बिगड़ैल मौसम ने डराए बागबान
भुंतर—जिला कुल्लू के करीब 500 करोड़ से अधिक के बागबानी कारोबार को ओलों की बारिश चिढ़ा रही है। जिला के बागबानों को मौसमी तेवरों ने डराना शुरू कर दिया है। बंपर सैटिंग की आस में बैठे जिला के बागबानों को ओलों की चिंता सता रही है। गत दिन रूपी-पार्वती घाटी में ओलावृष्टि ने एकाएक बागबानों को चिंतित कर दिया था। आने वाले दिनों मंे मौसम विभाग ने फिर से इस प्रकार की बारिश की भविष्यवाणी की है। लिहाजा, बागबानों को अपनी फसल को इस विपदा से बचाने की चुनौती होगी। जानकारी के अनुसार रूपी-पार्वती घाटी में सोमवार को बारिश के साथ ओलावृष्टि हुई है। हालांकि बारिश से टमाटर उत्पादकों और अन्य किसानों को राहत मिली है। घाटी में लहसुन, गोभी और मटर के किसानों को बारिश का इंतजार था और सोमवार को किसानों की आस पूरी हो गई। दूसरी ओर घाटी में नाशपाती और सेब में फ्लावरिंग की प्रक्रिया जारी है और सेंटिंग हो रही है। बागबानों को आगामी दो सप्ताह तक मौसम साफ रहना जरूरी है, जिससे बेहतर सेटिंग हो सके, लेकिन मौसमी तेवर बागबानों को चिंता में डाल रहा है। बता दें कि इस बार घाटी में बंपर फसल की उम्मीद बागबानों को है। सर्दियों में अनुकूल मौसम रहने के कारण बागबानों के चेहरों पर रौनक है और प्लम, खुमानी के बाद नाशपाती और सेब के पेड़ों पर खिल रहे पूरी तरह से स्वस्थ फूल इनके अरमानों को हवा मिली है लेकिन अब ओले काम खराब करने की तैयारी में है। तेज हवाओं के कारण जिला के भुुंतर, कुल्लू और अन्य स्थानों पर बिजली की आंखमिचौनी भी आरंभ हो गई। मौसम विभाग के अनुसार आगामी एक सप्ताह में फिर से इसी प्रकार का मौसम देखने को मिलेगा जिससे फसल प्रभावित हो सकती है। जानकारी के अनुसार घाटी के दियार, गड़सा, मणिकर्ण के कई ईलाकों में हल्की ओलावृष्टि हुई, लेकिन इससे किसी भी बड़े नुकसान की खबर नहीं है। बागबानी अनुसंधान केंद्र बजौरा के सहनिदेशक डा. एचएस भाटिया के अनुसार फ्लावरिंग की प्रक्रिया फसल के लिए सबसे अहम समय है और ऐसे में बागबानों को फसल का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। उन्होने बागबानों को ओलावृष्टि से बचने के लिए यूरिया, कॉरबेंडाजिम और मैंकोजेब की स्प्रे करने की सलाह भी दी है। बहरहाल, कुल्लू के बागबानों को ओलों की टेंशन सताने लगी है।
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