रात को घर पहुंचेंगे, इसकी गारंटी नहीं

दाड़लाघाट –अंबुजा सीमेंट कर्मचारी संघ(भारतीय मजदूर संघ) के सदस्यों ने कहा है कि अंबुजा सीमेंट दाड़लाघाट उद्योग में कार्यरत कर्मचारी सुरक्षा की दृष्टि से बहुत अधिक परेशान है। उनका कहना है कि जब सुबह वे घर से काम करने निकलते हैं, तो रात को वह घर पहुंचे इसकी कोई गारंटी नहीं होती, क्योंकि जब कोई श्रमिक अधिकारियों को सूचना देता है कि यहां पर मैं सुरक्षा की दृष्टि से काम नहीं कर सकता, तब भी उसे उस काम के लिए बाध्य किया जाता है, जिसका जीता जागता उदाहरण अभी खनन विभाग कशलोग का है। कशलोग और मांगू दोनों खदान क्षेत्र हैं, दोनों स्थानों पर एक भी चिकित्सक नहीं है और जो एंबुलेंस इस क्षेत्र में रखी गई है उसे हादसे के वक्त चढ़ाई में धक्का देकर चढ़ाना पड़ा। इसके अतिरिक्त खनन विभाग कशलोग और मांगू में लगातार ठेका प्रथा बढ़ रही है, जिससे श्रमिकों में भारी रोष है। अंबुजा सीमेंट में जो कर्मचारी कार्य कर रहे हैं वे सभी कंपनी के झूठे आश्वासन और वादे से परेशान है, क्योंकि वर्तमान में जो हड़ताल मजदूरों ने समाप्त की है वह केवल जिलाधीश सोलन के ऊपर विश्वास रखते हुए की है, क्योंकि जो समझौता कंपनी के साथ लिखित में हुआ है, यदि उस समझौते को अंतिम रूप देते हुए भारतीय मजदूर संघ के साथ व अपने कर्मचारियों में सभी सुविधा अवगत करवाती तभी भविष्य में किसी भी प्रकार का रोष नहीं करते। यदि कंपनी ने फिर झूठा आश्वासन दिया तो हम स्वतंत्र रूप से आंदोलन की रूपरेखा के लिए मजबूर होंगे। मजदूरों के साथ किसी भी प्रकार अनदेखी सहन नहीं होगी। कंपनी अपने उत्पादन के साथ-साथ मजदूरों की अनदेखी न करें, क्योंकि जो हाथ से काम करते हैं वही अधिक पसीना बहाकर इस उद्योग के असली हकदार हैं। जगदीश चंद की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ के बाद सभी श्रमिकों ने कहा कि यदि कंपनी ने मजदूरों के साथ विश्वासघात किया तो पुनः विशाल आंदोलन होगा। भारतीय मजदूर संघ के प्रधान सुरेश कुमार और कार्यसमिति ने विश्वास दिलाया कि हमें जिलाधीश सोलन विनोद कुमार पर पूरा विश्वास है कि वह समय-समय पर कंपनी को अवश्य  सचेत करेंगे। दुर्घटना में मृत्यु के लिए अंबुजा प्रबंधन जिम्मेदार है। इसी कारण मजदूरों को हड़ताल पर जाना पड़ा, अन्यथा यदि कंपनी भारतीय मजदूर संघ के पत्रक जो पांच महीने पहले दिया उसे तुरंत प्रभाव से लागू करती तो आज यह दिन देखने को न मिलता।