मशरूम केंद्र को चार करोड़

सोलन—उद्यान विभाग के चंबाघाट स्थित मशरूम केंद्र में आधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण किसान भवन बनेगा। इसके लिए करीब चार करोड़ का बजट स्वीकृत हो गया है और टोकन मनी को लोक निर्माण विभाग को जमा भी करवा दिया गया है। किसान भवन बनने से मशरूम केंद्र में प्रशिक्षण के लिए आने वाले किसान व बागबानों को लाभ मिलेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि आचार संहिता हटते ही इस भवन के निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि सोलन ऐसा जिला है जहां कोई किसान भवन नहीं है, जबकि यह कई जिलों का भी केंद्र है और किसान-बागबानों का यहां आना-जाना लगा रहता है। उद्यान विभाग का मशरूम केंद्र सोलन जल्द ही चंबाघाट में किसान भवन बनाएगा, जिससे किसानों की वर्षों पुरानी मांग पूरी हो जाएगी। इस योजना का नक्शा व एस्टीमेट तैयार किया गया है। चंबाघाट में किसान भवन तैयार हो जाने से यहां प्रदेश के विभिन्न जिलों से आने वाले किसान-बागबानों को फायदा होगा। सोलन में मशरूम केंद्र काफी पुराना है और यहां हर वर्ष सैकड़ों किसानों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जाता है। इस केंद्र में प्रदेश के पांच जिलों सोलन, सिरमौर, शिमला, बिलासपुर व किन्नौर के किसान-बागबान मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण ग्रहण करने आते हैं। इस प्रशिक्षण में आने वाले किसानों को ठहरने की यहां कोई सुविधा नहीं है और किसानों को मशरूम अनुसंधान निदेशालय के विश्रामगृह में ठहरना पड़ता है। डीएमआर में विश्रामगृह खाली न मिलने पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों को ही स्थगित तक करना पड़ता है या फिर किसानों के ठहरने की व्यवस्था दूर की जाती है। इसके अलावा यहां अन्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों व फल व सब्जी मंडी में आने वाले किसानों के ठहरने की भी उचित व्यवस्था नहीं है। इसी के चलते यहां काफी लंबे समय से किसान भवन बनाने की मांग की जा रही थी। किसान भवन बन जाने के बाद मशरूम केंद्र में लगने वाले प्रशिक्षण शिविरों को सुविधानुसार लगाया जा सकेगा, जिससे प्रदेश के किसानों को काफी लाभ मिलेगा। तीन मंजिला बनने वाले इस भव्य भवन के लिए मशरूम केंद्र के समीप ही खाली पड़ी जमीन का चयन किया गया है।

किसान भवन में ये होंगी सुविधाएं

चंबाघाट में बनने वाले किसान भवन में तीन सेट वीआईपी, दो ऑफिसर सेट, 17 डबल बैडिड रूम, डोरमेटरी, बड़ा डायनिंग हॉल, किचन, शौचालय, स्नानागार आदि की सुविधाएं उपलब्ध होंगी। डायनिंग हॉल में करीब 50 लोग एक साथ खाना खा सकेंगे। यह भवन पूरी तरह से आधुनिक सुविधाओं से युक्त होगा।

पांच जिलों में 12 हजार मीट्रिक टन है उत्पादन

मशरूम विकास परियोजना के तहत समय-समय पर इन जिला के किसानों, बागबानों व शिक्षित बेरोजगारों के लिए प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर उन्हें मशरूम उत्पादन की व्यवहारिक जानकारी दी जाती है ताकि वह अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर मशरूम की खेती कर सकें। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पांच से सात दिन का होता है। खुंब परियोजना चंबाघाट के तहत अब तक 2500 से अधिक किसान पंजीकृत किया जा चुका है, जबकि दस हजार किसानों व बागबानों को मशरूम का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। परियोजना के तहत दी गई तकनीकी जानकारियों के सार्थक परिणाम सामने आए हैं। परियोजना के तहत आने वाले पांच जिलों में प्रतिवर्ष 12 हजार मीट्रिक टन मशरूम का उत्पादन किया जा रहा है।