चांद से मल के 96 बैग वापस लाएगा नासा

By: Apr 10th, 2019 12:06 am

अमरीका का अभियान, अंतरिक्ष यात्रियों के 50 साल पहले के अपशिष्टों की होगी जांच

न्यूयार्क –लगभग 50 साल पहले जब मानव ने चांद पर कदम रखा था, तो वे वहां से काफी अहम वैज्ञानिक जानकारी, वहां के पत्थर और मिट्टी लाए थे, लेकिन वे काफी चीजें वहां छोड़कर भी आए थे। इनमें नील आर्मस्ट्रांग के फुट प्रिंट, एक अमरीकन झंडा और मानव अपशिष्ट के करीब 96 बैग शामिल थे। अब वैज्ञानिक चांद पर वापस जाकर दशकों पुराने मानव अपशिष्ट को वापस लाना चाहते हैं, ताकि वहां जीवन की खोज को और आगे बढ़ाया जा सके। गौर हो कि कुल 12 अंतरिक्ष यात्री चांद की सतह पर पहुंचे थे और 96 बैग वहां छोड़कर आए थे, जिनमें उनका मल-मूत्र और अन्य कचरा था। हालांकि अंतरिक्ष यात्रियों ने स्पेस में कुछ दिन से ज्यादा नहीं गुजारे हैं। नासा ने उन्हें इस तौर पर भेजा था कि उन्हें अपने अपशिष्ट को स्पेस में छोड़ने की जरूरत न पड़े। इसके लिए नासा ने अपने अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खास तरह के कपड़े बनवाए थे, जिनमें डायपर भी था, लेकिन अंतरिक्ष यात्रियों को मजबूरी में अपना अपशिष्ट चांद की सतह पर छोड़कर आना पड़ा। दरअसल इस मिशन को इस तरह डिजाइन किया गया था कि स्पेसक्राफ्ट पर निश्चित वजन ही हो सकता था। थोड़ा भी ज्यादा वजन होने से स्पेस क्राफ्ट और अंतरिक्ष यात्रियों की जिंदगी को खतरा था। ऐसे में वे अपने पीछे काफी गंदगी और दूसरी चीजें छोड़ आए, ताकि चांद की मिट्टी और पत्थरों को अपने साथ ले जा सकें। सत्ता में आने के बाद ट्रंप प्रशासन ने नासा के चांद पर जाने के प्रोग्राम में तेजी लाने का फैसला लिया और साल 2024 में फिर से चांद की सतह पर जाने की डेडलाइन तय की। वहां छोड़कर आए बैग को लाने के पीछे नासा की खास मंशा है। नासा उसके जरिए वहां जीवन की खोज को आगे बढ़ाना चाहता है। गौर हो कि चांद का तापमान -170 डिग्री सेल्सियस से 156 डिग्री सेल्सियस तक होता है। मानव का 50 प्रतिशत अपशिष्ट बैक्टिरिया से बना होता है। 100 से भी ज्यादा रोगाणुओं की प्रजातियां हमारी आंतों में होती हैं। वैज्ञानिक इस गंदगी पर रिसर्च कर उसमें मौजूद बैक्टीरिया पर रिसर्च करना चाहते हैं। इस गंदगी के अध्ययन से इस बात की जानकारी मिल सकती है कि स्पेस में जीवन की कितनी संभावना है। साथ ही इससे चांद पर जाने के मिशन पर और बेहतर ढंग से काम किया जा सकता है। वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि मानव अपशिष्ट में क्या अब भी बैक्टीरिया मौजूद हैं?


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