सूखी नहर में पानी तलाशती बल्ह की उपजाऊ जमीन

By: Apr 12th, 2019 12:05 am

गागल—मिनी पंजाब से विख्यात बल्ह क्षेत्र की कृषि मुख्यतः सिंचाई के पर्याप्त साधनों की बदौलत ही सोना उगलती है। छोटी-छोटी सिंचाई स्कीमों के साथ यहां दो बड़ी तथा महत्त्वाकांक्षी सिंचाई योजनाएं भी बल्ह वैली में चल रही हैं। इनसे बल्ह क्षेत्र में हजारों बीघा जमीन में सब्जियों व अन्य नकदी फसलों का पर्याप्त उत्पादन होता है। लगभग दो दशकों ज्यादा समय से दक्षिण तट की हजारों बीघा जमीन की प्यास बुझाती बल्ह वैली सिंचाई योजना की नहर इस बार विभागीय लापरवाही का शिकार हो चुकी है। यह नहर सकरोहा से आगे की सैकड़ों बीघा जमीन के कृषि कार्यों पर पूर्ण विराम लगाती नजर आ रही है।  सकरोहा से आगे गोड़ा गागल के पास बरसात में पहाड़ी से मलबा खिसकने से नहर अवरुद्ध हुई पड़ी है, लेकिन बरसात के बाद भी सात महीने बीतने पर भी स्थिति ज्यों की त्यों है। यही नहीं, गागल से आगे भी कई स्थानों पर बरसात में ल्हासे गिरने से मलबा नहर में भर पड़ा है तथा लगभग गागल से टिक्कर तक पूरी नहर गाद व खरपतवार से भरी पड़ी है। इसको अभी तक विभाग ने साफ नहीं करवाया है, जिसके चलते इस नहर में खेती सिचाईं के लिए पानी लाना असंभव है। गौरतलब है कि बरसात के बाद हर वर्ष विभाग फरवरी से पहले इस नहर की सफाई करवा कर गाद-मिट्टी नहर से निकलवा कर पानी नहर में छोड़ देता था, जिससे समय पर किसान अपनी नकदी फसलें व सब्जियों की सिंचाई कर सकता था, लेकिन इस बार अप्रैल के दूसरे सप्ताह की समाप्ति तक भी सकरोहा से आगे नहर की सफाई नहीं हुई है। ऐसे में सैकड़ों किसान पानी के अभाव में अपनी फसलों की न तो सिंचाई कर पा रहे हैं न ही टमाटर जैसी नकदी फसल को लगाने के लिए पानी उपलब्ध हो रहा है। जरूरतमंद किसान खड्ड-नालों से सिर पर पानी ढो कर टमाटर के लगाए पौधों को पानी देने के लिए पसीना बहा रहा है। यहीं नहीं, प्याज, लहसुन, घीया, तोरी, खीरा आदि की नकदी फसलें कड़कती धूप में भी बिना पानी के सूखने के कगार पर हैं, जिन्हें बचाए रखने के लिए पानी ढोने हेतु किसान को अपना खून पसीना एक करना पड़ रहा है। क्षेत्र के किसान सरकार एवं सिंचाई विभाग की इस कारगुजारी से बेहद असंतुष्ट है तथा विभाग से अविलंब नहर की दशा सुधारकर उसमें पानी छोड़ने की मांग कर रहे हैं। अन्यथा इस लापरवाही से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए विभाग तथा सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। गागल से आगे गोड़ा, चंदयाल, पिपली कठवाडी,   नडोल, मलवाना, नघरवाड़, टिक्कर आदि गांवों की नहर के साथ लगती जमीन में सैकड़ों किसान आजकल टमाटर एवं अन्य नकदी फसलों को लगाते हैं। इससे उनकी साल भर की आर्थिकी टिकी है, लेकिन सिंचाई सुविधा बाधित होने से इनका समूचा गणित गड़बड़ा गया है, और किसान आक्रोश में है।  टिक्कर से आगे तो नहर लगभग अपना अस्तित्व खो ही चुकी है। क्योंकि  उचित रखरखाव न होने के कारण यहां से आगे नहर का पानी कभी जा भी नहीं पाया है।

क्या कहते हैं आईपीएच के एक्सईएन

आईपीएच के एक्सईएन छबील चंद ने बताया कि गागल के पास पहाड़ी से मलबा गिरने से नहर अवरुद्ध हो गई है। ल्हासे व नहर में मलबा या खरपतवार पड़े हैं, इसे एक डेढ़ हफ्ते में साफ करवा दिया जाएगा तथा नहर में सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी छोड़ दिया जाएगा।


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