हर समय थके रहना, कहीं क्रॉनिक फटीग तो नहीं

पालमपुर—अत्यधिक थकान या लंबे समय के लिए अंग शिथिलता महसूस करना एवं इस थकान में आराम उपरांत भी कोई परिवर्तन नहीं होना, क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम का लक्षण हो सकता है। क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम(सीएफएस) एक जटिल रोग है और कभी कभी इस कारण से साधारण दैनिक गतिविधियां भी प्रभावित हो जाती हैं। यह व्याधि अधिकतर व्यस्क अवस्था में होती है, परंतु कुछ स्तिथियों में किशोरावस्था में भी होती पाई गई हैं। 12 मई आधुनिक नर्सिंग के संस्थापक फ्लोरेंस नाइटिंगेल का जन्मदिन नर्सिंग दिवस के अतिरिक्त, विश्व क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम(सीएफएस) जागरूकता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस व्याधि में अनेक शोध होने के बावजूद शोधकर्ता सटीक कारणों की पहचान नहीं कर पाए हैं। इसके संभावित कारणों में से कुछ इस प्रकार हैं।  जैसे संक्रमण, असामान्य रूप से कम रक्त दबाव, रोग प्रतिरोधक शक्ति की गड़बड़ी, पोषक तत्त्वों की कमी एवं तनाव। सीएफएस का निदान करना कठिन है, क्योंकि इसके लक्षण बहुत अन्य बीमारियों के समान हैं, निदान के लिए कोई परीक्षण, टेस्ट अनुप्लब्धतता एवं लक्षणों का रोगियों में भिन्नता, परंतु यदि व्यक्ति छह महीनों से अधिक गंभीर थकान से पीडि़त है और अन्य लक्षण जैसे पूरे शरीर में, स्मृति की समस्या, अवसाद, तनाव, व्याकुलताकों अनुभव  करता है, तो संभावना है कि मरीज को सीएफएस हो सकता है। सीएफएस की निश्चितता को व्यक्ति की संपूर्ण मेडिकल इतिहास, शारीरिक और मानसिक स्थिति परीक्षा से ही पता लगाया जा सकता है। सीएफएस के लिए कोई विशेष उपचार नहीं है, परंतु विशेषज्ञ लक्षणों से इस रोग का निदान कर, रोग लक्षणों जैसे नींद संबंधी विकार, अवसाद, मतली, उल्टी का मन, दर्द इत्यादि का उपचार कर रोगी के जीवन के गुणवत्ता में सुधार कर मदद कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त जीवन शैली परिवर्तनों से काफी लाभ उठा सकते हैं।

यह हैं लक्षण

जोड़ों का दर्द (बिना लालिमा या सूजन के), अल्पकालिक स्मृति या एकाग्रता की समस्या, सिरदर्द रहना, चक्कर आना, गहरी नींद उपरांत भी तरोताजा न होना, जी मिचलाना, उल्टी का मन, फ्लू, जुकाम जैसे लक्षण, अवसाद (डिप्रेशन), तनाव (स्ट्रेस) और चिंता एवं सहन-शक्ति में कमी।