पुस्तक मेला…1971 के प्रिंट रेट पर मिल रहीं किताबें

By: May 1st, 2019 12:05 am

धर्मशाला—क्या कभी आप सोच सकते हैं कि मात्र पांच रुपए 75 पैसे में आज के जमाने में भी कुछ मिल सकता है। आज के दौर में स्कूल में एक पैंसिल की भी इससे अधिक किमत है और एक चॉकलेट भी पांच रुपए में नहीं मिलती है, लेकिन भारतीय पुस्तक न्यास के पुलिस मैदान धर्मशाला में चल रहे पुस्तक मेले में वर्ष 1971 में निर्धारित मूल्यों पर आज 2019 में किताबें मिल रही हैं। किताबों का मूल्य 1971 में निर्धारित है, लेकिन इनमें हिमाचल सहित देश भर की महत्त्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध है। ऐसे में आंकड़ों के प्रेमी और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए पुस्तक मेले में जनगणना विभाग का स्टॉल मुख्य आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पुस्तक मेले में जनगणना कार्यालय निदेशालय शिमला के स्टॉल में सरकारी आंकड़ों पर रुचि रखने वाले लोगों के लिए यह स्टॉल खासा आकर्षित कर रहा है। स्टॉल में हिमाचल प्रदेश के दशकों पुराने जगणना के आंकड़ों सहित कला, साहित्य सहित अन्य जानकारियों से भरपूर पुस्तकों की भरमार है। इस स्टॉल की सबसे खास बात यह है कि वर्ष 1971 की अति महत्त्वपूर्ण किताबें सजाई गई है, लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि 1971 में किताबों के प्रिंट मूल्य के तहत ही आज भी किताबों की बिक्री की जा रही है। स्टॉल पर सोशल एडं क्लचरल टेबल हिमाचल प्रदेश पार्ट-दो सी सबसे कम मूल्य दस फीसदी छूट के साथ पांच रुपए 75 पैसे में मिल रही है। वहीं एस्टेबलिशमेंट रिपोर्ट एडं टेब्लस हिमाचल प्रदेश पार्ट-तीन सात रुपए 75 पैसे में मिल रही है। इसके अलावा आर्ट ऑफ वेविंग हिमाचल प्रदेश आठ रुपए 25 पैसे, इक्लोमिक टेबल्स हिमाचल प्रदेश पार्ट-11 बी नौ रुपए पांच पैसे, जनरल रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश पार्ट नौ रुपए 25 पैसे में मिल रही है। जनगणना कार्य निदेशालय हिमाचल प्रदेश शिमला के स्टॉल में रखी गई यह सभी पुस्तकें 1960 से 1980 के दशक के बीच की हैं। उधर, जनगणना कार्य निदेशालय हिमाचल प्रदेश के स्टॉल पर तैनात प्रतिनिधि नरेंद्र कुमार ने बताया कि दशकों पुरानी इन पुस्तकों का मूल्य जो उस समय था, उन्हीं मूल्य पर किताबें बेची जा रही है। पुरानी किताबों को ऑनलाइन भी कर दिया गया है, जिससे कोई भी आसानी से इन्हें पढ़ सकता है।

अपने हुनर को पहचानो

धर्मशाला ।  बच्चे अपने मानव संसाधन को पहचान सके व श्रम के महत्त्व को समझें और जान सके कि प्रत्येक काम करने वाला व्यक्ति देश की प्रगति में समान भागीदार है। बच्चों को इन्हीं सब बातों की जानकारी देने के लिए मंगलवार को राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा एक वर्कशॉप करवाई गई, जिसका मुख्य उद्देश्य अपने हुनर को पहचानो रहा। इसमें विभिन्न स्कूलों से बच्चे आए हुए थे। 100 से अधिक बच्चे सिविल लाइंस और डीपो बाजार क्षेत्र के गली मोहल्ले में गए और तलाश की। वह घड़ीसाज, बढ़ई, मोची, नाई जैसे श्रम सहाय कार्य करने वाले कौन-कौन लोग रहते हैं, और कहां रहते हैं?  बच्चों को ओपन एयर जेल में ले जाकर वहां पर मौजूद लोगों से मिलवाया गया। वहां पर काम करने वाले लोगों से सब बच्चों ने बातचीत की और कई तरह के प्रश्न पूछे और बाद में यह सब जानकारी बच्चों ने एक शीट में उतार कर सब लोगों के सामने प्रस्तुत की। इस कार्यशाला का समन्वय धीरज सिंह रावत द्वारा किया गया। कार्यशाला का संचालन पंकज चतुर्वेदी द्वारा किया गया। इस दौरान जीडी गोयंका स्कूल व राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दाड़ी के विद्यार्थी मौजूद रहे।

व्यापारियों के चेहरे लटके

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास के धर्मशाला पुस्तक मेले में तीसरे दिन ही पुस्तक प्रकाशकों ने सामान समेटना शुरू कर दिया है। पुस्तक मेले के लिए जितना खर्चा उन्होंने कर दिया है, लेकिन उतनी अधिक संख्या में बिक्री नहीं हो पा रही है। प्रकाशकों ने खरीददारों के लिए ऑफर के बोर्ड भी टांग दिए हैं, लेकिन फिर भी पुस्तकों की ओर लोग आकर्षित नहीं हो पा रहे हैं। प्रकाशकों का कहना है कि पुस्तक मेले में लोग अधिक किताबें नहीं खरीद रहे हैं।


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