हंगामे के दूसरे दिन 280 में 116 छात्र पहुंचे स्कूल

बिझड़ी—स्कूली बच्चे अपने घर के बाद सबसे सुरक्षित जगह शायद स्कूल को समझते हैं। माता-पिता भी अपने बच्चों को स्कूल भेजकर उनकी सुरक्षा के प्रति निश्चिंत हो जाते है, लेकिन जिला हमीरपुर के एक स्कूल के प्रिंसीपल के कारनामे व उसके बाद हुए हंगामे के बाद इतने वहां पढ़ने वाले छात्र इस तरह खौफजदा हैं कि वे स्कूल जाने से कतरा रहे हैं। यही वजह है कि हंगामे के दूसरे दिन स्कूल में 280 छात्रों में से केवल 116 छात्र ही स्कूल पहुंचे हैं। इस  घटना के बाद बच्चों व अभिभावकों की मनोदशा को समझा जा सकता है ।  हालांकि स्कूलों में छात्र व छात्राओं के हित को ध्यान में रखते हुए सेक्सुअल ह्रासमेंट कमेटियों का गठन शिक्षा विभाग द्वारा किया गया है। इस कमेटी का  दायित्व होता है कि समय समय पर छात्राओं की काउंसिलिंग की जाए तथा अगर कोई छेड़छाड़ या ह्रासमेंट का मामला सामने आता है, तो तुरंत उच्च अधिकारियों को सूचित करने के साथ ही पुलिस को भी सूचित किया जाए, लेकिन ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि ये कमेटी मामले को सामने लाने के बजाय सीनियर सेकंेडरी स्कूल की छात्रा को स्कूल प्रिंसीपल मोबाइल देने के बाद पैसे भी भेजता रहा। इसके बाद  छात्रा के घरवालों को शक होने पर उन्होंने स्कूल प्रिंसीपल से पूछताछ की तथा छात्रा का स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट लेकर उसे अन्य स्कूल में दाखिल करवाया। प्रिंसीपल द्वारा संतोषजनक जवाब न दिए जाने पर अभिभावकों द्वारा स्कूल की अन्य छात्राओं से भी पूछताछ की गई। इसके बाद खुद स्कूल प्रिंसीपल मामले को रफादफा करने व पीडि़त परिवार पर दबाव बनाने के लिए पीडि़त छात्रा के पिता से भी मिला, लेकिन हैरानी की बात है कि लगभग एक हफ्ते से चले इस घटनाक्रम की भनक सेक्सुअल ह्रासमेंट कमेटी को नहीं लगी।  शिक्षा उपनिदेशक के स्कूल पहुंचने पर भी मामले को छुपाया जाता रहा। पुलिस भी मामले की जानकारी होने के बावजूद शिकायत न मिलने की बात कहकर खुद को कार्रवाई करने में असमर्थ बताती रही। इसके बाद पीडि़त छात्रा के पिता की शिकायत व  अभिभावकों, ग्रामीणों व एसएमसी कमेटी सदस्यों के हंगामे के बाद पुलिस मौके पर पहुंची तथा आरोपी प्रिंसीपल को हिरासत में लिया गया। इस सारे घटनाक्रम के बाद अन्य स्कूली बच्चे सहमे हुए हैं तथा स्कूल जाने में आनाकानी कर रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि यदि सेक्सुअल ह्रासमेंट कमेटी अपना दायित्व ठीक ढंग से निभाती, तो आरोपी पहले ही सलाखों के पीछे होता तथा हंगामा भी नहीं होता। एसएमसी कमेटी प्रधान संजीव के  अनुसार घटनाक्रम के अगले दिन स्कूल में 280 में से केवल 116 छात्र ही उपस्थित हुए हैं। उन्होंने बताया कि शिक्षा उपनिदेशक द्वारा स्कूल में कार्यवाहक प्रिंसीपल की नियुक्ति की गई है।