मूल्यवान सूत्र

By: May 18th, 2019 12:06 am

जेन कहानियां

जेन के जापान अनुयायी तेत्सुगन ने बौद्ध मत के कुछ  ऐसे सूत्रों का प्रकाशन जापानी भाषा में करने का बीड़ा उठाया, जो तब तक केवल चीनी भाषा में उपलब्ध थे। यह एक विशाल पैमाने का काम था। लकड़ी के छापों से सात-सात हजार प्रतियों में सूत्रों की कई किताबें छपनी थीं। तेत्सुगन ने यात्राएं करते हुए इनके लिए धन संग्रह करना शुरू किया।  कभी-कभी किसी दानवीर द्वारा सौ स्वर्ण मुद्राएं दे देने के अलावा दान में उन्हें छोटी राशि ही मिलती थी। वे सभी दानदाताओं को एक समान शुक्रिया अदा करते थे। दस वर्ष पूरे होते-होते तेत्सुगन के पास काम शुरू करने लायक धन इकट्ठा हो गया। इन्हीं दिनों ऊजी नदी में भयंकर बाढ़ आई। बाढ़ के पीछे-पीछे भीषण अकाल चला आया। तेत्सुगन ने सूत्रों के प्रकाशन के लिए इकट्ठा किया हुआ धन लोगों के फाके में खर्च कर दिया। कुछ वर्ष बाद पूरे देश में महामारी फैल गई। तेत्सुगन ने दोबारा जो कुछ जोड़ा था,उसे भी लोगों की सहायता करने में खर्च कर दिया। तेत्सुगन ने तीसरी बार काम शुरू किया। कोई बीस वर्ष  बाद सफलता उनके हाथ लगी। सूत्रों के पहले संस्करण को छापने में काम आए वे छापे आज भी क्योटो शहर के ओबाकू बौद्ध विहार में देखे जा सकते हैं। जापानी लोग अपने बच्चों को बताते हैं कि तेत्सुगन ने इन बौद्ध सूत्रों के तीन संस्करण तैयार किए थे। पहले दो अनुपलब्ध संस्करण अंतिम प्रकाशित संस्करण से कहीं ज्यादा मूल्यवान थे।


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