कोई एक अंक से चूकी, तो किसी को दो पड़े कम

By: May 8th, 2019 12:05 am

शिमला —शिमला के आरकेएमवी में 17 छात्राओं को आधे, एक व दो नंबर से फेल करने के मामले सामने आए हैं। यहां पर छात्राओं के परीक्षाओं के साथ टफ मार्किंग की गई है। शिक्षकों की इस मार्किंग की वजह से हालत यह है कि पांचवे सेमेस्टर की छात्राएं पीजी एंट्रास की तैयारियां भी नहीं कर पा रही हैं। एचपीयू ने जब से रिजल्ट घोषित किया है, तब से उक्त कालेज की छात्राएं एचपीयू के चक्कर काट रही हैं। एचपीयू के चक्कर बार-बार काटने के बाद भी उनकी समस्या का समाधान नहीं निकल पा रहा है। ऐसे में अब छात्राओं को समझ नहीं आ रहा है कि वे अब आगे क्या करें। हालांकि जानकारी के अनुसार आरकेएमवी में पढ़ने वाली सभी छात्राओं को असेसमेंट के पूरे नंबर दिए गए हैं। थियौरी में ही उन्हें नंबर नहीं मिले हैं। ज्यादातर साइंस विषय से जुड़ी छात्राओं के रिजल्ट के साथ ही ऐसी गड़बड़ हुई है। जानकारी के अनुसार शिक्षकों की टफ मार्किंग की वजह से जिन छात्राओं को फेल किया गया है, वे छात्राएं हमेशा मैरिट पर रही हैं। यही वजह है कि उक्त छात्राओं ने एचपीयू प्रशासन से मांग की है कि उनकी या तो दूसरी बार परीक्षाएं ली जाएं, या फिर एचपीयू दूसरी बार छात्रों के पेपर चैक करे। बता दें कि यह मामला केवल शिमला के आरकेएमवी कालेज का ही नहीं है, बल्कि अन्य जिलों के कालेजों से भी कई छात्रों को ऐसे ही आधे व एक नंबर से फेल करने के मामले सामने आए हैं। हैरत है कि रिजल्ट बनाते वक्त एचपीयू ने भी इस बात का ध्यान नहीं दिया कि इतने छात्रों को आधे व एक नंबर से फेल किया जा रहा है। हालांकि  अभी यूजी के छात्रों को फेल करने के मामले आने के बाद एचपीयू प्रशासन में भी हड़कंप मच गया है। जानकारी के अनुसार इस मामले को लेकर एचपीयू के परीक्षा नियंत्रक जीएस नेगी कुलपति के साथ चर्चा कर चुके हैं। सूत्रों की मानें तो बैठक में चर्चा की गई है कि अब उक्त छात्रों का भविष्य खराब न हो, इसको लेकर क्या कदम उठाने चाहिएं। बता दें कि रूसा के तहत पढ़ने वाले छात्रों को एक विषय में पास होने के लिए 45 नंबर की जरूरत होती है। छात्रों की मानें तो पासिंग के लिए 45 नंबर बहुत ज्यादा हैं। हालांकि रूसा लागू होने से पहले जब एचपीयू ने पासिंग नंबर पर चर्चा की थी, तो कई शिक्षाविदों ने 45 नंबर की शर्त को कम करने का सुझाव भी दिया था। बावजूद इस पर कोई अमल नहीं किया गया। कई अधिकारियों का यह भी मानना है कि इसी वजह से रूसा के तहत छात्रों के रिजल्ट इतने खराब आ रहे हंै। लिहाजा एचपीयू और कालेज शिक्षकों की इस तरह की मार्किंग से छात्रों की चिंता ज्यादा बढ़ गई है। प्रदेश के जो छात्र बाहरी राज्यों के शिक्षण संस्थानों में पढ़ने जाना चाहते थे, वे भी अब एट्रंास के लिए फार्म नहीं भर पा रहे हैं। बताया जा रहा है कि जिन छात्रों को कालेज शिक्षकों ने टफ मार्किंग की है, उनमें ज्यादातर फिजिक्स, कॉमर्स से जुड़े छात्र हैं। फिलहाल अब पांचवंे सेमेस्टर के रिजल्ट के बाद एचपीयू क्या फैसला लेता है, यह देखना अहम होगा।


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