मुस्कुराइए! आप पहाड़ों की रानी में हैं

शिमला—अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला की तस्वीर इन दिनों पूरी तरह बदल गई है। शिमला में पर्यटन सीजन चरम पर है और राजधानी पर्यटकों से गुलजार है। पिछले साल शिमला पानी की किल्लत का दंश झेल चुका है परंतु इस बार सरकार के प्रयासों के बाद शहर में पानी की कोई कमी नहीं है। अभी पर्यटक सीजन और उफान पर आएगा और खास कर टूरिस्ट्स के लिए शिमला में ग्रीष्मोत्सव का आयोजन भी किया जाएगा। ऐसे में यहां पर पानी की कमी पेश नहीं आएगी क्योंकि शहर के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था पर सरकार ने गंभीरता से ध्यान दिया है। हर रोज, हर घर में पानी की आपूर्ति हो रही है। वर्ष भर पहले पानी के संकट से जुड़ी अनेक समस्याएं अब छू.मंतर हो गई हैं। वर्तमान सरकार ने जल संसाधन प्रबंधन और जलापूर्ति में सुधार एवं स्वच्छता लाने के लिए ठोस कदम उठाए। सरकार द्वारा देश में पहली बार शिमला में नवीन प्रयोग किया गया। शहर की जलापूर्ति योजना का गूगल मैप ड्रोन की मदद से तैयार किया गया और इसे जीआईएस में परिवर्तित किया गया। योजनाओं को चिन्हित कर इनके सवंर्धन का कार्य आरम्भ किया गया। राज्य सरकार ने संकट की उस घड़ी में हर चीज का बारीकी से आकलन किया। शहरवासियों को तत्कालीन जल संकट से निजात दिलाने और भविष्य की योजना तैयार करने के लिए तीन चरणों में प्रयास शुरू हुए। तत्काल, अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक समाधान के लिए विचार विमर्श हुआ। योजनाएं बनाईं, योजनाओं को कार्य रूप देने और निरन्तर संवर्धन योजनाओं की प्रगति और गुणवत्ता का अवलोकन किया गया। इसके लिए विशेष रूप से शिमला जल प्रबन्धन निगम लिमिटेड बनाया गया है जोकि पानी की व्यवस्था को पूरी तरह से जिम्मेदार है। सकारात्मक सोच के साथ ठोस फैसलों के सुखद परिणाम अब हमारे सामने हैं। राष्ट्रीय मानकों के अनुसार आज शिमला शहर में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के हिसाब से पानी घर-घर पहंुच रहा है। कहीं से भी पानी नहीं मिलने की कोई शिकायत फिलहाल नहीं आ रही। निगम के सतत् प्रयासों से जलापूर्ति योजनाओं के संवर्धन का काम शुरु हुआ। वर्ष 1921 में गुम्मा परियोजना का शुभारम्भ 22 एमएलडी जलापूर्ति की क्षमता के साथ किया गया था। वर्तमान राज्य सरकार ने परियोजना का संवर्धन किया। अब यहां से प्रतिदिन 27 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है। यहां आठ पंप बदलकर नए लगाए गए हैं। यहीं 1.50 करोड़ रुपये की लागत से नई वाटर ट्रीटमेंट टैक्नोलॉजी भी आरम्भ की गई। इलैक्ट्रिक पैनल और ट्रांसफार्मर भी बदले गए। पुराने पम्पों को बदलने से बिजली की खपत में 6 प्रतिशत तक कमी आई है।

आठ करोड़ से बदली 5500 मीटर पाइप लाइन

गिरि परियोजना में 8 करोड़ रुपये की लागत से 5500 मीटर पाइप लाइन बदली गई है। गिरी परियोजना में सैंज खड्ड से पानी लिया जाता है, यहां से प्रतिदिन 20.21 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जाती थी। अश्वनी खड्ड की जलापूर्ति प्रणाली को कोटी.बरांड़ी, बीन नाला में सुधारा गया, 4.6 किलोमीटर लंबाई में 5 करोड़ रुपए की लागत से इसे ऊंचा किया गया। अश्वनी खड्ड योजना से जलापूर्ति नहीं की जा रही है, लेकिन पंपिंग के खर्च को कम करने की दृष्टि से यहां के केवल पंपिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है।

चुरूट परियोजना से 4.4 एमएलडी पानी रोजाना

चुरूट परियोजना से प्रतिदिन 4.4 एमएलडी और चेहड़ जलापूर्ति से प्रतिदिन 2.5 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है। 69 करोड़ रुपए की चाबा उठाऊ जलापूर्ति संवर्धन योजना का कार्य युद्धस्तर पर किया गया और चाबा से पानी उठाकर गुम्मा तक पहुंचाने का कार्य केवल 142 दिन के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया, जो स्वयं में एक उपलब्धि है।

क्रेगनैनो से ढली को नई पाइप लाइन

जलापूर्ति के दौरान पानी की क्षति को रोकने के लिए क्रेगनैनो से ढली तक 7.2 किलोमीटर क्षेत्र में 8150 करोड़ रुपए की लागत से और संजौली से ढली 2.25 किलोमीटर लंबी नई पाइप लाइन 2.10 करोड़ रुपए की लागत से बिछाई गई है। ऐसे कई कार्य करके शिमला में पानी की स्थिति में सुधार हुआ है और जितनी संख्या में यहां पर्यटक पहुंच रहे हैं उससे साफ है कि यह पर्यटन सीजन शिमला का खोया हुआ वैभव वापस दिलाएगा।