‘नगर निगम’ का मुद्दा छुड़ाएगा पसीने

By: Apr 16th, 2019 12:05 am

सोलन—सोलन को नगर निगम का दर्जा न मिलने का मुद्दा लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से जोरों-शोरों से उठने वाला है और शहर की जनता नेताओं से इस बारे में सवाल-जवाब करने के मूड़ में है। प्रदेश की राजधानी शिमला के बाद सबसे तेजी से विकसित होने वाला सोलन शहर पिछले कई वर्षों से नगर निगम बनाए जाने की आस संजोए बैठा है। लेकिन न तो पिछली सरकार और न ही वर्तमान सरकार ने इस ओर गंभीरता से ध्यान दिया है, जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। तेजी से विकसित हो रहे सोलन शहर की आबादी में भी निरंतर बढ़ोतरी हो रही है और जनसंख्या 60 हजार के पार पहुंच चुकी है। सोलन ने अपनी भौगोलिक परिस्थितियों व आबादी के कारण मंडी व पालमपुर को पछाड़ दिया है। जनसख्या में हो रही वृद्धि के साथ ही शहर की जरूरतों की मांग भी बढ़ती जा रही है, जिस कारण यहां की लगभग हर योजना पर अतिरिक्त भार भी पड़ रहा है। इन सभी पहलुओं को देखते हुए नगर परिषद सोलन का दर्जा बढ़ाकर नगर निगम बनाए जाने की मांग जोर पकड़ने लगी थी। उल्लेखनीय है कि स्मार्ट सिटी की दौड़ में पिछड़ने के बाद सोलन को नगर निगम बनाए जाने की सुुगबुगाहट आरंभ तो हुई थी, लेकिन तीन वर्ष से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी सोलन को नगर निगम का दर्जा नहीं मिल पाया है। हालांकि नगर निगम बनने से शहर के विकास को नई गति मिलनी है। नगर निगम बन जाने से जहां शहर में आधारभूत ढांचे के विकास में तेजी आएगी वहीं लोगों को भी निगम की तमाम सुविधाएं मिल पाएंगी।

ये बातें हैं पक्ष में

सोलन नगर परिषद को नगर निगम बनाए जाने को लेकर कई ऐसे मुद्दे हैं जिस कारण इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। सोलन प्रदेश का नहीं बल्कि उत्तरी भारत का सबसे तेजी से विकसित हो रहा शहर है। सोलन को एजुकेशन हब के नाम से जाना जाता है। परवाणू से शिमला तक फोरलेन का कार्य चल रहा है जो कि सोलन से होकर ही जाएगा। वहीं, चंडीगढ़ से कम दूरी और रेलमार्ग का होना भी सोलन के पक्ष में रहा है। इन सभी बातों के चलते सोलन को नगर निगम बनाए जाने की योजना सिरे चढ़ने चाहिए।

ये सब होंगे बदलाव

सोलन नगर परिषद को नगर निगम बनाए जाने के बाद कई बदलाव भी होंगे। सर्वप्रथम तो नगर निगम कार्यालय में नए पदों का सृजन होगा। इनमें मेयर व डिप्टी मेयर सहित नप कार्यकारी अधिकारी की बजाए कमीशनर की तैनाती की जाएगी और यह एचएएस रैंक का अधिकारी होगा। इसके अलावा कार्यालय में इंजीनियर सैल का गठन होगा, सुपरिटेंडेंट ग्रेड-1 व ग्रेड-2 की नियुक्ति होगी और पुराने पदों की संख्या में भी वृद्धि होगी। अभी नप सोलन में 15 वार्ड हैं लेकिन नगर निगम बनाए जाने के बाद सोलन के साथ लगती पंचायतों के कुछ क्षेत्रों को शामिल कर नए वार्डों का गठन किया जाएगा और 20 या उससे अधिक वार्ड बनाए जाएंगे।

विस चुनाव में दोनों पार्टियों ने बनाया था मुद्दा

शहर की आवश्यकताओं को देखते हुए विधानसभा चुनाव में भी दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों ने सोलन को नगर निगम बनाए जाने को मुद्दा बनाया था। दोनों दलों ने इस मुद्दे को भुनाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन उसके बावजूद भी यह मुद्दा सिरे नहीं चढ़ पाया है। 

नगर निगम संघर्ष समिति भी पिछले दो वर्षों से प्रयासरत

नगर निगम की मांग की प्रमुखता को देखते हुए जुलाई 2017 में शहरवासियों ने नगर निगम संघर्ष समिति का गठन किया था। इसमें लगभग सभी पार्टियों के नुमाइंदे शामिल हैं, हालांकि वे सभी दलगत राजनीति से उपर उठकर सोलन को नगर निगम बनाए जाने के लिए प्रयासरत हैं। समिति की ओर से पिछले दो वर्षों से लगातार अपने स्तर पर व शहरवासियों के साथ मिलकर कई अनोखे प्रयास किए गए हैं। इनमें सर्वप्रथम करीब 8 हजार लोगों के हस्ताक्षर करवाना, वहीं समय-समय पर मुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों से मिलना शामिल हैं। इसके अलावा करीब 750 स्टिकर बनाकर नगर निगम बनाए जाने की मांग करना और शहरवासियों की ओर से मुख्यमंत्री को करीब 450 पोस्टकार्ड भिजवाना भी शामिल है। नगर निगम संघर्ष समिति के संयोजक कुल राकेश पंत ने कहा कि पिछले लगभग दो वर्षों से सोलन को नगर निगम का दर्जा दिलाए जाने के लिए प्रयासरत है। समिति के सदस्यों का एकमत है कि जब तक सोलन को नगर निगम का दर्जा नहीं मिल जाता तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।


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