राजनीति का जरिया है पानी

By: May 15th, 2019 12:05 am

हिमांशु ठक्कर

स्वतंत्र लेखक

इन दिनों मध्य प्रदेश के इंदिरा सागर बांध से गुजरात के लिए अप्रत्याशित रूप से सामान्य से कहीं अधिक पानी छोड़ा जा रहा है। मध्यप्रदेश सरकार की गुजरात के प्रति इस दरियादिली से मध्य प्रदेश के किसानों और नर्मदा किनारे रहने वालों के लिए गर्मी का यह मौसम भारी कठिनाई भरा होने की आशंका है। विडंबना यह है कि मध्यप्रदेश के इस पानी से गुजरात के किसानों, आम लोगों को कोई फायदा नहीं हो रहा है। वहां भी एक तरफ कपास की फसलें बर्बाद हो रही हैं, तो दूसरी तरफ पर्यटकों की मौज-मस्ती के लिए जल-क्रीड़ाओं का इंतजाम किया जा रहा है। ‘नर्मदा घाटी विकास परियोजना’ के तहत नर्मदा और उसकी सहायक नदियों पर बने और प्रस्तावित 30 बड़े बांधों में से गुजरात का सरदार सरोवर बांध नर्मदा के अंतिम छोर पर है। ‘नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण’ (नर्मदा पंचाट) द्वारा लंबे बहस-मुबाहिसे के बाद 1979 में संबंधित राज्यों के बीच नर्मदा जल का बंटवारा किया गया था। इसके तहत सामान्य बारिश की स्थिति में गुजरात को 9 मिलियन एकड़ फीट (एमएएफ), राजस्थान को 0.5 एमएएफ और वाष्पीकरण में उड़ जाने वाले 0.5 एमएएफ यानी 10 एमएएफ पानी का आवंटन किया गया था। सरदार सरोवर के जल-भंडार में पहुंचने वाले इस 10 एमएएफ पानी में से 8.12 एमएएफ पानी मध्य प्रदेश को देना था तथा शेष महेश्वर के नीचे के कैचमेंट (आगोर) से मिलना था। सरदार सरोवर बांध की कुल भंडारण क्षमता 7.7 एमएएफ (‘लाइव स्टोरेज’ 4.73 एमएएफ और ‘डैड स्टोरेज’ 2.97 एमएएफ) है, जबकि उसे 10 एमएएफ का आवंटन किया गया है। जाहिर है मध्य प्रदेश के इंदिरा सागर को इसीलिए विशालकाय बनाया गया है, ताकि वह गुजरात के हिस्से के पानी का भंडारण भी कर सके। इंदिरा सागर के इस पानी को नियमित रूप से गुजरात के लिए छोड़ा जाता है, हालांकि नर्मदा घाटी में औसत से कम बारिश होने पर गुजरात समेत सभी राज्यों का अंश आनुपातिक रूप से कम भी हो जाता है। पिछले साल नर्मदा घाटी में 24 प्रतिशत कम बारिश हुई थी, जिसके हिसाब से गुजरात को सिर्फ 5.8 एमएएफ पानी मिलना चाहिए था। आंकड़े बताते हैं कि 16 अप्रैल, 2019 तक अपनी सूखा झेलती आबादी को अनदेखा करते हुए मध्य प्रदेश, गुजरात के लिए उदारतापूर्वक इससे अधिक यानी 6.4 एमएएफ पानी छोड़ चुका है। नर्मदा पंचाट द्वारा राजस्थान के लिए आवंटित पानी की मात्रा से भी अधिक यह पानी इतनी दरियादिली से छोड़ा जा रहा है कि 3 मार्च से 8 अप्रैल, 2019 के बीच, महज 35-36 दिन में सरदार सरोवर का जलस्तर करीब 4 मीटर (115.55 से 119.37 मीटर) तक बढ़ गया। गर्मी के दिनों में जब नदी-नाले सूख चुके हैं, पीने के पानी का चहुंओर संकट है, तब सरदार सरोवर का जलस्तर इतनी तेजी से बढ़ना बहुत ही आश्चर्यजनक है। मध्य प्रदेश में नर्मदा परियोजनाओं का प्रबंधन ‘नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण’ (एनवीडीए) करता है और सरदार सरोवर समेत सभी बांधों की निगरानी एक केंद्रीय एजेंसी ‘नर्मदा कंट्रोल अथारिटी’ (एनसीए) द्वारा की जाती है। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा गुजरात के लिए पानी छोड़ने के पीछे केंद्र सरकार द्वारा एनसीए के जरिए गुजरात सरकार के पक्ष में दबाव बनाया जाना हो सकता है, लेकिन केवल केंद्र सरकार के दबाव में मध्य प्रदेश सरकार गुजरात को इतनी बड़ी राहत दे, यह संभव नहीं दिखता। बहुत संभव है कि इसके पीछे एनसीए, एनवीडीए और गुजरात सरकार के अधिकारियों का कोई गठजोड़ काम कर रहा हो। मध्य प्रदेश को इसका तुरंत पता लगाना चाहिए अन्यथा राज्य में कपास की फसल और नर्मदा किनारे के निवासियों के लिए पेयजल और निस्तार के पानी का हाहाकार मच जाएगा। सरदार सरोवर में पिछले वर्ष 16 अप्रैल, 2018 को जलस्तर 105.81 मीटर था और पानी की कमी से निपटने के लिए गुजरात सरकार ने उस 700 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) पानी का भी इस्तेमाल कर लिया था, जिसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। हालांकि मध्य प्रदेश सरकार की मेहरबानी से इस साल स्थिति बहुत बेहतर है, इसके बावजूद गुजरात के किसान परेशान हैं। पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष गुजरात में कपास का उत्पादन कम होकर पिछले 10 सालों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। इसका कारण पानी की कमी बताई गई है, जो सही नहीं है। पिछले वर्ष नर्मदा कछार में सामान्य से 24 प्रतिशत कम बारिश हुई है, इसलिए इसी अनुपात में गुजरात का हिस्सा भी कम होना चाहिए। ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि एनसीए ने किस आधार पर पानी की इतनी अधिक मात्रा गुजरात के लिए छोड़ने का निर्णय लिया है। यह भी रहस्य ही बना हुआ है कि खुद बुरी तरह जल संकट से जूझ रहे मध्य प्रदेश द्वारा अपने पड़ोसी राज्य के प्रति इतनी दरियादिली दिखाने की वजह क्या है? दूसरी ओर, गुजरात से उम्मीद थी कि वह मध्य प्रदेश से मिले इस पानी का उपयोग समझदारी से करते हुए उसे प्यासे गांवों और खेतों तक पहुंचाएगा। भूमिगत बिजलीघर से बिजली उत्पादन करेगा, ताकि मध्य प्रदेश को उसका लाभ मिल सके और बिजली उत्पादन से मुक्त हुए पानी से बांध के निचवास में रहने वाले समुदायों को राहत मिल सके, लेकिन सरदार सरोवर के भूमिगत बिजलीघर से जुलाई 2017 के बाद एक यूनिट भी बिजली उत्पादित नहीं की गई है। यदि मध्य प्रदेश अपने राज्य की चिंता किए बिना गुजरात को इतना ज्यादा पानी दे रहा है, तो फिर गुजरात में कपास की फसल खराब होने का क्या कारण है? हालांकि गुजरात में इसका कारण पिछले वर्ष की अपेक्षा पानी की कम उपलब्धता बताई गई है, लेकिन यह कारण सही नहीं है, क्योंकि सरदार सरोवर परियोजना गुजरात में पानी का प्रमुख स्रोत है और मध्य प्रदेश सरकार ने सरदार सरोवर के लिए भरपूर पानी छोड़ा है। मीडिया में खबरें हैं कि गुजरात की जनता पानी के लिए परेशान हो रही है और सरकार सरदार सरोवर बांध के नीचे पर्यटकों के मनोरंजन के लिए बोट परिचालन की तैयारी में व्यस्त है। गुजरात हो या मध्य प्रदेश, किसी भी सरकार को अपने नागरिकों की कोई चिंता नहीं है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App