सिद्धपीठ श्री कामाख्या माता

By: Apr 13th, 2019 12:06 am

भक्तों के लिए सुख संतति एवं सौभाग्यदायिनी है मां कामाख्या देवी। देवी-देवताओं के पावन प्राचीन मंदिरों के लिए विख्यात पर्वतीय प्रदेश हिमाचल को देवभूमि नाम से जाना जाता है। यहां वर्ष भर भक्तों का तांता लगा रहता है। अटूट आस्था के चलते दूर-दूर से भक्तजन इन मंदिरों में नतमस्तक होते हैं, वहीं इन स्थलों पर लगने वाले नवरात्र मेलों का आयोजन सभी को अपनी तरफ  आकर्षित करता है। इन्हीं प्राचीन मंदिरों में ऊना जिला के अंब उपमंडल के पोलियां पुरोहितां में प्राकृतिक सौंदर्य के बीचोंबीच स्थित प्राचीन सिद्धपीठ श्री कामाख्या देवी का मंदिर भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस देव स्थल के इतिहास के बारे में बताते है कि मां कामाख्या देवी का मंदिर असम के गोवाहाटी में है। वहीं दूसरा एकमात्र मंदिर देवभूमि हिमाचल के पोलियां पुरोहितां में मां कामाख्या देवी धाम के नाम से विख्यात है। प्राचीन पीठ पोलियां पुरोहितां मंदिर के पुजारी ने  बताया कि इस मंदिर में मां के तीन रूपों के नाम से विख्यात माता काली, मातंगी, कामाख्या देवी पिंडी स्वरूप में विद्यमान है। जहां भक्तजन आकर नतमस्तक होते हैं तथा अपने परिवार की कुशलता व खुशहाली की कामना करके मां के दर्शन करने हेतु दूर-दूर से पहुंचते हैं । वर्णनीय है कि कलियुग में आदिशक्ति भगवती की उपासना से सुख और सौभाग्य की वृद्धि होती है एवं आपत्ति, विघ्न की निवृति होती है। सचिदानंद भगवती वात्सल्य सुध की धरा से निःसंतान के जीवन में ज्ञान, भक्ति एवं प्रेम रस का अधोसिंचन करती है। मां के दरबार में होने वाले विश्व कल्याणकारी एवं सर्वहितकारी महायज्ञ फलदायक है। इस दरबार मे भक्तों की प्रत्येक कामना पूरी  होती है। ऐसी मान्यता है कि मां कामाख्या देवी जी के पावन दरबार में सच्चे मन से भक्तजन जो भी कामना करते हैं, मां कामाख्या जी की कृपा से भक्तों की खाली झोली जरूर भरती है। मां के मंदिर परिसर में ही कामेश्वर महादेव मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है। मां के दरबार में हर वर्ष चैत्र नवरात्र में शतचंडी महायज्ञ का आयोजन होता है। यहां संक्रांति पर भंडारे का आयोजन भी होता है। मंदिर परिसर में भव्य  यज्ञशाला, लंगर भवन भी आस्था व आकर्षण के केंद्र बने हुए है। ट्रस्ट द्वारा भक्तों के लिए  सुविधाओं व लंगर की व्यवस्था की गई है। मां कामाख्या देवी जी के पावन धाम तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग जुड़ा है अंब तहसील मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर, अंब-हमीरपुर सड़क के किनारे कलोहा से लगभग 9 किलोमीटर दूरी पर है।

– राजेंद्र पंडित, गोंदपुर बनेहड़ा


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