मंडी में 24 पोलिंग स्टेशन क्रिटिकल

मंडी—चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों में पारदर्शिता बरतने के लिए वैसे तो चुनाव आयोग पूरी तैयारी करता है, लेकिन संवेदनशील पोलिंग स्टेशन में विशेष निगरानी की जाती है। 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए मंडी जिला में 24 पोलिंग स्टेशन क्रिटिकल हैं। इन संवेदनशील बूथ में विशेष निगरानी की जाएगी। मंडी जिला में सुंदरनगर विधानसभा क्षेत्र ही इकलौता ऐसा विस क्षेत्र है, जहां एक भी क्रिटिकल पोलिंग स्टेशन नहीं है, जबकि धर्मपुर विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा पांच संवेदनशील पोलिंग स्टेशन हैं। जिला के 1123 पोलिंग स्टेशन में से 1017 पोलिंग स्टेशन सामान्य हैं, जबकि 82 फार-फ्लंग पोलिंग स्टेशन हैं। यहां बता दें कि क्रिटिकल पोलिंग स्टेशन में चुनाव के दौरान विशेष निगरानी रखी जाएगी। 24 पोलिंग स्टेशन में मतदान के दौरान वेबकास्टिंग की सुविधा होगी, जबकि यहां विशेष तौर पर माइक्रो आब्जर्वर भी तैनात किए जाएंगे। इसके अलावा वोटिंग की वीडियोग्राफी भी की जाएगी, ताकि चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के साथ ही हर गतिविधि जांची जा सके। क्रिटिकल पोलिंग स्टेशन में किसी भी तरह की हिंसा या दूसरी गतिविधियों को रोकने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल भी तैनात रहेगा। हालांकि मतदान के लिहाज से हिमाचल और मंडी जिला शांतिप्रिय है, लेकिन चुनाव आयोग के जो मापदंड हैं, उनमें पिछले इलेक्शन के हिसाब से ये क्रिटिकल केटागरी में आते हैं। जिला के दस विधानसभा क्षेत्रों में से करसोग में एक, नाचन में दो, सराज में तीन, द्रंग में दो, जोगिंद्रनगर में तीन, धर्मपुर में पांच, मंडी सदर में दो, बल्ह और सरकाघाट विधानसभा क्षेत्र में तीन-तीन क्रिटिकल पोलिंग स्टेशन हैं। ऐसे में इन मतदान केंद्रों में चुनाव के दौरान विशेष निगरानी की जाएगी। क्रिटिकल पोलिंग स्टेशन में भी एक, दो, तीन और चार नंबर निर्धारित किए गए हैं।

ऐसे पोलिंग स्टेशन क्रिटिकल की केटागरी में

क्रिटिकल पोलिंग स्टेशन के लिए करीब आठ तरह के मापदंड तय किए गए हैं। इनमें किसी मतदान केंद्र मंे यदि 90 फीसदी से ज्यादा वोट फीसद रहता है, जिसमें से 75 फीसदी वोट किसी एक ही कैंडिटेट को गया हो, उन्हें क्रिटिकल पोलिंग स्टेशन में लिया जाता है। इसके अलावा जिन मतदान केंद्रों में कोई हिंसा हुई हो या बिना किसी फैमिली लिंक के बहुत से मतदाताओं का लिस्ट से गायब हो जाना। साथ ही अन्य भी कुछ मापदंड तय किए गए हैं।