ज्वालामुखी के किसानों की कमाई, पशुओं ने डुबाई

By: May 22nd, 2019 12:05 am

ज्वालामुखी—ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र के किसानों का रुख अब खेतीबाड़ी से कम होता जा रहा है। वजह है कि किसान साल भर मेहनत करके खून पसीना बहाकर फसल तो पैदा कर लेता है, परंतु कभी मौसम की बेरुखी तो कभी जंगली व बेसहारा जानवरों द्वारा फसल को तहस-नहस कर देने से किसान मायूस हो गया है। सरकार व प्रशासन का इस समस्या की ओर कोई ध्यान न होने के चलते किसान का रुख अब खेतीबाड़़ी से हटने लगा है। ज्वालामुखी क्षेत्र में सैकड़ों कनाल भूमि अब बंजर होती जा रही है। लोगों ने खेतीबाड़़ी छोड़ दी है। जिससे आने वाले दिनों में अनाज के लिए समस्या पैदा होने का खतरा है। जय जवान जय किसान का नारा देने वाले देश के महापुरुषों के कथन झुठला न जाएं, इसलिए सरकार व प्रशासन को इस ओर ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि किसानों को फसल की सुरक्षा का भरोसा मिल सके, तभी किसान खून पसीना बहाकर फसल पैदा कर पाएगा। बेसहारा पशु केवल मात्र किसानों की फसल ही बर्बाद नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे नेशनल हाईवेज व संपर्क मार्गों पर भी राहगीरों के लिए मुसीबत बने हुए है। हर माह औसतन दस दुर्घटनाएं ज्वालामुखी में इन बेसहारा पशुओं की वजह से ही होती है। इनको बचाने या स्वयं बचने के चक्कर में वाहन चालक अपना संतुलन खो बैठते हैं। यह जानवर अचानक सड़क में आ खड़े होते है और तेज गति से गुजर रहे वाहन इनकी चपेट में आ जाते हैं। कई लोग इन दुर्घटनाओं में जान तक गंवा चुके हैं, तो कई बुरी तरह से घायल हो चुके है। ज्वालामुखी के अधवानी में मंदिर न्यास, नगर परिषद व प्रदेश सरकार के सुयंक्त तत्त्वावधान में एक गोसदन का लाखों की लागत से निर्माण किया गया था, परंतु यह गोसदन नाकाफी साबित हुई है। यहां पर बहुत कम संख्या में पशुओं को रखा जा सकता है। इस संदर्भ में एसडीएम राकेश शर्मा ने कहा कि सरकार ने सिल्ह लुथान के पास सैकड़ों कनाल भूमि पर विशाल गोसदन बनाने के लिए योजना तैयार की है। यदि यह गोसदन बन जाए, तो ज्वालामुखी क्षेत्र के किसानों की समस्या का हल हो जाएगा। राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष एवं ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला ने कहा कि लुथान सिल्ह के पास लगभग चार सौ कनाल से अधिक भूमि पड़ी है, जिसको सरकार ने गोशाला के नाम करके यहां पर खज्जियां की तर्ज पर विशाल व आधुनिक किस्म का गोसदन बनाने की योजना तैयार की है। इसके अलावा मंदिर न्यास ज्वालामुखी से इस गोशाला को समय-समय पर आर्थिक मदद मिलती रहेगी। यहां पर पांच सौ के लगभग पशुओं को रखने की क्षमता होगी। क्षेत्र के सभी बेसहारा पशुओं को यहां पर रखा जाएगा, जिससे किसानों की फसलों की सुरक्षा हो जाएगी।


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