चीफ व्हिप पर जवाब दे सरकार
बरागटा की नियुक्ति को हाई कोर्ट में दी गई है चुनौती
शिमला – प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा कोटखाई से विधायक व पूर्व बागबानी मंत्री नरेंद्र बरागटा की चीफ व्हिप के पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका में राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश धर्मचंद चौधरी व न्यायाधीश ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने टेक चंद व अन्य तीन प्रार्थियों द्वारा दायर याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किए। प्रार्थियों ने सचेतक के वेतन भत्ते और अन्य सुविधाएं अधिनियम, 2018 को असंवैधानिक घोषित करने की गुहार लगाई है। 25 सितंबर, 2018 को जारी अधिसूचना को रद्द किया करने की भी मांग की है, जिसके तहत नरेंद्र बरागटा को चीफ व्हिप के पद पर नियुक्त किया गया है। जो सैलरी व अन्य लाभ नरेंद्र बरागटा को अब तक प्रदान किए गए हैं, उनको उनसे वसूलने की मांग भी की है। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार वर्तमान समय में मुख्यमंत्री को मिलाकर 12 मंत्री तैनात किए गए हैं। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किए गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या विधायकों की कुल संख्या का 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती। राज्य सरकार ने सैलरी अलाउंसेस एंड अदर बेनेफिट्स ऑफ चीफ व्हिप एंड डिप्टी चीफ व्हिप इन लेजिसलेटिव असेंबली ऑफ हिमाचल प्रदेश एक्ट, 2018 बनाया है। इसके तहत मुख्य सचेतक व उपमुख्य सचेतक की नियुक्ति करने बाबत प्रावधान बनाया गया है। इन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्रदान करने का प्रावधान बनाया गया है। मामले पर सुनवाई 29 जुलाई को निर्धारित की गई है।
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