दूसरों को नहीं, पहले खुद को बदलें

ऊना में श्रीराम कथा के अष्टम दिवस पर अतुल कृष्ण महाराज ने शिव मंदिर में भक्तों को किया निहाल

ऊना -हमें दूसरों से बदला नहीं लेना है, अपितु अपने को बदलना है। राग-द्वेष एवं शत्रुता की खाई में न गिरें तो ही अच्छा। प्रभु की भक्ति में कायरता नहीं वीरता होनी चाहिए। संसार में मां का स्थान कोई नहीं ले सकता जबकि वह सबकी जगह ले सकती है। मां हमें पिता, भाई, बहन, गुरु, मित्र अनेक रूपों में सहारा देती है। इसलिए मां को कभी अपमानित या दुखी नहीं करना चाहिए। मनुष्य मां के उपकारों से कभी ऋण नहीं हो सकता। मां के उपकारों की गिनती नहीं हो सकती। भगवान श्रीराम ने तो कैकेयी जैसी मां को भी कभी अपनी नजरों से नहीं गिरने दिया। उक्त ज्ञानसूत्र श्रीराम कथा के अष्टम दिवस में परम श्रद्धेय अतुल कृष्ण महाराज ने शिव मंदिर, बढेड़ा में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि क्रोध का प्रारंभ मूर्खता एवं उसका अंत पश्चाताप से होता है। त्याग में सुख है संग्रह में नहीं। जहां सुमति है वहीं दैवी संपत्तियां निवास करती हैं। परिवर्तन इस जिंदगी का हिस्सा है। इसे स्वीकार किए बिना आगे नहीं बड़ा जा सकता। अपने लिए हम भगवान से यही प्रार्थना करें कि जीवन के अंतिम क्षण तक मेरे द्वारा दूसरों की सेवा, सहायता, सहयोग एवं परमार्थ होता रहे। ईश्वर आराधना से हमारी बुरी आदतें छूटती जांय तो यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। अतुल कृष्ण ने कहा कि हमारी ऊंची सोच ही हमें ऊंचाई पर ले जाती है। कथा में सर्वश्री अश्विनी कुमार, प्रवीण धीमान, रामकिसन, दीपक ठाकुर, विक्कू ठाकुर, अवतार सिंह, रवि ठाकुर, सुदर्शन ठाकुर, अरविंद शर्मा, विजय कुमार, पं हरिकिशन शर्मा, राम कुमार, विक्की राणा, मलकीयत सिंह, सुखविंद्र बग्गा, रोहित राणा, बलकार सिंह, संदीप ठाकुर, राजिंद्र सिंह, अक्षय राणा, रोमन ठाकुर, रणवीर सिंह, सरदारी लाल, संजीव कुमार, कश्मीर सिंह, नरिंद्र सिंह, रविंद्र ठाकुर, रवि धीमान, कमलजीत, अजय कुमार, चंद्रशेखर शर्मा, रमा कांत शर्मा, सहज ठाकुर सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।