पशु एक मूक जानवर, उनका दर्द केवल चिकित्सक ही समझ सकता है
नाहन—पशुधन के बिना कृषि की कल्पना भी नहीं की जा सकती है और पशुधन को बेहतर चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने में पशु चिकित्सक अहम भूमिका निभाते हैं, जो कि एक बहुत ही चुनौतीपूर्वक कार्य है। यह बात उपायुक्त सिरमौर ललित जैन ने शनिवार को माता बालासुंदरी गोशाला के सभागार में विश्व पशु चिकित्सा दिवस के उपलक्ष्य पर पशुपालन विभाग द्वारा आयोजित एकदिवसीय संगोष्ठी के उपलक्ष्य पर उपस्थित वैटरिनरी चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि पशु एक मूक जानवर है, जिनका दर्द केवल पशु चिकित्सक ही समझ सकते हैं और पशुओं की सेवा करना एक बहुत बड़ा पुनीत कार्य है। उपायुक्त ने विश्व पशु चिकित्सा दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह प्रसन्नता का विषय है कि पशु चिकित्सा संघ द्वारा विश्व पशु चिकित्सा दिवस को वर्ष 2000 से आयोजित करना आरंभ किया गया था और इसे हर वर्ष अपै्रल महीने के अंतिम शनिवार को मनाया जाता है, जिसमें पशु चिकित्सकों द्वारा पशुधन को लगने वाली विभिन्न बीमारियों के उन्मूलन और पशुओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने और पशुधन उपयोग कृषि व अन्य घरेलू कार्य में किए जाने के बारे में चर्चा की जाती है, जिसमें पशु विशेषज्ञ अपने बहुमूल्य सुझाव देते हैं। उन्होंने पशु चिकित्सकों का आह्वान किया कि वह विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालकों के साथ समन्वय स्थापित करके उन्हें पशुओं के रखरखाव और दुधारू पशुओं को आय का साधन बनाने आदि के बारे में जानकारी दी जाए। उन्होंने कहा कि पशुधन का विशेषकर कृषि क्षेत्र में बहुत योगदान है और पशुधन ही किसानों की अतिरिक्त आय का साधन भी बनते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा पशुओं को लावारिस छोड़ने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है, जिसके लिए पशु चिकित्सक किसानों को इस बारे में जागरूक करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। उपायुक्त ने इस मौके पर उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान करने वाले पशु चिकित्सकों, फार्मासिस्ट सहित अन्य कर्मचारियों को सम्मानित किया, जिनमें पशु चिकित्सक डा. अभिषेक गांधी, डा. अंकुर गुप्ता, फार्मासिस्ट तोता राम और राकेश, राजू आदि को सम्मानित किया गया। उपनिदेशक पशुपालन विभाग डा. बीबी गुप्ता ने मुख्यातिथि का स्वागत किया ।
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