नशे की हुनरमंद कालिख

By: Apr 11th, 2019 12:05 am

– नितिश धीमान, जवाली

नशे के खिलाफ शुरुआती जंग का बीड़ा तो समाज ने उठा लिया, परंतु अब भी युवा इस जंजाल से बाहर निकल पाने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं। ताज्जुब की बात तो यह है कि अब अगर इंजीनियरिंग व एमबीबीएस कर रहे छात्र चिट्टे के संपर्क में आ चुके हैं, तो इन पेशों की डगमगाती पीढ़ी किस ओर जा रही है, सोचना होगा। खाकी ने नशे की इस खेप पर अंकुश लगाकर सराहनीय कार्य किया है, परंतु यहां सवाल यह है कि आखिर हमारी युवा पीढ़ी इस जाल से मुक्त होने के बजाय इसमें फंसती क्यों जा रही है? एमबीबीएस कर रहे छात्रों के हाथ अगर चिट्टे से रंगने लगे हैं, तो चिंता लाजिमी है, क्योंकि लोगों के स्वास्थ्य की गारंटी देने वाला पेशा ही अपने स्वास्थ्य और भविष्य को दरकिनार कर अंधेरे की ओर कदमताल करने लग पड़ा है। वहीं अगर निर्माण में निपुणता हासिल करने वाला जज्बा व हुनर  भी नशे में अपनी संलिप्तता को दिखाने लगा है, तो नशे के बढ़ते इस प्रकोप को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। नशे को तब तक पूर्णतः समाप्त नहीं किया जा सकता है, जब तक इसमें संलिप्त व्यक्ति इससे लड़ने का साहस नहीं जुटाते। ऐसे में युवाओं को इस जहर के नुकसान को समझते हुए इसे छोड़ने का प्रण लेना होगा, वरना नशे का यह अंधकार न सिर्फ युवाओं, बल्कि देश-प्रदेश के भविष्य को भी कभी सुनहरा नहीं होने देगा।


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