शिलाई की प्रीति ने साबित किया, बेटी है अनमोल

By: May 8th, 2019 12:06 am

प्रीति विरसांटा अब जमा दो की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद दिल्ली के जाने माने श्रीराम कालेज में बीकॉम ऑनर्स में प्रवेश लेना चाहती है। बीकॉम के बाद प्रीति आईएएस की परीक्षा उत्तीर्ण करने का लक्ष्य रखे हुए है। प्रीति के पिता चमेल विरसांटा व माता सुमित्रा विरसांटा ने बताया कि वह बेटी के लिए अब कुछ भी करने को तैयार हैं। यदि जरूरत पड़ी तो वह शिलाई में बनाए गए मकान को भी प्रीति की पढ़ाई के लिए आवश्यकता पड़ने पर बेच सकते हैं। प्रीति के पिता चमेल विरसांटा ने बताया कि उन्हें इस बात का तो दुख रहता है कि उनके तीनों बच्चे उनके पास नहीं हैं, परंतु तीनों ही बच्चों के परिणाम देखकर संतुष्टि मिलती है…

बेटी है अनमोल के शब्द को चरितार्थ किया है जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के छोटे से गांव डिमटी ग्राम पंचायत बेला की 17 वर्षीय प्रीति विरसांटा ने भले ही आज बेटियों को लेकर देश भर में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा चल रहा हो परंतु प्रीति विरसांटा के माता-पिता अपने नाम को प्रीति जैसी बेटी पाकर गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। प्रीति विरसांटा ने इस वर्ष हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की जमा दो परीक्षा के परिणाम में न केवल कॉमर्स संकाय में हिमाचल में टॉप किया, बल्कि प्रीति विरसांटा ने एक नया रिकार्ड यह कायम किया कि साइंस व आर्ट्स के टॉपर को भी प्रीति विरसांटा ने पछाड़ते हुए जमा दो परीक्षा में हिमाचल प्रदेश में साइंस, आर्ट्स व कॉमर्स में शीर्ष अंक 494 हासिल किए। यह 98.8 प्रतिशत का स्कोर न केवल प्रीति के लिए अपितु प्रीति के स्कूल करियर अकादमी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों व स्कूल प्रबंधन के अलावा प्रीति के माता-पिता व सभी रिश्तेदारों के लिए गौरवान्वित करने वाला विषय था। शिलाई के एक बेहद ही छोटे से गांव डिमटी के चमेल सिंह विरसांटा व सुमित्रा विरसांटा की तीन संतानों में छोटी प्रीति ने साबित कर दिया है कि यदि लक्ष्य सामने हो तो आंख बंद कर भी व्यक्ति उस ओर बढ़ सकता है। प्रीति के माता-पिता इस बात से भी बेहद खुश हैं कि उनकी छोटी बेटी ने पूरे प्रदेश में नाम कमाया है। प्रीति ने दिव्य हिमाचल से बातचीत में बताया कि वह नौवीं कक्षा तक शिलाई स्थित बाल भारती पब्लिक स्कूल में पढ़ी। सातवीं से नौवीं तक प्रीति कक्षा में टॉपर रही। प्रीति के लगातार बेहतरीन परिणाम का नतीजा यह हुआ कि प्रीति के माता-पिता ने अपने दिल के कलेजे को उसके जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अपने से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर पढ़ाई के लिए नाहन भेजने का निर्णय लिया। प्रीति विरसांटा को दसवीं कक्षा में करियर अकादमी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय नाहन में प्रवेश दिलाया। पहले ही वर्ष प्रीति ने ग्रामीण परिवेश से निकलकर जिला मुख्यालय नाहन के नामी स्कूलों ही नहीं, बल्कि प्रदेश भर के विद्यार्थियों को पछाड़ते हुए दसवीं कक्षा में भी हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की मैरिट सूची में 93 प्रतिशत अंक हासिल कर प्रदेश भर में आठवां स्थान हासिल किया। प्रीति के माता-पिता के अलावा प्रीति के चाचा बलबीर सिंह विरसांटा प्रीति की मेहनत से इस कद्र खुश हुए प्रीति के माता-पिता ग्रामीण परिवेश से संबंधित हैं। प्रीति के पिता शिलाई कस्बे में पहले छोटी सी स्वीट्स शॉप करते थे। अब टेलरिंग कर जहां अपने परिवार का गुजर बसर कर रहे हैं, वहीं तीनों बच्चों को भी कामयाब बनाने में दिन रात एक कर रहे हैं। प्रीति की बड़ी बहन गुलशन नौणी विश्वविद्यालय से बीएससी ऑनर्स कर रही है, जबकि भाई कमल विरसांटा सोलन से बीकॉम की पढ़ाई कर रहा है। प्रीति प्रतिदिन रात को पढ़ाई करती थी। अकसर दो से तीन बजे तक तो वह रात को पढ़ती ही थी, परंतु परीक्षा के दिनों में तो कई बार वह पूरी-पूरी रात भी तैयारियां करती रही।

कठिन परिश्रम करने वालों की कभी हार नहीं होती…

क्या आप इसे सौ फीसदी सफलता मानती हैं। सौ फीसदी के करीब पहुंचने के लिए जो कुछ आपने किया?

मैंने इस सफलता को अपना 100प्रतिशत दिया है, लेकिन मैं अपनी इस सफलता को सौ फीसदी नहीं मान सकती। क्योंकि ये तो मेरा एक कदम था मेरी मंजिल की ओर। पूरी सफलता पाने के लिए मुझे अभी और परिश्रम की जरूरत है।

साल भर आपका टाइमटेबल क्या रहा?

मैं टाइमटेबल से ज्यादा टाइम मैनेजमेंट में विश्वास करती हूं। तो मेरा हर दिन के साथ टाइम मैनेजमेट होता था।

जीवन का कोई एक सिद्धांत जिसके कारण यह मुकाम पाया?

मेरे जीवन का बस एक ही सिद्धांत है। कठिन परिश्रम।

कॉमर्स विषय ही क्यों चुना और आगे इस दिशा में कौन सी मंजिल तय है?

मुझे नवमीं से इस इस विषय के बारे में जानने की रुचि थी। इसलिए मैंने इस विषय को चुना। यह विषय हमें दसवीं तक जो विषय पढ़ाए उससे अलग था इसलिए मुझे इसे जानने की जरूरत थी। मैं आगे इस विषय में कुछ ऐसा करना चाहूंगी जिससे मैं अपने देश और देशवासियों की मदद कर सकूं।

वाणिज्य की छात्रा होने के नाते आप जीएसटी लागू होने को कितना सही, कितना गलत मानती हैं?

जीएसटी सरकार द्वारा चलाया गया बहुत अच्छा कदम है। जीएसटी के बाद काफी सारी वस्तुओं का दाम कम हो गया है। जिससे गरीब लोग भी इन्हें आसानी से खरीद सकते हैं। और इसके लागू होने से देश की वस्तुओं की मांग इंटरनेशनल मार्केट में काफी बढ़ गई है। जिससे देश की उन्नति होगी।

बतौर बेटी आप खुद को कितना सक्षम पाती हैं तथा हिमाचली लड़कियों को क्या राय देना चाहेंगी?

मैं अपने आप को पूरा सक्षम मानती हूं। क्योंकि मैंने अपने माता-पिता की उम्मीदों को पहले दर्जा दिया है। मैं आज की लड़कियों को यही कहना चाहूंगी। कि कठिन परिश्रम करने वालों की कभी हार नहीं होती। इसलिए अभी से ही अपने सपनों को साकार करने में लग जाओ।

पढ़ाई के अलावा रुचि के अन्य विषय?

पढ़ाई के अलावा मुझे गाना गाना अच्छा लगता है।

सफल होने के कोई तीन मंत्र?

धीरज, परिश्रम , दृढ़ निश्चय

दूसरों से भी जो कुछ सीखा या कोई आदर्श जिससे प्रोत्साहित हुईं?

पूरी जिंदगी में हर इनसान  किसी न किसी से कुछ न कुछ सीखता है। इसलिए मैं जितने भी लोगों से मिली हूं उनसे कुछ न कुछ सीखा है। कुछ सीखने की शुरुआत मैंने अपने घर से ही की। रात को अधिक देर तक पढ़ना मैंने अपनी बड़ी बहन से सीखा। इसलिए मैंने आज सफलता पाई है।

शिक्षा की वर्तमान प्रणाली से कितना संतुष्ट?

देश ने शिक्षा के क्षेत्र में काफी उन्नति कर ली है, लेकिन अभी कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में इस ओर काफी कमी नजर आती है। काफी सारे स्कूलों में समय पर अध्यापकों की कमी पूरी नहीं होती। जिससे बच्चों की पढ़ाई में बहुत असर पढ़ता है।

आपके लिए सारे विषय आसान रहे या कोई ऐसा भी रहा जो परेशान करता हो?

मैंने कॉमर्स विषय अपनी रुचि को ध्यान में रखते हुए रखा। और जिस चीज में आपकी रुचि हो उस चीज में आपको कोई परेशानी नहीं होती। बस थोड़ी मेहनत की जरूरत होती है।

किस्मत या ईश्वर पर कितना भरोसा?

मैं ईश्वर पर बहुत भरोसा करती हूं। पर साथ में मैं इस बात को भी ध्यान में रखती हूं कि भगवान उन्हीं की सहायता करता है जो स्वयं अपनी सहायता करते हैं।

छोटे से जीवन की कोई याद या अनुभव जिसने प्रीति को आसमान पर चलना सिखाया?

जब मैं तीसरी कक्षा में थी, तो एक दिन प्रधानाचार्य ने होशियार बच्चों में मेरा नाम भी ले लिया और उस समय  मैं पढ़ाई में बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन उस दिन के बाद मैंने पढ़ाई में पूरा-पूरा ध्यान दिया, क्योंकि मैं अपने अध्यापकों को कभी भी निराश नहीं करना चाहती थी। और इसी बात ने मुझे आज तक ऊंचाईयों  पर खड़े रहने की हिम्मत दी।

सिरमौरी नाटी जिस पर नाचने का दिल करता हो?

‘कानो री वाली’ सिरमौरी गाना मुझे बहुत पसंद है।

– सूरत पुंडीर, नाहन


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