आज भी रहस्य बना हुआ है जयगढ़ किला

By: May 25th, 2019 12:05 am

भारत ही नहीं, इस खजाने के पीछे पाक भी अपनी नजरें गड़ाए बैठा है जो लगातार अपने हिस्से की मांग करता रहता है। 11 अगस्त 1976 को भुट्टो ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को एक खत लिखा जिसमें पाकिस्तान ने खुद को जयगढ़ की दौलत का हकदार मानते हुए लिखा कि विभाजन के समय ऐसी किसी दौलत की अविभाजित भारत को जानकारी नहीं थी…

रहस्यों की शृंखला में इस बार हम पाठकों को राजस्थान के जयगढ़ किले का रहस्य लेकर आए हैं।  राजस्थान के शूरवीरों की धरती हमेशा से अपने शौर्य, साहस, बलिदान के लिए जानी जाती है। यहां के हर शहर की अपनी एक खास और अलग पहचान है। राजस्थान की धरती पर अनेक अभेद्य किलों का निर्माण हुआ है। लेकिन यहां एक दुर्ग ऐसा भी है जिसने अपने में अब तक एक राज छुपा रखा है जो अब तक सामने नहीं आया है। इस दुर्ग का नाम है जयगढ़ किला। यह एक रहस्यमयी किला है जो जयपुर में है। जयपुर में मध्ययुगीन भारत की कुछ सैनिक इमारतों में से एक जयगढ़ किला भी है। महलों, बागीचों, पानी की टंकियों, अन्य भंडार, शस्त्रागार, तोप बनाने का कारखाना व मंदिर जैसे कई जगह बने होते हैं, इस किले में भी कुछ खास बना हुआ है। जयगढ़ किले के फैले हुए परकोट और प्रवेश द्वार इसकी कई कहानियां बयां करते हैं। जयपुर की आन और शान को बरकरार रखे हुए इस किले में आपातकालीन द्वार भी एक बड़ी पहेली है। सन् 1975 में जब देश में इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, उस समय जयगढ़ किले में छिपे खजाने की भी तलाश की गई। 10 जून 1976 को शुरू हुई तलाश नवंबर 1976 में खत्म हुई। हार कर सरकार ने घोषणा भी कर दी कि किले में कोई खजाना नहीं है। लेकिन सरकार की इस बात पर लोग संदेह जताने लगे। लोगों को यह झूठ लग रहा था। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि जब सेना ने अपना अभियान समाप्त किया तो उसके बाद एक दिन के लिए दिल्ली-जयपुर हाईवे आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था। ऐसा लोगों का कहना है कि इस दौरान जयगढ़ किले में मिले खजाने को ट्रकों में भरकर दिल्ली लाया गया और सरकार इसे जनता की नजरों से छिपाकर रखना चाहती है।

पाक ने मांगा हिस्सा

भारत ही नहीं, इस खजाने के पीछे पाक भी अपनी नजरें गड़ाए बैठा है जो लगातार अपने हिस्से की मांग करता रहता है। 11 अगस्त 1976 को भुट्टो ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को एक खत लिखा जिसमें पाकिस्तान ने खुद को जयगढ़ की दौलत का हकदार मानते हुए लिखा कि विभाजन के समय ऐसी किसी दौलत की अविभाजित भारत को जानकारी नहीं थी। विभाजन के पूर्व के समझौते के अनुसार जयगढ़ की दौलत पर पाकिस्तान का हिस्सा बनता है। इंदिरा गांधी ने भुट्टो के पत्र का जवाब ही नहीं दिया। इसके बाद आयकर, भू-सर्वेक्षण विभाग, केंद्रीय सार्वजनिक निर्माण विभाग और अन्य विभिन्न विभागों को जब खोज में कोई सफलता नहीं मिली तो इंदिरा गांधी ने खोज का काम सेना को सौंप दिया। लेकिन जब सेना को भी किसी तरह का खजाना नहीं मिला तो इंदिरा गांधी ने 31 दिसंबर 1976 को भुट्टो को लिखे खत के जवाब में कहा कि विशेषज्ञों की राय है कि पाकिस्तान का इस खजाने में कोई दावा ही नहीं बनता।


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