टेस्ट किटें पहुंचीं,तो अब मशीन खराब

टांडा—भले ही प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन धरातल पर इसकी तस्वीर कुछ और दिखती है। प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान डा. राजंेद्र प्रसाद मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में मरीजांे को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाआंे के दावांे से प्रतिदिन रू-ब-रू होना पड़ रहा है। अस्पताल में पिछले 25 दिनांे से थायराइड, हार्मोन तथा आयरन का स्तर जांचने, ह्ृदय और कैंसर संबंधी टेस्ट करवाने के लिए निजी लैबांे में अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है। अस्पताल मंे पहले टेस्ट करने की किटंे न होने तथा अब टेस्ट करने वाली मशीन के खराब होने के चलते इन टेस्टांे का सरकारी लैब मंे पूरी तरह से कामकाज ठप पड़ गया है। अस्पताल  में केवल रूटीन टेस्ट ही किए जा रहे हैं। अस्पताल मंे अहम टेस्ट के लिए मरीजांे को सरकारी लैब में राहत नहीं मिल रही है। मई माह की शुुरुआत में अस्पताल में टेस्ट किट समाप्त होने के चलते थायराइड, कैंसर, हृदय सहित अन्य महत्त्वपूर्ण टेस्ट की सेवा बंद हुई थी वह अभी तक सुचारू नहीं हो सकी है। अस्पताल मंे टेस्ट करने की किटें तो पहुंच गई हैं, लेकिन अब टेस्ट करने वाली मशीन खराब होने के चलते समस्या वैसी ही बनी हुई है। टीएमसी मंे अहम टेस्ट करने में प्रयोग की जाने वाली किटंे समाप्त होने के चलते मार्च माह में प्रशासन द्वारा सबंधित कंपनी को ऑर्डर दिया गया था। कंपनी द्वारा टेस्ट किटंे सप्लाई न करने के चलते मई के शुरुआत में उक्त अहम टेस्ट की सुविधा अस्पताल मंे बंद हो गई थी। इन टेस्ट को अस्पताल की सरकारी लैब में बंद हुए 25 दिन बीत चुके हैं। बताया जा रहा है कि संबंधित कंपनी ने कुछ दिन पहले ही टेस्ट किटंे अस्पताल प्रबंधन को सुपुर्द कर दी हैं। टेस्ट किटंे अस्पताल में पहुंचने के बाद अब उक्त बीमारियांे के टेस्ट करने वाली मशीन के खराब होने का लैटर भी प्रबंधन के पास पहुंच चुका है। टेस्ट किटंे पहुंचने के साथ ही मशीन खराब होने की जानकारी उपलब्ध करवाए जाने पर भी अब सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं।  यदि मशीन खराब थी तो इसकी जानकारी पहले क्यांे नहीं दी गई? अस्पताल की सरकारी लैब मंे प्रतिदिन थायराइड का टेस्ट करवाने के लिए पहुंचते हैं। इतना ही नहीं हृदय तथा कैंसर के मरीजांे के भी अहम टेस्ट होते हैं। अस्पताल मंे सरकारी कम दाम पर यह टेस्ट मरीजांे के किए जाते हैं, परंतु निजी लैबांे मंे इन टेस्ट के लिए एक हजार रुपए से अधिक का दाम चुकाना पड़ रहा है। ऐसे में मरीजांे को सस्ती तथा बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के दावे टांडा अस्पताल में हवा होते दिख रहे हैं।