काली माता मंदिर में आचार्य सुमित भारद्वाज ने की प्रवचनों की बौछार

By: May 23rd, 2019 12:02 am

सोलन -मनुष्य को श्रीमद्भागवत की शरण ग्रहण करनी चाहिए। अपना हर कर्म करते समय भगवान के नाम का स्मरण करते रहना चाहिए। यह बात चायल के काली माता मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ में कथा प्रवक्ता आचार्य सुमित भारद्वाज ने कही, उन्होंने श्रोताओं को राजा परीक्षित की कथा सुनाते हुए कहा कि जब परीक्षित जी को श्राप मिला कि सात दिन बाद उनकी मृत्यु हो जाएगी तो उन्होंने क्या किया। अपने जीवन को समाप्त होता देख राजा परीक्षित ने श्रीमद्भागवत की शरण ली और तक्षक जैसे नाग से अपने मृत्यु के भय को समाप्त किया। आचार्य ने सृष्टि का वर्णन, नारायण की नाभि कमल से ब्रह्मा की उत्पत्ति, भगवान की स्तुति और भगवान के बारह अवतार की कथा विस्तार से कही। उन्होंने कपिल और देवहुति संवाद को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत करते हुए कहा कि देवहुति से कर्दम ऋषि का विवाह हुआ। कैसे कपिल का आविभार्व और कर्दम का प्रस्थान हुआ। माता देवहुति ने योग साधना से किस प्रकार मोक्ष की प्राप्ति की इसके बारे में विस्तार से भक्तों को कथा श्रवण करवाया। आचार्य ने कहा कि कपिल भगवान ने माता देवहुति से कहा कि तुम भगवान के गुणों का श्रवण कर उन्हीं की शरण में जाओ। जो भगवान की पवित्र कथा को छोड़ अन्य कथाओं में आसक्त होते हैं उनका यह कार्य वैसा ही है जैसे शूक्र अच्छी चीजों को छोड़कर विष्ठा खाता है। कपिल मुनि ने माता देवहुति से कहा कि ज्ञान योग तथा भक्ति योग का अनासक्ति रूप एक ही फल है जैसे एक ही पदार्थ अनेक गुणों के कारण अनेक इंद्रियों से अनेक प्रकार से ज्ञात होता है, उसी तरह एक ही भगवान अनेक शास्त्रों से अनेक तरह का भासता है। अविद्या के कारण प्राप्त योनियों में आत्मा अपना स्वरूप नहीं जान पाता जो भी भगवान की इस भागवत रूपी अमृत को श्रद्धा से सुनता है वह मोक्ष का अधिकारी होता है। श्रीमद्भागवत महापुराण श्री श्री शंभू भारती महाराज व राजेश्वर भारती महाराज की अध्यक्षता में आयोजित हो रहा है। कथा के मुख्य यजमान प्रताप सिंह ठाकुर, आचार्य अजय शर्मा, कौशल्या देवी, मीना, स्मृति ठाकुर, तारा देवी, देवेंद्र ठाकुर, रामानंद, सुरजीत ठाकुर व योगेंद्र मुख्य रूप से उपस्थित रहे। सैकड़ों की संख्या में भक्तजनों ने कथा का आनंद लिया और अंत में प्रसाद ग्रहण किया।

 


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