प्रदेश सरकार एनएच की मरम्मत को तैयार

शिमला —हिमाचल सरकार ने प्रदेश के नेशनल हाई-वे के रखरखाव को अपने अधीन लेने का केंद्रीय मंत्रालय को प्रस्ताव दिया है। इसमें कहा गया है कि राज्य के 774 किलोमीटर नेशनल हाई-वे की हालत दयनीय है। इसके चलते केंद्रीय भूतल एवं सड़क मंत्रालय नेशनल हाई-वे के मेंटेनेंस के लिए डिपोजिट वर्क का प्रावधान करे। प्रदेश सरकार डिपॉजिट वर्क मिलने पर सभी नेशनल हाई-वे की मेंटेनेंस खुद करने को तैयार है। हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव बीके अग्रवाल ने नई दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के सचिव संजीव रंजन के साथ अहम बैठक की। इस दौरान हिमाचल के नेशनल हाई-वे पर मुख्य सचिव ने मजबूती से पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि एनएचएआई अच्छी तरह से और नियमित रूप से 774 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों का रखरखाव नहीं कर रहा है। मुख्य रूप से राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में नियमित रखरखाव के लिए आवश्यक फील्ड स्टाफ व श्रमिकांे की कमी के कारण यातायात के लिए सुरक्षित नहीं हैं। ऐसे में राज्य सरकार ने सुझाव दिया है कि इनकी रखरखाव गतिविधियों को राज्य लोक निर्माण विभाग के एनएच विंग को एनएचएआई के जमा कार्यों डिपॉजिट वर्क्स के रूप में सौंपा जा सकता है। उन्होंने कहा कि स्टेट पीडब्ल्यूडी के पास नियमित रखरखाव के लिए पर्याप्त फील्ड जनशक्ति और बुनियादी ढांचा है। बीके अग्रवाल ने संजीव रंजन को कीरतपुर-नेरचौक परियोजनाओं (84.38 किलोमीटर) के फोरलेनिंग का कार्य, जो कि जून, 2018 से बंद पड़ा है, के बारे में अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि यह राजमार्ग कुल्लू व मंडी जैसे पर्यटक स्थलों तक जाने वाली जीवनरेखा है। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को इस परियोजना में दोबारा कार्य शुरू करने व 2012 से लंबित कार्य को बिना किसी विलंब पूरा करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि नेरचौक-पंडोह परियोजना (26.29 किलोमीटर) का कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है और उन्होंने एनएचएआई से इस परियोजना पर कार्य को तेज करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है। उन्होंने पिंजौर-बद्दी-नालागढ़ फोर-लेनिंग परियोजना के लिए 31.400 किलोमीटर की लंबाई (हिमाचल प्रदेश में 17.00 किलोमीटर) में हो रहे विलंब के बारे में भी अवगत करवाया। उधर, भारत सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग, जहाजरानी मंत्रालय के सचिव संजीव रंजन ने आश्वासन दिया कि इन सड़कों को प्राथमिकता के रूप में लिया जाएगा।