हफ्ते का खास दिन

By: May 22nd, 2019 12:05 am

सुशील कुमार जन्म दिवस 26 मई

सुशील कुमार का जन्म 26 मई, 1983 को नजफगढ़ इलाके एक गांव दापरोला में हुआ था। एमटीएनएल में साधारण नौकरी करने वाले सुशील के पिता ‘दीवान सिंह’ और मां ‘कमला’ अपने बेटे की इस महान उपलब्धि पर बहुत ही प्रसन्न हैं। दीवान सिंह जी नजफगढ़ के गांव बापड़ौला से प्रत्येक दिन चार किलो दूध लेकर साइकिल से, तीस किलोमीटर से भी दूर ‘छत्रसाल स्टेडियम’ पर पहलवानी कर रहे अपने पुत्र सुशील कुमार को इस उम्मीद के साथ पहुंचाते थे कि उनका यह चिराग किसी दिन उनका नाम रोशन करेगा। ‘बीजिंग ओलिंपिक’ में 56 साल बाद कुश्ती में ‘कांस्य पदक’ जीतकर सुशील ने उस दूध का हक अदा कर दिया। सुशील तीन भाइयों के परिवार में सबसे बड़े हैं। वह बचपन से ही कुश्ती के दीवाने थे और प्रारंभ से ही उनका लक्ष्य ओलिंपिक में मेडल जीतना था।

शिक्षा

सुशील कुमार ने ‘दिल्ली विश्वविद्यालय’ से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की, लेकिन वह बचपन से ही ‘महाबली सतपाल’ से जुड़ गए थे। महाबली सतपाल ने उनके कौशल को निखारने में अहम भूमिका निभाई है। सुशील, सतपाल पहलवान के शिष्य हैं।

विश्व कुश्ती चैंपियन

सुशील कुमार विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत के पहले पहलवान हैं। बीजिंग ओलंपिक में कुश्ती में कांस्य पदक जीतने वाले सुशील कुमार ने 12 सितंबर, 2010 को मॉस्को में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में फ्रीस्टाइल में 66 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास बनाया। विश्व कुश्ती में भारत ने रजत व कांस्य पदक पूर्व वर्षों में यद्यपि जीता है, स्वर्ण पदक जीतने वाले वह भारत के पहले पहलवान हैं। सुशील से पूर्व भारत के रमेश कुमार ने सितंबर 2009 में डेनमार्क में हर्निंग में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक तथा विशंभर सिंह ने 1967 में विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में रजत पदक जीता था। भारतीय रेलवे में कार्यरत सुशील कुमार को उनकी इस उपलब्धि के लिए 10 लाख रुपए का पुरस्कार रेलवे ने दिया है। मॉस्को में स्वर्ण पदक हासिल करने के लिए सुशील कुमार ने रूस के एलन गोगाएव को फाइनल में पराजित किया। और अई पहलवान हैं जिनको सुनील ने पराजित किया।

उपलब्धियां

* रेलवे के कर्मचारी सुशील ने 2006 में दोहा एशियाई खेलों में ‘कांस्य पदक’ जीतकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया था।

* दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में रोजाना सुबह पांच बजे से कुश्ती के दांव- पेंच सीखने वाले अर्जुन पुरस्कार विजेता सुशील ने अगले ही साल मई 2007 में ‘सीनियर एशियाई चैंपियनशिप’ में ‘रजत पदक’ जीता। आदि कई पुरस्कार हैं, जो सुनील कुमार अपने नाम किए।


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