चूड़धार के जंगलों में पहुंचने लगे गद्दी

By: Apr 3rd, 2019 12:05 am

नौहराधार —मैदानों में चिलचिलाती गर्मी होने से भेड़ पालकों ने गर्मियां शुरू होते ही पहाड़ों की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। इन दिनों गद्दियों ने भेड़-बकरियों के साथ मैदानी इलाकों से चूड़धार के जंगलों में पहुंच रहे हैं। इस वर्ष चूड़धार में अत्यधिक बर्फ जमी पड़ी है इसलिए भेड़पालकों को चिंता भी सता रही है कि वहां पर कैसे अपने मवेशियों के साथ रहेंगे, मगर नीचे जिला के मैदानी क्षेत्र पांवटा शंभूवाला में भी अब गर्मी ने दस्तक दे दी है। वहां पर भी गर्मी के चलते भेड़-बकरियों के मरने का डर रहता है। मैदानी इलाकों के लिए यह गद्दी सितंबर-नवंबर माह के मध्य वापस मैदानी क्षेत्र की ओर पलायन करते हैं। चूड़धार के बीच ऊंचाई वाले जंगलों में गद्दी लोगों को अपने भेड़-बकरियों को रखना होगा, क्योंकि ऊंचाई वाले इलाकों में अभी 10 से 12 फुट बर्फ जमी है। कुछ दिन निचले मध्य पहाड़ी क्षेत्र में रहने के बाद यह लोग किन्नौर जिला के छितकुल चले जाएंगे, जबकि यह लोग हर वर्ष छह माह तक चूड़धार के जंगल मंे रहते हैं। छह महीने नीचे जिला के मैदानी इलाकों में अपना डेरा जमाते हैं। भेड़पालकों के अनुसार यह लोग मार्च महीने के शुरू में पांवटा के जंगल से चले थे। करीब एक महीने बाद नौहराधार से सटे जंगल में पहुंचे हैं। कुछ दिन यहां लगाने पर यह छितकुल के लिए निकल जाएंगे। दिन-रात मीलों पैदल सफर कर इन गद्दियों को कई पड़ाव पर जानमाल का खतरा भी रहता है। आंधी हो या तूफान भारी बारिश हो या बर्फ पूरे साल भर इन गद्दियों का जीवन चक्र यूं ही चलता रहता है, जहां इन लोगों को मवेशियों के चोरी का भी डर सताता है, वहीं इसके अलावा जंगलों में जंगली जानवरों का डर रहता है। इसी के चलते आज प्रदेश में भेड़-बकरियों की संख्या में काफी कमी आई है। यही कारण है कि यह कारोबार लगभग सिमटता जा रहा है। कठिन परिस्थितयों में जनजातीय जिला कुल्लू व किन्नौर जिला के गद्दी समुदाय के लोग पैदल सफर कर सिरमौर तक अपने मवेशियों को चरागाह के लिए ले जाना पड़ता है।


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