महिलाओं की आवाज बनीं सुभाषिनी अली

By: May 17th, 2019 12:03 am

सुभाषिनी अली 1989 में कानपुर से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद में पहुंचीं थीं। सुभाषिनी समाज के निर्बल वर्ग और महिला अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करने वाली मानवाधिकार कार्यकर्ता और ट्रेड यूनियन लीडर हैं। बहुमुखी प्रतिभा की धनी सुभाषिनी कई फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा भी मनवा चुकी हैं। सुभाषिनी आजाद हिंद फौज की कैप्टन रहीं डाक्टर लक्ष्मी सहगल की बेटी हैं।उनकी नानी अम्मू स्वामीनाथन तमिलनाडु से पहली लोकसभा की सदस्य थीं। सुभाषिनी का जन्म कोलकाता में 29 दिसंबर, 1947 को हुआ था। पिता कर्नल प्रेम सहगल और मां लक्ष्मी सहगल आजादी के बाद कानपुर आ गए। उनकी पढ़ाई वेलहेम्स गर्ल हाई स्कूल उत्तराखंड और वूमन क्रिश्चियन कालेज, चेन्नई में हुई। उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई की।

संघर्ष से कई बार हिल गईं सरकारें

सुभाषिनी अली ने भले ही संसद का चुनाव दोबारा नहीं जीता, पर वह महिलाओं और किसानों और निर्बल लोगों को हक के लिए लगातार आवाज उठाती रहती हैं। सुभाषिनी के संघर्ष से कई बार सरकारें हिल गईं। दलित शोषण मुक्ति मंच बनाकर उन्होंने बलात्कार, एसिड अटैक, घरेलू हिंसा से पीडि़त महिलाओं को इनसाफ दिलाया। अपने संगठन के बल पर उन्होंने ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं की आवाज सरकार तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया। सुभाषिनी माकपा के महिला संगठन अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की उपाअध्यक्ष हैं। वे माकपा पोलित ब्यूरो की भी सदस्य हैं। वृंदा करात के बाद वे माकपा पोलित ब्यूरो की दूसरी महिला सदस्य हैं।

1989 में कानपुर से पहुंचीं संसद

सुभाषिनी अली ने 1989 में कानपुर नगर से लोकसभा का चुनाव सीपीएम के टिकट पर लड़ा और भाजपा के जगतवीर सिंह द्रोण को 56 हजार मतों से पराजित किया, पर 1991 में दोबारा चुनाव हुए, जिसमें सुभाषिनी को हार मिली। इसके बाद वह कानपुर से 1996 में भी पराजित हुईं। साल 2014 में उन्होंने पश्चिम बंगाल के बैरकपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा, पर वहां भी जीत नहीं मिली।

कई फिल्मों में किया अभिनय

सुभाषिनी अली की शादी मशहूर फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली से हुई थी। सुभाषिनी नेता होने के साथ एक बेहतरीन कलाकार भी हैं। उन्होंने अशोका, गुरु, आमू जैसी बालीवुड फिल्मों में अभिनय किया है। उन्होंने साल 2001 में आई फिल्म अशोका में शाहरुख खान की मां का रोल निभाया था। 1981 में आई फिल्म उमराव जान में महिला पात्रों के कॉस्ट्यूम सुभाषिनी ने ही डिजाइन किए थे। वह अच्छी वक्ता हैं और समाचार पत्र-पत्रिकाओं में लगातार लिखती भी हैं। वह सोशल मीडिया पर भी सक्रिय हैं। उनके बेटे शाद अली जाने माने फिल्मकार हैं।


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