सरकारें बदलीं पर बिलासपुर अस्पताल वैसे का वैसा

By: Apr 17th, 2019 12:05 am

नम्होल (बिलासपुर)—सरकार चाहे किसी भी दल की हो लेकिन बिलासपुर के अस्पताल पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ता है। हालांकि राजनेता व्यवस्था के चाक चौबंद होने का पूरा दम भरते हैं वास्तविकता दावों से कोसों दूर है। जिला भर में एक ही गायनी स्पेशलिस्ट है जो दिन रात मुख्यालय के क्षेत्रीय अस्पताल में न सिर्फ शहर बल्कि पूरे जिले के साथ-साथ सीमाओं के जिलों का कार्यभार भी देख रही है। हर दिन करीब दो सौ मरीजों की ओपीडी तथा इंडोर में चालीस से पचास मरीजों को देखना यहां की एक मात्र गायनी स्पेशलिस्ट डा. अनुपम शर्मा की रोजमर्रा में शुमार है। यही नहीं दिन-रात की एमर्जेंसी कॉल को अटेंड करने के साथ रूटीन के आपरेशन और एमर्जेंसी के आपरेशन करना भी इन्हीं की जिम्मेदारी है। यही नहीं बिलासपुर में करीब छह महीने से एनेस्थीसिया चिकित्सक नहीं है। एक समय यहां तीन-तीन एनेस्थीसिया चिकित्सक होते थे लेकिन अब एक भी नहीं है। आपरेशन के लिए घुमारवीं से उधार पर चिकित्सक को बुलाया जाता है।  यहां पर एक सर्जन के सहारे व्यवस्था को ढोया जा रहा है। युवा चिकित्सक डा. ऋषि नभ का हाल भी ऐसा ही है। इंडोर, आउट डोर तथा एमर्जेंसी का बोझ भी इन्हीं पर है। यहां पर करोड़ों रुपए की सीटी स्कैन मशीन नवंबर-2018 से खराब चल रही है। जबकि रेडियोलॉजिस्ट भी एक ही है। आपरेशन थियेटर में व्यवस्था को सुचारू रखने के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। एक ओटीए के सहारे सभी रोगों के मरीजों के आपरेशन किए जा रहे हैं। ऐसे में एक अकेला ओटीए कहां-कहां अपनी सेवाएं दें। उल्लेखनीय है कि निजी स्वास्थ्य संस्थानों में अपना इलाज करवा पाना हर किसी के वश में नहीं है। ऐसे में सरकारी अस्पताल ही सहारा होता है, लेकिन दूरदराज क्षेत्रों से आने वाले लोगों को यहां पर आकर निराशा ही हाथ लगती है जब उन्हें चिकित्सक की सेवाएं नहीं मिल पाती है। वहीं, दूसरी ओर वर्तमान विधायक चुनावों से पूर्व अस्पताल को आए दिन अपने प्रेस बयानों में निशाना बनाते रहे हैं, लेकिन अब जब वे खुद सता में है तो व्यवस्था को दुरुस्त करने में असफल साबित हो रहे हैं।


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