पहाड़ी लोग आज भी निभाते हैं परंपराएं

By: May 1st, 2019 12:04 am

पहाड़ी लोगों के अपने देवी-देवताओं पर व समाज में अपने कुछ विश्वास हैं-आज भले ही आप उनको अंधविश्वास कह लीजिए, परंतु आज के युग में भी लोग उनको मानते हैं और उसके अनुसार चलते हैं। गुर के माध्यम से ‘खेल’ में जो भविष्यवाणी की जाती है, उस पर लोगों का पूर्ण विश्वास है …

 गतांक से आगे …

कुछ धार्मिक विश्वास :

पहाड़ी लोगों के अपने देवी-देवताओं पर व समाज में अपने कुछ-कुछ विश्वास हैं-आज भले ही आप उनको अंधविश्वास कह लीजिए, परंतु आज के युग में भी लोग उनको मानते हैं और उसके अनुसार चलते हैं।

गुर के माध्यम से ‘खेल’ में जो भविष्यवाणी की जाती है, उस पर लोगों का पूर्ण विश्वास है और कोई भी हानि उठानी पड़े, परंतु उस पर अमल किया जाएगा। यदि देवता किसी घर को रहने के अयोग्य करार दे देता है तो उसे छोड़ दिया जाएगा-भले ही वह कितना कीमती क्यों न हो। बीमारियों आदि का इलाज भी देवी-देवता करते हैं और स्वस्थ होने पर जो भेंट मांगे, उन्हें देनी पड़ती है। सांसारिक इच्छाएं पूरी करने के लिए यानी शादी हो जाए, लड़का हो जाए, परीक्षा में सफल हो जाएं, नौकरी मिल जाए-आदि बातों के लिए भी देवताओं के पास प्रार्थना की जाती है और इच्छा पूरी हो जाने पर देवता को वह भेंट चढ़ानी होती है, जो मानी गई हो, या जो देवी-दवेता मांगे। मानी गई वस्तु या भेंट न देने पर देवी-देवता ‘खोट’ करते हैं यानी वे कोई उपकार कर सकते हैं।

जादू-टोना:

यहां के लोग जादू-टोना पर भी विश्वास करते हैं यानी लोगांे द्वारा मंत्र से अपने आप या मंत्र से जानने किसी अन्य व्यक्ति द्वारा परिवार के किसी सदस्य या पशु का बुरा किए जाने पर विश्वास किया जाता है। मंत्रों द्वारा अपकार किए जाने वाले व्यक्ति को ‘डग’ कहते हैं और यदि स्त्री है तो उसे ‘डैण’ या डायन कहा जाता है। ऐसे लोगों से समाज में अंदरूनी तौर पर लोग नफरत करते हैं। इस प्रकार की बीमारी का इलाज करने वाला व्यक्ति भी कोई मंत्र-ज्ञाता ही होता है, जिसे ‘चेला’ या ‘गुर’ कहते हैं। ऊपरी भाग में यह काम लामा द्वारा किया जाता है। ‘चेला’ या ‘गुर’ के पास सांकलनुमा लोहे की छड़ी होती है। वह उसी छड़ी में मंत्र पढ़ते हुए बीमारी, भूत-प्रेत को झाड़ कर भगाता है। या फिर कई बार कागज या भोजपत्र पर लिखे जंत्र दिए जाते हैं, जिन्हें व्यक्ति को या तो गले मंे डालना पड़ता है या फिर पानी आदि में घोलकर पीना पड़ता है या तेेल, घी लगाकर अग्नि के अंगारे पर रखकर उनका धुआं लेना पड़ता है। या कहीं-कहीं ‘चेला’ या ‘गुर’ सरसों के दाने, गुगल धूप या अन्य चीजें मंत्र कर कथित व्यक्ति को देते हैं। उन्हें उसे अंगारों पर रखकर अपने शरीर को उनका धुआं देना पड़ता है।


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