों से  लगभग 13 करोड़ रुपए की डीपीआर स्वीकृति के लिए केंद्रीय सरकार को भेजी गई थी, जोकि अभी तक खटाई में पड़ी हुई हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में केंद्रीय सड़क निधि के तहत  कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जिला शिमला के लिए सर्वाधिक स्वीकृति मिली थी और अब जबकि भाजपा सरकार को सत्ता में आए लगभग 15 माह का समय बीत चुका हैं। जिला शिमला के लिए सीआरएफ के तहत एक फूटी कौड़ी तक नहीं मिली हैं। जो भाजपा सरकार की जिला शिमला के प्रति भेदभाव व द्वेषपूर्ण की भावना को दर्शाता हैं। उन्होंने नरेंद्र बरागटा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि ठियोग-हाटकोटी योजना पर पदयात्रा करने वाले बरागटा गुम्मा-बाघी सड़क निर्माण पर क्यों मौन बैठे हुए हैं। बरागटा विपक्ष में रहकर पदयात्रा करते हैं और जब सत्ता में आते हैं तो इनको सड़कों की दयनीय हालत दिखाई नहीं देती। नौ पंचायतों के बागबानों की नकदी फसल सेब इसी मार्ग से गुजरती हैं।  भारतीय जनता पार्टी क्षेत्रवाद की राजनीति करती आई है, जिसका खामियाजा उबादेश की जनता को भुगतना पड़ रहा हैं। अब जबकि सेब सीजन शुरू होने में मात्र तीन महीने का समय शेष हैं। जुब्बल कोटखाई की अधिकांश सड़कों की यही दुर्दशा बनी हुई हैं। मौजूदा परिस्थितियों को देख कर लगता हैं कि बीजेपी की सरकार पहाड़ी क्षेत्रों की जीवन रेखा सड़कों के निर्माण व रखरखाव के लिए गंभीर नहीं हैं। कांग्रेस ने बीजेपी को चेतावनी दी हैं कि यदि गुम्मा-बाघी सड़क को दरुस्त नही किया तो कांग्रेस पार्टी जनता के साथ मिलकर आंदोलन करने पर मजबूर हो जाएगी।