खुद की चिंता छोड़ दूसरों के हितों के बारे में करें विचार

मकलोडगंज—बौद्ध गुरु दलाईलामा ने कहा कि इनसान को खुद की चिंता छोड़कर दूसरों के हितों के बारे में सोचना चाहिए। हमें अपने व्यक्तित्व जीवन मंे बौद्ध चित्त का अभ्यास निरंतर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं खुद भी प्रतिदिन बौद्ध चित का अभ्यास करता हूं जिससे मुझे काफी लाभ मिलता है। धर्मगुरु ने मंदिर परिसर में मौजूद बौद्ध अनुयायियों को यह भी कहा कि दूसरे ग्रंथों मंे भी देखें तो बौद्ध चित्त ग्रंथ का उद्यापन विद्वानों ने विधिवत तरीके से किया हैं। धर्मगुरु ने कहा कि तिब्बत के ग्यूलक, साक्या, काग्यु व नीमा इन ग्रंथों के सभी विद्वान लोग भी आज यहां विराजमान हैं। वहीं, टीचिंग के अंतिम दौर मंे बौद्ध मठ में उपस्थित सभी धर्मगुरु के रूसी, तिबेतन व भारतीय मूल के अनुयायियों ने अपने घुटनों के बल बैठकर धर्मगुरु के तीसरे दिन की अंतिम टीचिंग को संंपन्न किया।  बौद्ध मठ में धर्मगुरु की टीचिंग को सुनने आए सभी लोगों के लिए जलपान की खासतौर से व्यवस्था की गई थी।