अपने ही गांव में नहीं मिली थी जगह, अब मुस्कुरा रहे हैं कब्र पर झड़े सफेद फूल

By: Jun 14th, 2019 12:03 am

हीरानगर (जम्मू) – पहाड़ के ऊपर बेर और खैर के पेड़ों के बीच एक पौधा है, जिसमें सफेद रंग के फूल लगे हैं। ये फूल पहले से पौधे पर लगे थे, लेकिन हाल ही में ये खिलने लगे हैं। कभी-कभी ये टूटकर नीचे जा गिरते हैं एक कब्र पर। इस कब्र में अब शायद सुकून से लेटी है वह आठ साल की मासूम, जिसे कठुआ में बर्बर गैंगरेप का शिकार बनाया गया और फिर दर्दनाक मौत दे दी गई। हीरानगर के बंदी कन्नाह गांव में इस कब्र की रखवाली करने वाले बच्ची के परिजन कहते हैं कि सफेद फूलों को देखकर लगता है कि बच्ची की रूह कोर्ट के फैसले के बाद आखिरकार खुश हो गई है। बच्ची के एक परिजन का कहना है कि वह एक कली की तरह थी, जिसे हैवानों ने इतनी छोटी सी उम्र में कुचल दिया। जीवन से भरपूर वह सबसे सुंदर और प्यारी बच्ची थी। ये फूल यहां एक महीने से हैं, लेकिन पिछले कुछ दिन से ये मुस्कुराने लगे हैं। हमें लगता है कि यह केस में आए फैसले के बाद उसकी रूह का इशारा है। ऐसा एक भी दिन नहीं होता जब हम कब्र पर आकर उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना न करें। पहले यह कब्र कच्ची थी, लेकिन फरवरी में उसकी पहली बरसी के आसपास इसे पक्का कराकर किनारे लोहे काजल लगा दिया गया। उसके माता-पिता यहां अकसर आते रहते हैं। इस कब्र पर लिखा है- ‘जुल्म और ज्यादती की शिकार, शहीद। लख्त-ए-जिगर। तारीख-ए-शहादत 17 जनवरी 2018।’ बच्ची के परिवार के अलावा ज्यादा लोग यहां नहीं आते हैं। पंजाब की पठानकोट कोर्ट ने हाल ही में दिए फैसले में सात में से छह आरोपियों को दोषी करार दिया है। मामले के मुख्य साजिशकर्ता सांजी राम, परवेश कुमार और पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया को उम्रकैद की सजा सुनाई है। वहीं पुलिस अधिकारी सुरेंदर शर्मा, हैड कांस्टेबल तिलक राज और एसआई आनंद दत्ता को पांच-पांच साल की कैद की सजा दी गई है।

रसाना में नहीं मिली कब्र को जगह

बच्ची के परिजन अब्दुल जब्बार का कहना है कि रसाना गांव के कई लोगों ने उसे गांव में दफनाने से इनकार कर दिया, इसलिए हम उसे अपने गांव ले आए और अपनी पुश्तैनी जमीन में उसे दफन कर दिया। उसके बाद वह हमारे एक बुजुर्ग परिजन के सपने में आई और जमीन पर उसे जगह देने के लिए शुक्रिया कहा। मुझे भरोसा है कि कोर्ट ने उसके हत्यारों को सजा दे दी है, अब वह जन्नत में खुश होगी। फैसले तक उसकी रूह इंसाफ के लिए भटक रही होगी। परिवार ने लगातार दबाव और धमकियों के बाद पिछले साल ही रसाना छोड़ दिया था।


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