राघव की आइस्‍क्रीम

By: May 1st, 2019 12:04 am

गर्मियों के दिन थे जैसे ही राघव आज स्कूल से आया तो फिर उसने घर पर ताला देखा। घर की सीढि़यों पर वह अपना बैग रख कर बैठ गया। उसे भूख लगी थी और  गर्मी भी, वह थका हुआ भी था। वह सोचने लगा, काश मेरी मां भी राजू की मां की तरह ही घर पर ही होती।

मैं स्कूल से आता तो मुझे स्कूल के हाल-चाल पूछती, मेरे लिए गरमागर्म खाना बनाती और मुझे प्यार से खिलाती। सचमुच कतना खुशनसीब है राजू! इन्ही विचारों में खोए बंटी की न जाने कब आंख लग गई वह वहीं बैठे-बैठे ऊंघने लगा। कुछ देर में मां दफ्तर से आई और बोली, राघव उठो बेटे, चलो अंदर चलो। राघव उकता, हुए स्वर में बोला, ओफ. ओ मां, तुमने कितनी देर लगा दी, मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं। तुम्हे मालूम है, मुझे कितनी जोरों की भूख लगी है। मेरे पेट में चूहे दौड़ रहे हैं। मां राघव को पुचकारते हुए बोली, देखो, मैं अभी तुम्हारी थकावट दूर करती हूं। खाना गर्म कर के अभी परोसती हू। ऐसा कहते हुए मां ने ताला खोला, जल्दी से अपना पर्स सोफे पर फेंकते हुए मां किचन में जा घुसी। राघव जल्दी से कपड़े बदलो, दो मिनट में खाना आ रहा ह। राघव सोफे पर फिर से ऊंघने लगा। मां ने आ कर बंटी को उठाया और उसे बाथरूम में धकेला। राघव ने हाथ-मुंह धोए और खाने की मेज पर जा बैठा। खाना खाते-खाते बंटी कुछ सोचने लगा। उसे वे दिन याद आने लगे जब पापा भी थे। घर खुशियों का फव्वारा बना रहता था। पापा की हंसी, पापा के चुटकुले सारे घर को रंगीन बना देते थे। पापा प्यार से उसे मिठ्ठू बुलाते थे। राघव की कोई भी परेशानी होती, पापा के पास सब के हल होते, मानो परेशानियां पापा के सामने जाने से डरती हों। कितने बहादुर थे पापा। एक बार उसे याद है जब पापा दफ्तर से आईस्क्रीम ले कर आए थे। तीनों की अलग-अलग फ्लेवर वाली आईस्क्रीम! घर तक आते-आते आईस्क्रीम पिघल चुकी थी और मां ने कहा था, तुम भी बस…! क्या इतनी गर्मी में आईस्क्रीम यूं ही जमी रहेगी। पापा ने तीनों आईस्क्रीमों को मिला कर नए फ्लेवर वाला मिल्क-शेक बनाया था।

अचानक मां का कोमल हाथ उसके बालों को सहलाने लगा। वह मानो नींद से जाग उठा हो। माँ ने कहा, क्या बात है। आज तुम बड़े गुम-सुम से दिखाई दे रहे हो। कहीं आज फिर से तो अजय से झगड़ा नहीं हुआ, या फिर तुम्हारी टीम क्रिकेट के मैच में हार गई। राघव ने कहा, मां पता नहीं क्यों आज मुझे पापा की बड़ी याद आ रही है। पापा को भगवान ने अपने पास क्यों बुला लिया। इतना सुनते ही मां ने जोर से राघव को गले से लगा लिया और उसकी आंखें आसुंओं से लबा-लब भर गईं मां की सिसकियां बंद होने का नाम ही नहीं ले रही थीं। यह देख कर बंटी का उदास मन कुछ और उदास हो गया। उसे लगा जैसे इसी क्षण वह बहुत बड़ा हो गया है और मां का उत्तरदायित्व उसी के कंधे पर आ गिरा है। उसने ठान लिया कि वह अपने आसुंओं से मां को कमजोर नहीं होने देगा। कितनी मेहनती है मां! घर काए बाहर का सारा काम कर के वह उसे हमेशा खुश रखने की कोशिश करती है। अब वह कभी नहीं रोएगा। वह पापा की तरह बनेगा, हमेशा खुशियां बांटने वाला और तकलीफों पर पांव रख कर आगे बढ़ने वाला। वह मां को बहुत सुख देगा। उसे हमेशा खुश रखेगा। इतना सोचते-सोचते वह जल्दी-जल्दी खाना खाने लगा। अगले दिन उठ कर राघव ने अपनी गुल्लक से पांच रुपए का नोट निकाला। मां से छिपाकर, जेब में डालते हुए वह स्कूल की ओर चल पड़ा। ये पैसे वह ऐरो-मॉडलिंग के लिए बचा रहा था। उसे नए-नए छोटे-छोटे लड़ाकू विमान बनाने का बहुत शौक था। पर आज यह पैसे किसी और मकसद के लिए थे। स्कूल से आ कर वह मां से बोला, मां देखो तो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूं! ये रही तुम्हारी फू्रट एैंड नट आईस्क्रीम और मेरी चॉकलेट आईस्क्रीम। लिफाफा आगे बढ़ाया तो देखा, दोनो आईस्क्रीमें घुल कर एक हो गई थीं। मां ने कहा, तुम भी बस। क्या इतनी गर्मी में। और बंटी ने वाक्य पूरा करते हुए कहा, आईस्क्रीम यूं ही जमी रहेगी और दोनों जोर से खिलखिलाकर हंस दिए।


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