करंट से मौत पर अब तीन लाख मुआवजा

By: May 26th, 2019 12:06 am

महकमे की मांग पर प्रदेश सरकार ने बढ़ाया बजट…

खेती कार्य के दौरान करंट से मौत पर पीडि़त किसान परिवार को अब तीन लाख रुपए मुआवजा दिया जाएगा। प्रदेश सरकार ने इसके लिए बजट बढ़ा दिया है। अपनी माटी के लिए दिव्य हिमाचल द्वारा जुटाई गई जानकारी के अनुसार इस योजना में बजट बढ़ाने की लगातार मांग उठ रही थी। इस पर प्रदेश की जयराम सरकार ने अब बजट का प्रावधान कर दिया है। गौर रहे कि मुख्यमंत्री किसान व ‘खेतिहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना’ के तहत किसानों को करंट लगने पहले पीडि़त परिवार को डेढ़ लाख रुपए दिए जाते हैं। खास बात यह भी कि पहले किसान की मौत पर तीन महीने में इसके लिए आवेदन करना पड़ता था, वहीं अब सरकार ने अब इस अवधि को छह महीने कर दिया है।

प्रतिमा चौहान, शिमला

किसान व खेतिहर मजदूर जीवन सुरक्षा योजना के तहत  अब दोगुनी राशि मिलेगी। प्रदेश सकरार ने इसके लिए बजट मुहैया करवा दिया है

देश राज निदेशक कृषि विभाग

स्वां के टमाटर-खीरे पर पंजाब फिदा

ऊना की विख्यात खड्ड सोमभद्रा के तटों पर खूब खेती होती है।  इसे स्वां भी कहते हैं।  स्वां ऊना से लेकर संतोषगढ़ तक हजारों किसानों को पालती है। अपनी माटी टीम ने इस बार में संतोषगढ़ में स्वां तट खंगाले। किसानों ने बताया कि इसकी सब्जियां मंडी-कांगड़ा-कुल्लू से लेकर पठानकोट से होशियारपुर तक मशहूर हैं। इनकी खूब डिमांड रहती है। अमूमन दिसंबर से जुलाई तक इस इलाके में खडड के बीच हजारों टन सब्जी पैदा होती हैं। उसके बाद बरसात में यहां फुल स्पीड से दरिया दौड़ता है। जब बरसात खत्म होती है,तो फिर से मेहनती किसान खेत तैयार करने में जुट जाते हैं। यह सिलसिला बरसों से चल रहा है। संतोषगढ़ क्षेत्र की ही बात की   यहां एक हजार किसान स्वां में खेती कर रहे हैं। एक किसान करीब 70 कनाल जमीन पर खेती करता है, जिससे मुनाफा खूब होता है। चाहे लाल टमाटर हो या फिर घिया, कददू, खीरा। भिंडी हो या फिर बैंगन, फ्रांसबीन स्वां में पैदा हर सब्जी कमाल है।

डीआर सैणी, संतोषगढ़

फल मंडियों में डिस्प्ले होंगे दाम

देश की बड़ी फल मंडियों में सेब, सब्जियों सहित स्टोन फ्रूट के दाम क्या हैं, राज्य के किसानों व बागबानों को इसकी जानकारी आसानी से मिल पाएगी। बड़ी फल मंडियों के दामों से अवगत करवाने के लिए एपीएमसी शिमला-किन्नौर जिला शिमला की बड़ी फल मंडियों में डिस्प्ले बोर्ड स्थापित करने जा रहा है।  एपीएमसी द्वारा शिमला की सबसे बड़ी फल मंडी ढली, पराडा व रोहडू में डिस्प्ले बोर्ड स्थापित किए जा रहे हैं। जिसमें देश की सबसे बड़ी फल मडियों मुंबई, दिल्ली, चडीगढ़, जयपुर सहित अन्य देश की बड़ी मंडियों के दाम अंकित रहेंगे। इन डिस्प्ले बोर्ड में दाम प्रदर्शित होने से किसानों व बागबानों को आसानी से बाहरी राज्यों की मंडियों में चल रहे दामों की सही जानकारी मिल सकेगी, पीएमसी शिमला किन्नौर के चेयरमैन नरेश शर्मा ने बताया कि फल मंडियों में बागबानों को बड़ी फल मंडियों की तर्ज पर दामों को प्रदर्शित करने के लिए डिस्प्ले बोर्ड स्थापित किए जाएंगे।

सोलन के चंबाघाट में मशरूम केंद्र को चार करोड़

उद्यान विभाग के चंबाघाट स्थित मशरूम केंद्र में आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण किसान भवन बनेगा। इसके लिए करीब 4 करोड़ का बजट स्वीकृत हो गया है और टोकन मनी को लोनिवि को जमा भी करवा दिया गया है। किसान भवन बनने से मशरूम केंद्र में प्रशिक्षण के लिए आने वाले किसान व बागबानों को लाभ मिलेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि आचार संहिता हटते ही इस भवन के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। सोलन ऐसा जिला है जहां कोई किसान भवन नहीं है, जबकि यह कई जिलों का भी केंद्र है और किसान-बागबानों का यहां आना-जाना लगा रहता है। इस केंद्र में प्रदेश के पांच जिलों सोलन, सिरमौर, शिमला, बिलासपुर व किन्नौर के किसान- बागबान मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण ग्रहण करने आते हैं। इस प्रशिक्षण में आने वाले किसानों को ठहरने की यहां कोई सुविधा नहीं है और किसानों को मशरूम अनुसंधान निदेशालय के विश्रामगृह में ठहरना पड़ता है। इससे किसानों को बड़ी राहत मिलेगी। इस किसान भवन में 3 सेट वीआईपी, 2 ऑफिसर सेट, 17 डबल बैडिड रूम, डोरमेटरी, बड़ा डायनिंग हॉल, किचन, शौचालय, स्नानागार आदि की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। डायनिंग हॉल में करीब 50 लोग एक साथ खाना खा सकेंगे।

सौरभ शर्मा, सोलन

आने वाले पांच दिनों के मौसम का पूर्वानुमान

सभी जिलों में गर्ज व चमक के साथ हल्की वर्षा होने की संभावना है। दिन व रात के  तापमान में 1-2 डिग्री सैल्सीयस की बढ़ोतरी होने की संभावना है। हवा की गति दक्षिण-पूर्व दिशा से 8 से 9 किलामीटर प्रति घंटा चलने तथा औसतन सापेक्षित आर्द्रता 21-63 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। गुठलीदार फलों व अनार के बागीचों में नमी का स्तर बनाए रखें। आवश्यक हो तो सिंचाई करें। अखरोट के पौधों में चिप बडिंग करने का समय इस महीने के तीसरे सप्ताह से शुरु कर सकते हैं। लीची को फटने से बचाने के लिए तौलिये में नमी का स्तर बनाए रखें आवश्यकतानुसार 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहें। नींबू प्रजातिय फलों की गुणवता बनाए रखने के लिए कैल्शियम क्लोराइड के 0.5 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें।     – मोहिनी सूद, नौणी

सरकारी अनाज पर बढ़ा किसानों का भरोसा

हिमाचली किसानों का सरकार पर भरोसा  बढ़ता जा रहा है। कम से कम गेहूं सीजन के दौरान तो कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है। इस बार सिरमौर जिला के पांवटा साहिब के एफसीआई खरीद केंद्र में पिछली बार के मुकाबले ज्यादा गेहूं पहुंची है। इस केंद्र में किसानों ने रिकार्ड 1 करोड़ 61 लाख रुपए का गेहूं बेचा है। एफसीआई के पास इस बार कुल 8787 क्विंटल गेहूं पहुंचा जो पिछले वर्ष के मुकाबले 610 क्विंटल अधिक है। सच यह भी है कि किसानों को इस बार गेहूं का प्रति क्विंटल 1840 रुपए दाम मिला, जो पहले के मुकाबले ज्यादा है। गत वर्ष एफसीआई के पांवटा केंद्र पर 8177 क्विंटल गेहूं ही पहुंची थी। गेहूं खरीद केंद्र के प्रभारी राजकृष्ण नेगी ने बताया कि सभी किसानों को ऑनलाइन पेमेंट कर दी गई है। यहां से खरीदी हुई पूरी गेहूं को सिविल सप्लाई कार्पोरेशन एफसीआई से खरीद लेता है, जो बाद में सरकारी डिपो के माध्यम से आटा व गेहूं के तौर पर लोगों तक पहुंचती है। गौर हो कि 1998 में एफसीआई ने गेहूं खरीद का नौ हजार क्विंटल का आंकड़ा पार किया था। उसके बाद पिछले साल तक आठ हजार के आंकड़े पर भी खरीद नहीं पहुंच पाई थी, लेकिन करीब 20 साल बाद लगातार दो साल गेहूं खरीद का आठ हजार क्विंटल का आंकड़ा पार हुआ है। अमूमन हर साल ज्यादातर गेहूं पड़ोसी राज्य हरियाणा के आढ़ती उठा ले जाते थे, लेकिन इस बार हरियाणा सरकार ने बाहरी राज्यों से गेहूं उठाने को मना किया हुआ था। फिर भी कुछ गेहूं चोरी छिपे पड़ोसी राज्य हरियाणा में भी बेची गई है।                   

पांवटा और गेहूं :

जानकारों की मानें तो पांवटा साहिब के अनाज मंडी में स्थापित एफसीआई के गेहूं खरीद केंद्र में पांवटा की मात्र आधी गेहूं ही पहुंची है। पांवटा में इस बार करीब 20 हजार क्विंटल गेहूं का उत्पादन हुआ। इनमें से 8787 क्विंटल तो एफसीआई के पास पहुंचा। हालांकि जानकारी के मुताबिक इस बार हरियाणा में सिर्फ दो से तीन हजार क्विंटल गेहूं ही गई है। करीब सात से आठ हजार क्विंटल गेहूं पांवटा के किसान अपने लिए साल भर के लिए भी रखते हैं। इसके अलावा पहाड़ी क्षेत्र गिरिपार से भी कई किसान पांवटा के किसानों से गेहूं खरीदकर ले जाते हैं।            – दिनेश पुंडीर, सिरमौर

मनीष चंदेल फोन नंबर 98822-97739

माटी के लाल

अमरीकन केसर से दुम दबाकर भागे बंदर

दाड़लाघाट के होनहार किसान मनीष चंदेल की मेहनत लाई रंग बंदरों के उत्पात से सारा हिमाचल तंग है। बंदर वह आफत हैं,जिनके आगे सरकार भी हाथ खड़ा कर चुकी है। यह हिमाचली किसान की हिम्मत है कि वह बंदरों से हार नहीं मानता। तो आइए अपनी माटी के जरिए मिलते हैं एक ऐसे होनहार किसान से जिसने अमरीकन केसर उगाकर बंदरों को भागने पर मजबूर कर दिया है। इस किसान का नाम है मनीष चंदेल। चंदेल दाड़लाघाट के रहने वाले हैं। बंदरों से दुखी मनीष ने एक्सपर्ट से सुना था कि केसर का रेट भी ठीक होता है और बंदर भी पास नहीं फटकते।  ऐसे में मनीष ने आधा बीघा में केसर लगा दिया। छह माह बाद केसर तैयार हो गया है। खास बात यह कि जैसे जैसे केसर फैलता गया,बंदरों ने इस क्षेत्र में आना ही छोड़ दिया। फिलहाल रोज कई किसान मनीष के पास केसर की खेती के गुर सीखने के लिए पहुंच रहे हैं। टिप्स : मैं आज के बेरोजगार युवाओं को भी यही सलाह देना चाहता हूं  कि क्यों नौकरी की तलाश में दिन रात भटकते हो, घर से दूर रहकर नौकरी करनी फिर भी प्रश्न होता है गुजारा नहीं होता, तो अपनी माटी को चुमों, यही हमें सोना देगी। अगर आप यह सोचते हैं कि खेतों में काम करना, तो कोई भी काम छोटा बड़ा नहीं होता। 

केशव वशिष्ठ, दाड़लाघाट

पत्थरों पर उगा दिए सेब

कांगड़ा जिला का जवाली हलका मेहनतकश किसानों और प्रचंड गर्मी के लिए विख्यात है। गर्मी में यहां पारा 40 डिग्री तक छू जाता है। उपमंडल जवाली के अंतर्गत टियुकरी निवासी सुभाष चंद शास्त्री ने पथरीली जमीन पर सेब के फलदार पौधों को उगाकर कीर्तिमान स्थापित कर दिखाया है। सुभाष चंद शास्त्री ने करीब 20 कनाल जमीन पर सेब, लीची, आम, इलायची, अंगूर, अनार, चीकू के फलदार पौधे लगा रखे हैं। उन्होंने सेब के 50, लीची के 7, अनार के 60, आम के 25, चीकू के 5,बड़ी इलायची तथा छोटी अलायची का एक-एक पेड़ लगा रखा है।  मौजूदा समय में सेब के 35 पेड़ों पर सेब लगे हुए हैं। सेब से लदे पेड़ों को देखकर हर कोई सन्न रह जाता है। अंगूर की बेलों पर अंगूर लगे हुए हैं। सुभाष चंद शास्त्री ने बताया कि उन्होंने बतौर शास्त्री कार्य किया है। 

टिप्स : मैं आज के पुरुषों को भी यही संदेश देना चाहूंगा कि नौकरी के बाद भी आप कृषि में अच्छा कमा सकते हैं। जरूरत है अपनी माटी से जुड़ने की।                                -सुनील दत्त, जवाली

बारिश ने पहाड़ों पर किया प्रहार मैदान पर बरसाया प्यार

किसान-बागबानों के सारे समीकरण बदल दिए हैं। ताजा बारिश से अच्छा और बुरा दोनों तरह का गणित बना है। मैदानों में गेहूं थ्रेशिंग हो गई है। वहां हो रही बारिश भिंडी, करेला, घीया, मिर्च आदि नकदी फसलों के लिए संजीवनी का काम कर रही है…

हिमाचल भर में हो रही बारिश और तेज तूफान ने किसान-बागबानों के सारे समीकरण बदल दिए हैं। ताजा बारिश से अच्छा और बुरा दोनों तरह का गणित बना है। मैदानों में गेहूं थ्रेशिंग हो गई है। वहां हो रही बारिश भिंडी, करेला, घीया, मिर्च आदि नकदी फसलों के लिए संजीवनी का काम कर रही है, वहीं पहाड़ी इलाकों में बारिश कहर से कम नहीं। चंबा जिला के सलूणी की भांदल घाटी में ओलों और बारिश ने खेतों में बीजी मक्की तबाह कर दी है, जबकि मटर को भी नुकसान पहुंचा है। इसी तरह सोलन-शिमला और सिरमौर के ऊंचाई वाले इलाकों में गेहूं खेतों में सड़ने की कगार पर आ गई है। इसी तरह रोहड़ू, ठियोग और मतियाना में भी ओलों ने सेब को बर्बाद कर दिया है। उधर मौसम विभाग का दावा है कि 20 के बाद मौसम साफ हो जाएगा।

 टेकचंद वर्मा, शिमला

किसान बागबानों के सवाल

  1. इस मौसम में किन-किन फसलों की बुआई करें?

– पवन कुमार, मंडीर

आप इस मौसम में मिंडी, बीन की सब्जी लोबिया इत्यादि की सीधी बुआई कर सकते हैं। इस मौसम में पालक, धनिया, मेथी की बुआई कर सकते हैं।

  1. टमाटर में पत्ता धब्बा रोग के लिए कौन सी दवाई का छिड़काव करें?

  – जितेंद्र, चंबा

टमाटर में पत्ता धब्बा रोग की रोकथाम के लिए टिल्ट नाम की दवाई का छिड़काव करें। पहले लगे टमाटर में दो टहनियों रख कर बाकि की कटाई व छंटाई करें। मिर्च, टमाटर व बैंगन की पौधशाला पालीघरों में तैयार करें तथा कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती फसल की पौध तैयार करने के लिए बीजों को छोटी पालीथीन के थेलों मैं भर कर पालीघरों में जमाव के लिए रखें।

आप सवाल करो, मिलेगा हर जवाब

आप हमें व्हाट्सऐप पर खेती-बागबानी से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी भेज सकते हैं। किसान-बागबानों के अलावा अगर आप पावर टिल्लर-वीडर विक्रेता हैं या फिर बीज विक्रेता हैं,तो हमसे किसी भी तरह की समस्या शेयर कर सकते हैं।  आपके पास नर्सरी या बागीचा है,तो उससे जुड़ी हर सफलता या समस्या हमसे साझा करें। यही नहीं, कृषि विभाग और सरकार से किसी प्रश्ना का जवाब नहीं मिल रहा तो हमें नीचे दिए नंबरों पर मैसेज और फोन करके बताएं। आपकी हर बात को सरकार और लोगों तक पहुंचाया जाएगा। इससे सरकार को आपकी सफलताओं और समस्याओं को जानने का मौका मिलेगा।

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