हौसले ने विश्व मोहन को बना दिया एचएएस

By: Apr 3rd, 2019 12:07 am

किस्मत और मेहनत साथ हो तो क्यों न परिणाम रंग लाएंगे। कुछ ऐसा ही साथ दिया इन दोनों ने विश्व मोहन का। उपमंडल संगड़ाह के अंतर्गत आने वाले दूरदराज गांव घरडि़या  में 6 मार्च, 1995 को जन्मे 23 वर्षीय होनहार विश्व मोहन देव चौहान एचएएस प्रोपर परीक्षा पास कर क्षेत्र के अन्य छात्रों के लिए प्रेरणा स्रोत बन चुके हैं। अपने गांव के समीपवर्ती मां भगवती स्कूल हरिपुरधार से प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 2017 में उद्यान एवं वानिकी विश्वविद्यालय से नौणी से बीएससी की। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके विश्व मोहन वर्तमान में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से हॉर्टिकल्चर में एमएससी कर रहे हैं तथा पढ़ाई के लिए उन्हें जूनियर रिसर्च फैलोशिप अथवा छात्रवृत्ति मिल रही है। हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवाओं के नतीजों के मुताबिक 12वां रैंक हासिल कर एचएएस प्रोपर अथवा एसडीएम नियुक्त हुए इस मेधावी छात्र के पिता जीवन सिंह आईपीएच विभाग में बतौर पंप आपरेटर कार्यरत हैं। कुछ साल तक सिलाई-कढ़ाई अध्यापिका रही उनकी मां कमला देवी गृहिणी हैं। दूरदराज के गांव में पैदा हुए इस छात्र की कामयाबी से क्षेत्रवासी व उनके करीबी काफी उत्साहित हैं। एचएएस प्रोपर नियुक्त होने वाले वह उपमंडल के दूसरे व रेणुकाजी विधानसभा क्षेत्र के तीसरे युवक हैं। हालांकि पिछले पांच वर्षों में उपमंडल संगड़ाह से आठ युवा अलग-अलग रैंक पर हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवाएं परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं। दिव्य हिमाचल से बातचीत में विश्व मोहन ने कहा कि वह अपनी कामयाबी का श्रेय माता-पिता, गुरुजनों एक सेवानिवृत्त एचएएस तथा अपनी मेहनत को देते हैं। उन्होंने कहा कि उनके संबंधी एवं पूर्व अधिकारी हृदय राम चौहान ने उन्हें उक्त परीक्षा के लिए काफी प्रोत्साहित किया। उनका अगला लक्ष्य आईएएस की परीक्षा है। आगामी जून माह में उनकी स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी हो जाएगी तथा वह नौकरी के साथ-साथ आगे की पढ़ाई भी जारी रखना चाहेंगे। बीएचयू में पढ़ने वाले वह क्षेत्र के पहले छात्र हैं।

मुलाकात : कठिनाइयों से घबराना मूर्खता है…

इतनी कम उम्र में ऐसी सफलता तक पहुंचना किन बातों पर निर्भर रहा ?

मेरी राय में यह एक गलत धारणा है कि 4-5 प्रयासों के बाद ही सिविल सर्विस की परीक्षा पास की जा सकती है। दृढ़ संकल्प और सही दिशा में तैयारी होने की सूरत में पहले अटेम्प्ट में ही एचएएस निकालना मुश्किल नहीं है।

अब तक के अध्ययन से किनारा क्यों किया और ऐसा क्यों न माना जाए कि आपने शिक्षा के उद्देश्य ही बदल दिए ?

शिक्षा का मूल उद्देश्य समाज सेवाअथवा समाज की बेहतरी के लिए कुछ कर गुजरना है। वर्तमान में प्रशासन का मतलब केवल राजस्व विभाग अथवा कानून ही व्यवस्था नहीं, बल्कि अधिकतर विकास कार्य व सरकार की नीतियां भी प्रशासन के माध्यम से लागू होती हैं। प्रशासन में विशेषज्ञों की भी जरूरत रहती है।

अपने परिवेश से बाहर निकलने का प्रोत्साहन- प्रेरणा कहां से पाई ?

करीब 14 साल की उम्र में अपने क्षेत्र व जान-पहचान के एक एचएएस अधिकारी हृदय राम चौहान से प्रभावित होकर प्रशासनिक अधिकारी बनने की ठान ली थी। मेरी राय में दृढ़ संकल्प व सही कार्यशैली से सफलता मिलना तय है।

प्रशासनिक सेवा ही क्यों ?

समाज व हिमाचल की सेवा करने का ज्यादा अवसर मिलेगा। हिमाचल जैसे बागबानी वाले राज्य में 6 साल की हॉर्टिकल्चर की पढ़ाई का लाभ जरूर मिलेगा।

आपके भीतर की कोई तीन शक्तियां, जिन्होंने मुकाम तक पहुंचाया?

परखने की शक्ति, निर्णय की, सामना करने की शक्ति।

जो खुद में अखरता है या जहां विश्व मोहन खुद से असहमत हैं?

मैैं समझता हूं, मैंने कोई ऐसा काम नहीं किया जिससे आत्मग्लानि हो।

प्रशासनिक सेवा में जाने की तैयारी कब शुरू की और इस सफलता के लिए आपकी मेहनत का कैलेंडर कैसे बना ?

7वीं कक्षा में प्रशासनिक अधिकारी बनने का विचार आया और उसी साल अपने परिचित एसोसिएट रजिस्ट्रार हिमाचल प्रदेश सहकारी सभाएं शिमला से इस बारे बात की। 2017 में जेआरएफ  परीक्षा के साथ-साथ एचपीएएस की तैयारी भी शुरू कर दी थी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर की पढ़ाई के दौरान भी तैयारियां जारी रखीं।

आप अध्ययन से सीधे प्रशासनिक कक्ष में पंहुचे हैं, तो अब तक के इस सफर में शिक्षा में कौन-कौन सी कमियां नजर आईं?

ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं अथवा छात्रों को सिविल सर्विसेज जैसी परीक्षाओं में बराबरी की स्पर्धा का सामना करना पड़ता है, जबकि ग्रामीण छात्रों को मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं। मेरी राय में ग्रामीण युवाओं को विभिन्न परीक्षाओं के लिए नजदीक में करियर काउंसिलिंग मिलनी चाहिए।

जीवन के प्रति आपका दृष्टिकोण और लक्ष्य की प्राप्ति का आपका सिद्धांत?

कठिनाइयों से घबराना मूर्खता है, इसलिए जूझने और जीतने की लगातार कोशिश करनी चाहिए। योजनाबद्ध प्रयासों और सकारात्मक सोच से सफलता मिलना

तय है।

खुद को कैसे संतुष्ट करते हैं या जब कठिन निर्णय की तफतीश होती है तो अपना मानसिक संयम व संतुलन कैसे कायम कर पाते हैं?

अनहोनी कभी होती नहीं है और होनी को कोई टाल नहीं सकता। लगातार बिना चिंता किए पुरूषार्थ का फल जरूर मिलेगा।

जीवन का टर्निंग प्वांइट। किस पुस्तक, चरित्र, नाटक, फिल्म या शख्सियत से प्रभावित हुए, होते हैं?

एचएएस प्री एग्जाम के दौरान मां दो माह तक पीजीआई चंडीगढ़ व एम्स दिल्ली में दाखिल रहीं। इस दौरान तीन दिन अस्पताल में रहकर पढ़ाई की। मेरी पढ़ाई के लिए कईं बार पिता ने छुट्टियां लीं जबकि वह छुट्टी लेना पसंद नहीं करते।

प्रतिस्पर्धा के आपके लिए क्या मायने हैं?

मेरी स्पर्धा खुद की पूर्व प्राप्तियों से हैं। दूसरों से प्रतिस्पर्धा ईर्ष्या को जन्म देती है।

तनाव और तैयारी के बीच आपका मनोरंजन कैसे हुआ। कोई हिमाचली गीत जो दिल के करीब रहा हो?

मेरा मानना है कि कठिनाई जीवन का अभिन्न अंग है। आत्म चिंतन, योग और स्थिर संस्कार से मन को नियंत्रित किया जा सकता है। ‘बांका मुलको हिमाचलां’ गीत पसंद है।

अगल कदम, इच्छा और लक्ष्य?

बतौर एचएएस अधिकारी बेहतरीन सेवाएं देना। आईएएस की परीक्षा अगला लक्ष्य।

– जयप्रकाश, संगड़ाह


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