शिमला में रेप मामले पर गरमाई सियासत

शिमला—राजधानी में बीते दिनों युवती के साथ रेप मामले में सियासत गरमाने लगी है। मंगलवार को शिमला में भाजपा महिला मोर्चा और गुडिया न्याय मंच ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। भाजपा महिला मोर्चा ने युवती के साथ हुई दरिंदगी मामले को लेकर उपायुक्त शिमला के माध्यम से पुलिस महानिदेशक को एक ज्ञापन भेजा है और आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की है। भाजपा महिला मोर्चा की सदस्य और भाजपा युवा मोर्चा की उपाध्यक्ष शीतल व्यास ने कहा कि शिमला जैसे शांत शहर में इस तरह की घटनाएं शर्मनाक हैं। पुलिस प्रशासन को घटना में संलिप्त लोगों को जल्द गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डालना चाहिए। भाजपा महिला मोर्चा से प्रदेश के मुख्यमंत्री से मामले को लेकर जल्द कार्रवाई की मांग की है, जिससे प्रदेश में इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लग सके। महिला मोर्चा ने शक्ति ऐप और गुडि़या हेल्पलाइन के बारे में भी महिलाओं को जागरूक करने की बात कही है। वहीं, गुडि़या न्याय मंच ने शिमला शहर के बीचोंबीच एक अन्य लड़की से बलात्कार के मामले में पुलिस की बेहद संवेदनहीन कार्यप्रणाली की कड़ी आलोचना की है व दोषियों के साथ जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। मंच ने चेताया है कि अगर बलात्कार के दोषियों व जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को बचाने की कोशिश की गई तो मंच जनता को लामबंद करके आंदोलन करेगा। मंच के सह संयोजक विजेंद्र मेहरा ने पुलिस की नाक के नीचे एक और लड़की के बलात्कार पर कड़ा रोष जाहिर किया है। उन्होंने कहा है कि इस बेहद संवेदनशील मामले में बलात्कार के दोषियों के साथ ही जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर तुरंत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। अगर पुलिस प्रशासन ने थोड़ी भी संवेदनशीलता दिखाई होती तो मानवता को शर्मशार करने वाला यह घिनौना कार्य नहीं होता। जब यह लड़की पुलिस के पास मदद मांगने गई तो फिर उसे मदद क्यों नहीं मिली। अगर पुलिस ने इस लड़की की समय रहते मदद की होती तो इस लड़की से दुराचार नहीं होता और न ही दरिंदे अपने मनसूबों में कामयाब हो पाते। इसलिए इस बलात्कार के लिए पूरी तरह पुलिस जिम्मेदार है। इस घटनाक्रम से गुडि़या प्रकरण की तरह एक बार फिर से स्पष्ट हो गया है कि हिमाचल प्रदेश के थाने किसी भी तरह से आम जनता के लिए सुरक्षित नहीं हैं और न ही इन थानों में जाने पर जनता को सुरक्षा, न्याय व मदद मिलती है। यह घटनाक्रम एक बार पुनः गुडि़या प्रकरण की तरह पुलिस की बेहद संवेदनहीन कार्यप्रणाली की पोल खोलता है व उस पर काला धब्बा है। उन्होंने चिंता प्रकट की है कि जब प्रदेश की राजधानी शिमला शहर में ही बच्चियां व लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं व उनसे बलात्कार व दुराचार हो रहा है तो सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिमाचल प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति भयावह है। उन्होंने मांग की है कि इस लड़की को हर हाल में तुरंत न्याय मिलना चाहिए। इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी बननी चाहिए जो कि किसी कार्यरत अथवा पूर्व न्यायिक अधिकारी की अध्यक्षता में होनी चाहिए व इसकी जांच समयबद्ध होनी चाहिए।