इस बार मलाणा के 700 लोगों ने डाला वोट

By: May 23rd, 2019 12:01 am

शिक्षा के विस्तार के चलते बदल रहे दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र के हालात

कुल्लू – 17वीं लोकसभा के गठन में मलाणा गांव के लोगों की आहुति भी खास मानी जाएगी। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए दुनिया के उस मलाणा गांव के लोगों ने भारी संख्या में मतदान किया, जिनके लिए भारतीय लोकतंत्र की व्यवस्था मायने तक नहीं रखती थी। हालांकि आज मलाणा गांव भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी देव नीति के साथ जरूरी मान रहा है। बता दें कि मलाणा गांव में दो हजार के करीब आबादी रहती है। यहां पर कुल 923 मतदाता हैं। आज से पहले यहां के लोग मतदान करने बहुत कम संख्या में आते थे। इस बार यहां के लोगों ने मतदान करने में जो आंकड़ा दर्शाया है, वह काबिलेतारीफ है। इस बार 923 में से 700 के करीब मतदाताओं ने लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इनमें से 30 नए मतदाता हैं। इस बार 354 महिलाओं और 344 पुरुषों ने वोट डाले हैं। भले ही यहां के लोग पुरानी संस्कृति, परंपरा को पूरी तरह से संजोए हुए हैं, लेकिन भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश होने का गर्व रखता है और मलाणा के लोग इसे मजबूत करने में अहम योगदान दे रहे हैं। इसका ताजा उदाहरण 19 मई को हुए लोकसभा चुनाव की मतदान प्रतिशतता है। इस बार मलाणा के लोगों ने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए भारी संख्या में अपने मतदाधिकार का प्रयोग किया।  बता दें कि मलाणा में देव परंपरा लोगों ने कायम रखी है। यहां के लोग लड़ाई-झगड़ा होने पर कोर्ट-कचहरी भी नहीं जाते थे।  यहां के लोगों की अलग भाषा, बोली, परंपरा व देव सत्ता सर्वोपरि है। उधर, जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त कुल्लू यूनुस ने बताया कि इस बार मलाणा के लोगों ने भी काफी संख्या में मतदान किया है। मलाणा में विश्व की सबसे पुरानी लोकतांत्रिक व्यवस्था है। भारत का अंग होते हुए भी मलाणा की अपनी एक अलग न्याय और कार्यपालिका है। भारत सरकार के कानून यहां नहीं चलते। इस गांव की अपनी अलग संसद है, जिसके दो सदन हैं पहली ज्येष्ठांग (ऊपरी सदन) और कनिष्ठांग(निचला सदन)।  यही नहीं, मलाणा में सदन ही नहीं, बल्कि गांव का अपना प्रशासन भी है। पिछले दो-अढ़ाई दशक पहले की बात करें तो सदन में हर तरह के मामलों को निपटाया जाता था। यह फैसले देवनीति से तय होते थे। देवता जमलू ऋषि के फैसला को सच्चा और अंतिम माना जाता है।


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