हजार छात्रों की सरकारी स्कूलों से तौबा

By: Apr 15th, 2019 12:05 am

पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं, तो बच्चों को क्यों करवाएं दाखिल !

शिमला -हिमाचल के सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़ाने का सरकार व शिक्षा विभाग का सपना इस साल भी पूरा नहीं हुआ है। नए सत्र से इस बार सरकारी स्कूलों से लगभग एक हजार छात्रों की संख्या कम हुई है। इस बार फिर से प्रदेश में सौ से भी ज्यादा ऐसे स्कूल हो गए है, जहां पर छात्रों की संख्या दस से भी कम है। ऐसे में अब शिक्षा विभाग की चिंता और बढ़ने लगी है। जानकारी के अनुसार इस बार प्राइमरी स्कूलों से ज्यादा छात्रों ने एक स्कूल छोड़कर दूसरे में दाखिला लिया है। वहीं, इन में से ज्यादातर ऐसे छात्र हैं, जो निजी स्कूलों में दाखिला ले चुके हैं। हैरानी इस बात की है कि स्कूल छोड़ने के पीछे अध्यापकों ने प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की कमी बताया है। शिक्षा विभाग के मुताबिक कुछ जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों के प्राइमरी स्कूलों में एक ही शिक्षक है। एक शिक्षक होने के चलते छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। दरअसल विभाग ने हाल ही में कहा था कि जो छात्र स्कूल बदलते हैं, उनके अभिभावकों को पहले इसका कारण ्रबताना होगा। इस साल छात्रों को सरकारी स्कूलों से निकालने के पीछे अभिभावकों ने शिक्षकों की कमी का ही तर्क दिया है। शिक्षा विभाग ने अंदेशा जताया है कि लगभग एक हजार छात्रों ने इस साल सरकारी स्कूलों से दाखिले कैंसिल करवाए हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार इस साल दस से कम छात्रों वाले स्कूलों की संख्या का आंकड़ा भी ज्यादा हो गया है। बताया जा रहा है कि सौ से ज्यादा स्कूल इस बार भी ऐसे हो गए है, जहां पर दस से भी कम छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। गौर हो कि राज्य के समर और विंटर स्कूलों में नया सेशन शुरू हो गया है। दोनों ही स्कूलों में लगभग दाखिले पूरे हो गए हैं। बता दें कि प्राइमरी के बाद मिडल और हाई स्कूल में भी छात्रों के दाखिले का रेशो कुछ सही नहीं है। हालांकि इसमें नया यह है कि जमा एक व दो में दाखिला लेने वाले छात्रों ने भले ही स्कूल बदला हो, लेकिन उन्होंने दूसरे सरकारी स्कूल में ही दाखिला लिया है। यानी की शिक्षकों के न होने की वजह से पांच या दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित दूसरे सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेकर अपनी आगे की पढ़ाई को सुचारू कर रहे हैं। शिक्षकों की कमी के चलते जिस तरह से सरकारी स्कूलों से छात्रों की संख्या कम होती जा रही है, उससे सवाल यह उठता है कि एक साल से शिक्षकों के पदों को भरने के शिक्षा विभाग के दावे कहां हवा-हवाई हो गए। शिक्षा विभाग ने टीजीटी, पीजीटी, व अन्य कैटेगरी के तहत सरकारी स्कूलों में एक साल में 5000 से ज्यादा शिक्षकों को नियुक्तियां दीं, लेकिन वे शिक्षक कहां गए, यह समझ से परे है। फिलहाल एक साल में हजारों छात्रों का सरकारी स्कूल को छोड़कर जाना  चिंतनीय विषय है। प्रदेश सरकार ने सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाई हैं। उन योजनाओं को सफल बनाने के लिए शिक्षा विभाग ने लाखों का बजट भी खर्च किया है। अहम यह है कि सरकारी स्कूलों में छात्रों की इनरोलमेंट बढ़ाने के लिए अखंड शिक्षा ज्योति-मेरे स्कूल से निकले मोती योजना भी ठंडे बस्ते में पड़ गई है। सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अब शिक्षा विभाग की कौन सी योजना सफल होगी, यह देखना अहम रहेगा।

छात्रों की रेशो का जल्द बनेगा यू-डाइज डाटा

जिलों से रिपोर्ट आने के बाद अब समग्र शिक्षा के तहत छात्रों का यू-डाइज डाटा बनाने की एसएसए ने तैयारी कर ली है। समग्र शिक्षा के निदेशक आशीष कोहली ने बताया कि इसके तहत इस साल सरकारी स्कूलों से कितने छात्रों ने दाखिला लिया और कितने छात्र स्कूल छोड़कर निजी स्कूलों में गए, इससे संबधित पूरी जानकारी ऑनलाइन यू-डाइज पर चढ़ाई जाएगी।

सोलन, सिरमौर जिला में सबसे ज्यादा घटे छात्र

विभागीय जानकारी के अनुसार सोलन, सिरमौर जिले के सरकारी स्कूलों, खासकर प्राइमरी में, छात्रों का रेशो सबसे कम हुआ है। इन दोनों जिलों के बाद चंबा, बिलासपुर और शिमला के सरकारी स्कूलों से छात्रों ने इस साल मुंह मोड़ा है। शिक्षा विभाग ने इन जिलों से छात्रों के कम होने का कारण उपनिदेशकों से मांगा है। उपनिदेशकों को इस माह के अंत तक स्कूलों का दौरा करने के बाद शिक्षा निदेशालय रिपोर्ट भेजनी होगी।

साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचा पेट्रोल

नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पेट्रोल रविवार को छह पैसे महंगा होकर इस साल के उच्चतम स्तर 72.92 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गया। डीजल सात पैसे चढ़कर 66.26 रुपए प्रति लीटर के भाव बिका जो दो सप्ताह से ज्यादा का उच्चतम स्तर है।


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