लैब टेस्टिंग को भेजे बीजों के 45 सैंपल

By: May 7th, 2019 12:05 am

शिमला—शिमला जिला में खरीफ का सीजन शुरू हो गया है। किसानों ने गर्मियों के इस सीजन में होने वाली सभी फसलों की उगाई शुरू कर दी है। हैरानी है कि सीजन शुरू होने के बाद अब जिला कृषि विभाग ने बीजों के सैंपल भरे हैं। जानकारी के अनुसार विभाग के अधिकारियों ने 45 सैंपल विभिन्न बीजों के लिए हैं। जानकारी के अनुसार शिमला जिला के कई क्षेत्रों में जाकर विभाग ने टमाटर, बीन्स, शिमला मिर्च, बैंगन और कई सब्जियों के सैंपल लेकर सोलन की टेस्टिंग लैब में भेजे हैं। बता दें कि इस लैब से बीजों की गुणवत्ता की रिपोर्ट दो से तीन माह बाद आती है। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि इतनी लेट  टेस्ट रिपोर्ट आने के बाद किसानों को क्या फायदा होगा। बता दें कि जब तक बीजों की गुणवत्ता को लेकर रिपोर्ट पहुंचेगी, तब तक या तो किसानों की फसलें शुरू हो जाएंगी, या फिर एक बार फिर पूअर क्वालिटी की वजह से किसानों को नुकसान झेलना पड़ सकता है। सवाल यह है कि कृषि विभाग हर साल सीजन शुरू होने के कई महिनों पहले बीजों के सैंपल क्यों नहीं भरता है। हालांकि कृषि विभाग का दावा है कि बीजों के सैंपल हर साल इसी समय भरे जाते हैं और अगर निरीक्षण के दौरान बीजों की पूअर क्वालिटी को लेकर शिकायत आती है, तो उसी समय उक्त बीज विक्रेता पर कार्रवाई की जाती है। बता दें कि जिला कृषि विभाग हर साल जिला से रबी व खरीफ के मौसम में सैंपल भरते हैं। विभागीय जानकारी के अनुसार एक साल में विभिन्न प्रकार के 90 बीजों के सैंपल टेस्ट लिए जाते हैं। गौर हो कि प्रदेश के कई क्षेत्रों में मार्केट में पूअर क्वालिटी के बीज आ रहे हैं। इन बीजों की पूअर क्वालिटी की वजह से आधे से ज्यादा किसानों ने खेतीबाड़ी छोड़ दी है। किसानों की मानें तो मार्केट में बीजों की गुणवत्ता बहुत खराब हो रही है। हर साल पूअर क्वालिटी के बीज खरीदने की वजह से उन्हें कोई भी मुनाफा नहीं हो रहा है। हालांकि जिला कृषि विभाग का यह भी दावा है कि शिमला जिला में अभी तक पूअर क्वालिटी के बीज बेचे जाने का एक भी मामला सामने नहीं आया है। वहीं यह भी दावा है कि बीज विक्रेताओं पर प्रशासन की पूरी नजर है। ब्लॉक स्तर के अधिकारी समय-समय पर बीज विक्रेताओं से पूछताछ करते हैं और छापा मारते हैं। फिलहाल जो भी हो, लेकिन किसानों के मुताबिक अगर बीजों के ये सैंपल सीजन शुरू होने के दो से तीन माह पहले लिए जाते तो इससे बीजों की क्वालिटी को अच्छे से परखा जा सकता था।

एचपीयू में विशेष लेक्चर

शिमला। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय दूरवर्ती शिक्षण एवं मुक्त अध्ययन केंद्र इक्डोल में दूरवर्ती शिक्षा चुनौतियां एवं सामाधान विषय पर लेक्चर का आयोजन किया गया। इस मौके पर निदेशालय दूरवर्ती शिक्षण गुरू जंभेश्वर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी हिसार के डायरेक्टर प्रो. महेशचंद गर्ग मुख्य प्रवक्ता के रूम में मौजूद रहे। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि  आज के परिदृश्य में दूरवर्ती शिक्षा क्यों महत्वपूर्ण है। इस दौरान डा. कुलवंत पठानिया ने बताया कि शीघ्र ही इक्डोल को शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक कमेठी का गठन किया जाएगा। इस कमेठी के द्वारा अन्य विश्वविद्यालयों का निरीक्षण किया जाएगा, जिससे इक्डोल के शैक्षणिक व रूल रेगुलेशन को अपनाया जाएगा। हालांकि इक्डोल में पहले से ही काफी कुछ सुधार किया जा रहा है, जिसके चलते ऑनलाइन सिस्टम से छात्रों को भी काफी राहत मिली है। इससे पहले ऑनलाइन सिस्टम न होने से छात्रों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता था।


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