104 वर्षीय धूड़ू राम फिर वोटिंग को तैयार

By: Apr 17th, 2019 12:09 am

देश की सियासत में भले ही ईवीएम की साख पर सवाल उठ खड़े हुए हों पर हिमाचल के सबसे बुजुर्ग मतदाता इसे सबसे मजबूत और विश्वसनीय मानते हैं। देश के पहले प्रधानमंत्री से लेकर मौजूदा  प्रधानसेवक तक लोकतंत्र के हर पर्व में आहुति देने वाले 104 वर्षीय धूड़ू राम गुरबत के उस दौर को नहीं भूले, जब वोट देने के लिए उन्हें घर से कई किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ता था।

अंग्रेजी हुकूमत के साथ-साथ आजाद भारत की राजनीति और कार्यशैली से वाकिफ घूड़ू राम उम्र के इस पड़ाव में भी नवमतदाता के जैसे जोश और जज्बे से लवरेज हैं। वह 19 मई की उस घड़ी का इंतजार कर रहे हैं जब ईवीएम की बीप की  आवाज उन्हें सुनाई देगी। इस लोकसभा चुनावों में प्रमुख आईकॉन की भूमिका से उत्साहित गिरीपार के आंजभोज के यह शतायु मतदाता सुदृढ़, मजबूत और स्थायी सरकार के पक्षधर हैं। बनौर गांव के निवासी धूड़ू राम ने बातचीत में बताया कि उन्होंने वह समय भी देखा है जब वोट डालने के लिए उन्हें काफी दूर जाना पड़ता था। उन्होंने देश के पहले प्रधानमंत्री पं जवाहर लाल नेहरू से लेकर पिछली लोकसभा चुनाव तक वोट डालकर लोकतंत्र में अपनी भूमिका निभाई है और इस बार भी मतदान करेंगे। उन्होंने कहा कि उनकी नजर में पं जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी बेहतरीन प्रधानमंत्री रहे हैं। धूड़ू राम का कहना है कि सभी को वोट डालना चाहिए और मजबूत लोकतंत्र में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। धूड़ू राम के आधार कार्ड और मतदाता पहचान पत्र में इनकी जन्म तिथि एक जुलाई, 1915 अंकित है। धूड़ू राम पेशे से पंडिताई का कार्य करते रहे हैं और अपने क्षेत्र के जाने माने पंडित रहे हैं। धूड़ू राम इस समय अपने परिवार में अपनी चौथी पीढ़ी के साथ रह रहे हैं। धूड़ू राम के तीन बेटे हैं जिनमें एक बेटा डाक विभाग से सेवानिवृत हुआ है। एक पुत्र अध्यापक थे जिनका निधन हो गया है और एक बेटा घर पर कार्य करते हैं। धूड़ू राम के पोते और पड़पोते भी बड़े हो गए हैं। धूड़ू राम ने कहा कि उन्होंने अंग्रेजों और रियासत काल का समय भी अच्छे तरीके देखा है और स्वतंत्र भारत में अनेकों बार मतदान भी कर चुके हैं।

उन्होंने देश की पहली सरकार के लिए भी मतदान किया है। मूल रूप से धूड़ू राम छछैती गांव से हैं, लेकिन उनके पिता बनौर में आकर बस गए थे। तब से वह भी बनौर के स्थाई निवासी हो गए हैं। पोलिंग पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के इस महापर्व में सभी लोगों को अपना मतदान करना चाहिए तभी सुदृढ़ सरकार का गठन हो सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अनेक लोग मतदान नहीं करते हैं जोकि उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि मतदान के महत्त्व बारे लोगों को जागरूक करने के लिए वह कार्य करेंगे ताकि सिरमौर जिला ही नहीं, बल्कि प्रदेश में भी अधिक से अधिक प्रतिशत मतदान सुनिश्चित हो सके।

मुलाकात : पहले के जमाने में सच्चाई और ईमानदारी थी

पहली बार वोट देते हुए जो उत्साह था, क्या आज भी बरकरार है?

पहली बार वोट डालते हुए जो खुशी और उत्साह मन में था आज उतना नहीं है। पहली बार इसलिए भी अच्छा लगा, क्योंकि देश आजाद हुआ और हमें लोकतांत्रिक तरीके से अपनी सरकार चुनने का मौका मिला।

आजाद भारत के नागरिक होने के नाते खुद को कितना स्वतंत्र पाते हैं?

आज खुद को ज्यादा स्वतंत्र महसूस करता हूं। गुलामी के दौर में तो हम अपनी मर्जी का कोई अच्छा काम भी नहीं कर पाते थे। उस दौर में रोज सुनने में आता था कि आज इतने नेता जेल में डाले और आज वहां पर अत्याचार हुआ। वर्तमान में इनसान अपनी मर्जी से अच्छा समय व्यतीत कर रहा है।

पहले चुनाव से अब तक के प्रचार में कितना अंतर महसूस होता है?

बहुत अंतर है। पहले तो चुनाव के दौरान नेता पांच-छह पंचायतों के एक केंद्र, जिसे पहाड़ी भाषा में खत कहते हैं, में आते थे और उस केंद्र के मुखिया या नंबरदार को चुनाव के बारे में बताते थे। खत का मुखिया ही आम जनता को चुनाव की जानकारी देते थे। आज के दौर में तो नेता हर व्यक्ति के घर-घर तक पहुंचकर वोट के लिए प्रचार करते हैं।

वर्तमान नेताओं पर जब दृष्टि डालते हैं, वर्तमान राजनीति का स्तर?

पहले के जमाने में नेता सच बोलते थे, जो घोषणाएं करते थे उन्हें पूरी करते थे। आज ज्यादातर घोषणाएं चुनावी स्टंट बनकर रह जाती हैं। आज राजनीति का स्तर भी बयानबाजी से बहुत निम्न स्तर तक पहुंच गया है। आज आरोप प्रत्यारोप की राजनीति ज्यादा होने लगी है।

कोई चिंता जो सताती हो या सरकारों से निरंतर शिकायत रही हो ?

आज युवा शिक्षित हो गए तो खेती बाड़ी के काम में ध्यान नहीं देते। नौकरियां नहीं मिल रही जिससे बेरोजगारी बढ़ रही है, जिसकी चिंता उन्हें सताती है। सरकार को युवाओं को अधिक से अधिक रोजगार प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि जब युवा काम में व्यस्त होगा तो वह दुर्व्यसनों से दूर रहेगा। दूसरा, सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के विकास की ओर कम ध्यान देती है।

क्या भारत में कभी राम राज्य आएगा?

मुझे नहीं लगता कि भारत में फिर से कभी राम राज्य आ पाएगा। जिस प्रकार आज के दौर में बेईमानी, ठगी और अपराध की  रेशो लगातार बढ़ रही है, उससे तो ऐसा प्रतीत ही नहीं होता।

आप अपने वोट की सफलता किस आधार पर तय करते हैं?

अच्छी सरकार बनती है तो लगता है कि वोट सफल हुआ, लेकिन यदि सरकार जनता की भलाई के काम कम और भ्रष्टाचार आदि के काम ज्यादा करती है तो लगता है कि वोट व्यर्थ गया।

लंबी आयु का राज?

घर का शुद्ध भोजन खाना और दिनभर खूब मेहनत कर पसीना बहाना। जवानी के दौर की ये सब चीजें ही हैं, जिसने आज तक शरीर में कोई बड़ी बीमारी नहीं लगने दी।

क्या खाते या नहीं खाते?

घर पर बना हुआ शुद्ध और सादा खाना पसंद करता हूं, जिसमें शुद्ध देशी घी, दूध आदि भी शामिल है। इसके अलावा फास्ट फूड और बाजार के खाने से मैं परहेज करता हूं।

पीछे मुड़कर देखते हैं, तो देश को आज कहां देखते हैं?

सुख-सुविधाओं के हिसाब से देखा जाए तो आज का जमाना बेहतर है। देश में विकास भी हुआ है। और जमाना पहले के मुकाबले बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन यदि ईमानदारी, सच्चाई और शांति की बात करें तो पहले का जमाना आज से कहीं बेहतर होता था।

पिछले किसी मतदान की कोई खास याद या जीवन के इस पड़ाव तक जिस किसी किस्से को हमेशा यादों में जगह मिली?

ऐसी कोई खास याद नहीं है, लेकिन पहले मतदान में जो उत्साह था वह हमेशा याद आता है।

आज के युवा में आपको कितना भरोसा। इस पीढ़ी को आपका संदेश?

युवाओं पर भरोसा तो किया जा सकता है। यदि उन्हें अवसर मिले तो वे बुलंदियां छू सकते हैं, वहीं युवाओं को शिक्षित होना चाहिए। नौकरी करनी चाहिए और हो सके तो खुद का कारोबार खड़ा करना चाहिए। साथ ही युवाओं को नशे जैसी घातक बीमारी से दूर रहना चाहिए, तभी वे सुखी और लंबा जीवन जी सकते हैं।

कोई सिरमौरी गीत जिस पर नाटी करने को दिल करता है?

सिरमौरी हारुल मुझे बहुत पसंद है। इसमें कमरउ-ठुंडू, सिंगटोउ आदि हारुलों में वीरता का इतिहास है। इन्हें सुनकर आज भी नाटी डालने का मन करता है।

आपके प्रिय नेता कौन-कौन रहे?

पंडित जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा प्रदेश निर्माता व पहले मुख्यमंत्री डा. वाईएस परमार और शिलाई के पूर्व विधायक और मंत्री रहे स्व. ठाकुर गुमान सिंह चौहान मेरे प्रिय नेता रहे हैं।


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