बद्दी की रैकी कर गया ड्रोन

अवैध खनन पर नजर रखने के लिए की गई फिजीबिलिटी स्टडी

शिमला-ड्रोन से बद्दी व बरोटीवाला क्षेत्रों की रैकी गई। इससे देखा गया कि कहीं पर अवैध रूप से खनन तो नहीं हो रहा। यहां खड्डों पर विशेष रूप से नजर दौड़ाई गई क्योंकि लगातार इन सीमावर्ती क्षेत्रों में अवैध रूप से खनन के मामले सामने आते रहे हैं। प्रदेश सरकार भविष्य में ड्रोन के सहारे अवैध खनन पर रोक लगाने की सोच रही है, जिसे लेकर पिछले दिनों बद्दी व बरोटीवाला के क्षेत्रों में ड्रोन से फिजीबिलिटी स्टडी की गई। सूत्रांे के अनुसार गुड़गांव की एक निजी कंपनी इन शाइन ने अपने ड्रोन यहां पर उड़ाए और उद्योग अधिकारियों को बताया कि कहां पर क्या गतिविधियां चल रही हैं। अभी इस पर विस्तार से स्टडी हो रही है। बताया जाता है कि प्रदेश के कुछ और क्षेत्रांे में भी ड्रोन से ऐसी रैकी करवाई जाएगी, जिसके बाद देखा जाएगा कि हिमाचल में यह प्रयोग कितना सफल होता है। कंपनी से उनकी स्टडी रिपोर्ट मांगने के साथ ही उद्योग विभाग के माइनिंग विंग के आलाधिकारियों ने भी अपने स्तर पर रिपोर्ट तैयार करने की सोची है। यह दोनांे रिपोर्ट आला अफसरों के सामने आएगी और इसे सरकार के सामने लाया जाएगा। इसके आधार पर सरकार फैसला लेगी कि अवैध खनन को रोकने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल भविष्य में किया जाए या फिर नहीं। कुछ समय पहले ही यह निर्णय लिया गया था कि ड्रोन से सभी ऐसे इलाकों की रैकी की जाए, जहां पर अवैध खनन के मामले रुक नहीं रहे हैं। प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों मंे सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं। विभाग के पास इसे रोकने के लिए बड़ा ढांचा भी नहीं है,लिहाजा इस तरह के उपाय अपनाकर नजर रखने की सोची गई है। वैसे माइनिंग साइट्स को कानूनी तरीके से ठेकेदारों को सौंपकर विभाग ने आधा काम तो कर दिया है, जिससे दूसरे लोग वहां पर खनन नहीं कर पा रहे परंतु अभी भी ऐसा बड़ा एरिया है, जहां पर अवैध रूप से खनन हो रहा है। राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों मंे कांगड़ा व ऊना में भी ऐसे मामले काफी संख्या में आते हैं। खासकर नूरपुर विधानसभा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध खनन के आरोप पूर्व में लगते रहे हैं।॒ अब समय रहते उस पर कार्रवाई होती है या नहीं यह समय बताएगा।॒ अभी तक ड्रोन का इस्तेमाल॒ वन क्षेत्रों मंे अवैध कटान पर नजर रखने के लिए दूसरे राज्यों मंे होता है वहीं रेलवे भी इससे नजर रखता है।